नगर निकाय चुनाव

धर्म ध्वजा संग निकले मनोज श्रीवास्तव, किया नामांकन; कहा- जिले की राजनीति में मनी, माफिया और मसल्स का बढ़ रहा वर्चस्व समाज के लिए घातक, 13 मई जनता जो निर्णय सुना देगी, उस निर्णय को सहर्ष स्वीकार करूँगा

मिर्जापुर।

शिक्षण काल के दौरान ही 16 वर्ष की अवस्था से आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मनोज श्रीवास्तव ने बागी प्रत्याशी के रूप में सोमवार को नामांकन किया।  उन्होंने आरोप लगाया कि जिले में चोर, उचक्के, बेईमान, लुटेरों का जिले की राजनीति में वर्चस्व बढ़ा हैं।

अपहरण, हत्या और फिरौती का उद्योग चलाने वालों का वर्चस्व भाजपा की जिला इकाई में वर्चस्व बढ़ा है। उन्हें डर था कि मनोज श्रीवास्तव को टिकट मिल गया, तो उनका धंधा बंद हो जाएगा। इसलिए शीर्ष नेतृत्व को भ्रमित किया गया। उन्होंने कहा कि जनता की आवाज सुनकर वह बागी प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे हैं। जिले में मनी, माफिया और मसल्स का बढ़ता प्रभाव समाज के लिए घातक ही होगा। राष्ट्र और समाज हित के लिए मैदान में उतरे है। 13 मई जनता जो निर्णय सुना देगी, उस निर्णय को सहर्ष स्वीकार करूँगा।

किशोरावस्था से ही राष्ट्र और समाज हित के लिए संघर्ष करने वाले मनोज श्रीवास्तव रविवार को टिकट बंटवारे के दौरान पक्षपात से मर्माहत हो गए। लोगों के मांग पर निर्दल प्रत्याशी बनना स्वीकार किया। सोमवार को धर्म ध्वजा के साथ युवाओं की उमड़ी भीड़ के साथ नामांकन करने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने कहा कि मिर्जापुर का जन मन उन्हें सदैव आशीर्वाद देता रहा है।

कहा कि 2017 में पार्टी ने टिकट देना चाहा था। जिस पर उन्होंने मना कर दिया था। जो व्यक्ति भाजपा के नाम पर जीतकर आया 5 वर्ष तक लूट खसोट करता रहा। सरकारी जमीन भू माफिया को बेंच दिया गया। इस बार जनता के तरफ से चुनाव लड़ने का दबाव था। इसके लिए उन्होंने पार्टी से टिकट के लिए आग्रह किया था। शीर्ष नेतृत्व ने आश्वस्त किया था। कोर कमेटी से उनका नाम नंबर एक पर भेजा गया था, लेकिन जिले में सक्रिय चोर, उचक्के, बेईमान व लुटेरे जिनका उद्योग ही अपहरण, हत्या और फिरौती है। उन लोगों ने अपने वर्चस्व कायम रखने के लिए साजिश रचा।

कहा कि किसी को टिकट दे दिया जाय, लेकिन मनोज श्रीवास्तव को छोड़कर। कास्ट, क्राइम और करप्शन को कायम रखने के लिए उनके नाम का विरोध किया गया। उन्हें इस बात का भय था कि मनोज श्रीवास्तव पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गए, तो उनके लूट खसोट का धंधा बंद हो जाएगा ।

लिहाजा जनता की आवाज पर और की उनकी सुरक्षा और नगर को बेहतर बनाने। केंद्र और प्रदेश सरकार की मंशा को आगे ले जाने के लिए जनता की आवाज बनकर निर्दल प्रत्याशी के रूप में आना पड़ा । जनता की अदालत में आने के बाद अब फैसला जनता को ही करना है। उन्हें मनी, माफिया और मसल्स का वर्चस्व कायम करना है या फिर शांति सद्भाव वाले शहर में उसकी प्रतिष्ठा को बनाए रखना है।

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