विन्ध्य न्यूज ब्यूरो, अहरौरा (मीरजापुर)।
अहरौरा थाना क्षेत्र में ग्राम सोनपुरपुर है जो पहाड़ी इलाका है। यहाँ कई क्रेशर प्लांट है। कई खदान हैं। खदानों में से बड़े पैमाने पर ढोका, गिट्टी, पटिया, चौका पत्थर के तराशे व बनाये जाते हैं। इन खदानों में भारी मशीनों जैसे जे बी सी, पोकलैन आदि का उपयोग किया जाता है। पत्थरों में होल करने वाली मशीनों से शक्तिशाली विस्फोटकों का उपयोग किया जाता है जिससे पत्थर छोटे – छोटे टुकड़ों में हो जाय और खदान मालिक जल्द से जल्द अपने कामों में उपयोग कर सके। खदानों में विस्फोटक सम्बन्धित नियमों की अह्वेलना की जाती है क्योंकि किसी अधिकारी की उपस्थिति में यह विस्फोट नहीं कराया जाता है बल्कि पेशेवर मजदूरों से काम होता है। विस्फोट इतना तगड़ा होता है कि विस्फोट के बड़े पत्थर करीब पच्चासों मीटर की ऊंचाई छूती है और कभी दो सौ मीटर के परिधि में फैल जाता है।मजदूर.वर्ग घायल होते रहते थे, मौते भी इधर हुई है। आवाजों की तेजी से पक्के मकान पांच सौ मीटर की दूरी वाले भी दरक जाते हैं, छते फट जाती हैं। बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। कान बहरे हो जाते हैं। सीने में दर्द होने लगता है। यह सब मात्र कुछ महिने पहले देखने को अक्सर मिलता था। इस प्रकार के आरोपों से शासन प्रशासन दोनों के खिलाफ आवाज उठने लगी। यहाँ तक सोनपुर की घटनाओं को माननीय उच्च न्यायालय ने भी अपने मुख्य जांच विन्दु के रूप में लिया था। कुछ दिन मानक के अनुरूप कार्य न कर पाने की मजबूरी में पाषाण विभाग से खनन पट्टा और विस्फोट कराने और उसके रखरखाव के लिए सम्बन्धित विभागों से आदेश जुटा लायें। इन दोनों विभागों ने पाषाण माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जिससे माननीय न्यायालय ने फटकार लगाते हुए ढंग से होते कार्यों पर अपनी पैनी निगाह बनायें रखी।
आज एक बार फिर सोनपुर विस्फोट दहला। उड़ते पत्थर ने गरीब मजदूर उमा देवी पत्नी सीताराम निवासी सोनपुर को घायल कर दिया। एक तीन वर्षीया छोटी बच्ची भी विस्फोट के पत्थर से लगी चोट दिखाने लगी। वहाँ स्थिति भयावह थी। लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। घायल चूंकि गरीब थी सो एस ओ अहरौरा को फोन करके घटना की सूचना दी। प्रशासन ने जनता के विद्रोही स्थिति को सम्भालते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अहरौरा अपनी गाड़ी से भेजा। एस ओ और उनकी टीम पैदल ही हो गयी। रोड़ को घेरे बंदी किये गरीब ग्रामीण मजदूर अपने घरों की ओर लौट गये।
अब प्रशासन इस मसले को कैसे निपटायेगी, यह तो आने वाला समय तय करेगा क्योंकि पाषाण विभाग सिर्फ हाथ मजदूरी हेतु पट्टे का आदेश देती है और विस्फोट सम्बन्धित विभाग जांच में रखेगी अगर पीड़ित ने जांच की मांग की तो। पुलिस विभाग को भी एफ आई आर का इंतजार रहेगा जिस पर वह सम्बन्धित विभागों से आख्या मांग कार्यवाही करेगी तब तक घायल मजदूर इलाज के अभाव में समझौता करेगा वर्ना दम तोड़ देगा।