मिर्जापुर।
विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर द्वारा विश्व मापन दिवस (20 मई) को बच्चो को मापन के महत्व को समझाने के लिए ऑन लाइन कार्यशाला आयोजित की गई।जिसमे 129 बाल वैज्ञानिको ने ऑन लाइन प्रतिभगिता की। जिला विज्ञान क्लब समन्यवयक एवम प्रवक्ता भौतिक विज्ञान सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि जीवन मे मापन का महत्वपूर्ण उपयोग है।यह दिवस 20 मई 1875 को सत्रह देशों के प्रतिनिधियों द्वारा मीटर कन्वेंशन के हत्ताक्षर का वार्षिक उत्सव है।मीटर कन्वेंशन का मूल उद्देश्य माप की विश्व व्यापी एक रूपता आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि 1875 में थी।भौतिक विज्ञान में मापन के लिए सात मूल राशियां है। लंबाई, द्रव्यमान, समय, ताप, ज्योति तीव्रता, विद्युत धारा, पदार्थ की मात्रा है।ये मानक राशियां है, जिनको अंतर राष्ट्रीय बाट माप संगठन द्वारा परिभाषित किया गया है। इन मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए जिन मात्रकों का प्रयोग करते है उन्हें मूल मात्रक कहते है। लंबाई का मात्रक मीटर, द्रव्यमान का मात्रक किग्रा, समय का मात्रक सेकेंड, ताप का मात्रक केल्विन, विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर, ज्योति तीव्रता का मात्रक केन्डिला, पदार्थ की मात्रा का मात्रक मोल है। जिनको अंतरराष्ट्रीय वाट माप संगठन द्वारा परिभाषित किया गया है। ये मानक मात्रक सभी जगह पर मान्य है।इस वर्ष की मुख्य थीम वैश्विक खाद्य प्रणाली का समर्थन करने वाला मापन है। इस थीम को जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियां और 2022 केअन्त में 8 बिलियन की आबादी वाली दुनिया मे वैश्विक वितरण के कारण चुना गया है। विशेषज्ञ असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉक्टर आर के गोयल ने कहा कि दूध की मात्रा तौलने,ज्वैलरी खरीदते समय,कैरट से सोने की शुद्धता का पता लगाने डायविटीज या ब्लड प्रेशर का पता लगाने से लेकर पर्यावरण में रासायनिक उत्सर्जन के मापन और समुद्र की गहराई या फिर पहाड़ की ऊँचाई का पता लगाने के लिए भी मापन का अत्यधिक महत्व है। मशीनों और प्रौद्योगिकी के विकास में भी भूमिका बेहद अहम है।