निजी महिला चिकित्सक के खिलाफ सिटी कोतवाली मे महिला ने दी तहरीर
……. और ये है आरोप
0 महिला अस्पताल मे देर से डिलेवरी के कारण बच्चे ने पी लिया था गंदा पानी
0 निजी अस्पताल की महिला चिकित्सक ने दो सप्ताह इलाज कर लाखो खर्च कराने के बाद किया था रेफर
भास्कर ब्यूरो, मिर्जापुर।
नचनियाबीर अमरावती विन्ध्याचल निवासिनी सुशीला देवी ने सोमवार को सिटी कोतवाली पहुंचकर थाने मे मिशन कंपाउंड स्थित नवनिर्मित निजी चिकित्सालय की महिला चिकित्सक के खिलाफ तहरीर दी। तहरीर मे उसने आरोपित किया है कि बहू संध्या सिंह की डिलेवरी महिला अस्पताल मे सही समय पर न होने और मिशन कम्पाउंड स्थित एक नवीन हास्पिटल की चिकित्सक द्वारा बच्चे को 15 दिन तक भर्ती कर लाखो ऐंठने के बाद जब स्थिति बिगड़ गई तो उसे वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया। जहा पहुचने पर चिकित्सक ने कहाकि पाच दिन पहले आती तो शिशु की जान बच जाती। वाराणसी मे शिशु की मौत हो गई। बता दे कि अभी शुक्रवार को सुशीला देवी सीएमओ से मिली थी और महिला अस्पताल की चिकित्सक समेत तीन स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन पीडिता को कोई राहत नही मिली।

पडताल का विषयःः आखिर महिला अस्पताल से क्यू भेजा निजी अस्पताल
इस मामले मे पडताल का विषय यह है कि आखिर बच्चे को क्यों मिशन कंपाउंड स्थित नवनिर्मित निजी चिकित्सालय मे क्यों भेजा गया। सूत्रो का मानना है कि जब कभी महिला चिकित्सालय मे डिलेवरी के दौरान लापरवाही हो जाती है। तो अपनी कमियो गलतियो को छिपाने के लिए उक्त निजी अस्पताल मे भेज दिया जाता है। जबकि बगल मे ही स्थित मंडलीय चिकित्सालय मे बाल रोग के विशेषज्ञ खुद बखूबी जनपद की सेवा कर रहे है। अब सवाल यह उठता है कि शिशु को आखिर क्यों भेजा गया निजी अस्पताल। कही यह मुट्ठी गरमाने की वजह तो नही। काबिलेतारीफ तो यह है कि उक्त महिला को जब मिशन कंपाउंड स्थित निजी अस्पताल से वाराणसी रेफर किया गया तो उसे पर भी बनारस के ऐसे अस्पताल मे जहा जमकर मरीज़ओ को तंग किया जाता है। हालांकि सुशीला सिंह ने उस दिन अपने सूझबूझ का परिचय देते हुए शिशु को बीएचयू ले जाना उचित समझा। इसके बाद भी वह अपने पोते की जान बचा पाने मे अक्षम रही। सोमवार को जब वह सिटी कोतवाली पहुची तो पीडा बताते बताते गश्त खाकर गिर गई। जिसे उठाकर उसके पुत्र ने पानी आदि डाला। तब जाकर ठीक हुई।