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देश के लिए आर्थिक बोझ है बार बार नोट बदलना: बी पी सिंह रावत

मिर्जापुर।

जिस देश के 85 लाख एनपीएस कार्मिक अपने बुढ़ापे का सहारा पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए देश की सड़को पर आंदोलनरत हो और उस देश में मंहगाई और बेरोजगारी चरम सीमा पर हो। ऐसे समय में केंद्र सरकार के द्धारा बार बार नोट बदलना  देश हित में ठीक नही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत ने कहा है कि जब 2000 रुपए का नोट बाजार में उतारने का निर्णय लिया गया था, तो उस समय  केंद्र सरकार को गंभीरतापूर्वक सोचना चाहिए था कि इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे? क्योंकि मुद्रा को बाजार में उतारने से पहले मुद्रा को बनाने में भी बहुत बड़ा खर्चा आता है। इस तरह बार बार नोट बदलने से देश पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, जिसके परिणाम स्वरूप देश की आम जनता को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत ने कहा है कि एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी तत्काल इस तरह के बिना सोचे समझे कई बड़े निर्णय लेते है, दूसरी तरफ देश के 85 लाख एनपीएस कार्मिक पुरानी पेंशन बहाली  मांग के लिए दिन रात संघर्ष कर रहे है, देश की सड़को पर पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए अनेकों आंदोलन कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक शब्द तक नहीं बोला है, जो कि देश के लाखो  एनपीएस कार्मिकों के लिए चिंता का विषय है।

बी पी सिंह रावत ने कहा है कि देश के 85 लाख एनपीएस कार्मिकों के हित में पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया जाता है, तो देश की आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी। सरकार और कार्मिकों को लाभ मिलेगा, जिससे देश में विकास के दरवाजे खुल जायेंगे। पुरानी पेंशन बहाली के  ऐतिहासिक निर्णय से देश के एनपीएस कार्मिक दुगनी ऊर्जा से काम करेगे, जिससे देश आगे बढ़ेगा।

बी पी सिंह रावत ने कहा है कि नोट बंदी का निर्णय केंद्र सरकार का पहले भी देश हित में नहीं था और  अब भी देश हित में  नहीं है। कोई भी बड़ा निर्णय लेने से गंभीरतापूर्वक विचार होना चाहिए। बी पी सिंह रावत ने जोर देकर कहा है कि बड़ा दुर्भाग्य है कि जो अर्थशास्त्री सरकार को सुझाव दे रहे है वे सरकार की चाटुकारिता में चूर हो चुके है। ऐसे अर्थशास्त्री बताते है कि एनपीएस व्यवस्था ठीक है और पुरानी पेंशन लागू करने से देश पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इन्ही अर्थशास्त्रीयो की वजह से आज देश की जनता को और देश के 85 लाख एनपीएस कर्मचारी शिक्षक अधिकारी डाक्टर नर्स स्वास्थ्य कर्मी सफाई कर्मी बैंक कर्मी पुलिस कर्मी रेलवे कर्मी पैरा मिलिट्री के जवानों को आर्थिक स्थिति से जूझना पड़ रहा है। जिससे देश के 85 लाख एनपीएस कार्मिक हर रोज सड़को पर आंदोलन के लिए उतर रहे हैं।

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