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मिर्जापुर।
मुख्य विकास अधिकारी श्रीलक्ष्मी वीएस द्वारा संयुक्त मण्डलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी-2023 में सर्वप्रथम जनपद की खरीफ रणनीति प्रस्तुत की गई जिसके तहत खरीफ 2023 में जनपद में कुल आच्छादन का लक्ष्य 100422 हे0, उत्पादन लक्ष्य 275895 मी0टन तथा उत्पादकता 27.47 कु0/हे0 प्रस्तावित है। जिसमें मुख्य फसल धान का आच्छादन लक्ष्य 60792 हे0, उत्पादन लक्ष्य 225163 मी0टन है एवं उत्पादकता 37.04 कु0/हे0 का लक्ष्य प्रस्तावित है। जनपद में कुल विभिन्न फसलों के 16889.37 कु0 बीज वितरण किया जायेगा, जिसके सापेक्ष अब तक कुल 17496 कु0 बीज की व्यवस्था की जा चुकी है जो लक्ष्य का 103.59 प्रतिशत है। खरीफ वर्ष 2023 में यूरिया का माह जून के लक्ष्य 2505 मी0टन के सापेक्ष 10766 मी0टन यूरिया उपलब्ध है जो 430 प्रतिशत है। इसी प्रकार डी0ए0पी0 का माह जून के लक्ष्य 2942 मै0टन के सापेक्ष 7645 मै0टन डी0ए0पी0 की उपलब्धता सुनिष्चित कर ली गयी है, जो 260 प्रतिशत है। जनपद में उर्वरक की कोई कमी नहीं है। वर्ष 2022-23 में पी0एम0 कुसुम योजनान्तर्गत जनपद मीरजापुर हेतु 196 सोलर पम्प का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसके सापेक्ष 196 सोलर पम्प की स्थापना कृषको के प्रक्षेत्र पर करा दी गयी है। वर्ष 2023-24 के लक्ष्य अभी प्राप्त है। जनपद में 492 राजकीय नलकूप है, इनमें से 02 यांत्रिक एवं 02 विद्युत दोश से बन्द है। विद्युतध्यांत्रिक दोश से बन्द पडे़ नलकूपो को शीघ्र चालू करने के निर्देश दिये गये है। त्पश्चात् कृषकों द्वारा बताऐ गये समस्याओं एवं उनके द्वारा प्रस्तुत माँगों के सम्बन्ध में निम्नवत् सुझाव दिया गया कृषकों द्वारा जैविक खेती करने वाले कृषकों के उत्पाद का स्थानीय स्तर पर जैविक प्रमाणीकरण के लिए प्रयोगशाला की माँग सम्बन्ध में सुझाव दिया गया कि यदि जनपद स्तर पर जैविक प्रमाणीकरण प्रयोगषाला की स्थापना कर दी जाए तो किसानों को उनके उत्पाद प्रमाणीकरण कराने में सुविधा होगी, जिससे उन्हें अपने उत्पाद का अच्छा मूल्य प्राप्त होगा। कृषकों द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र बरकछा में तैनात कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से प्रत्येक विकास खण्ड के कृषकों को प्रचार-प्रसार एवं जानकारी उपलब्ध कराने की माँग के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया कि यदि जनपद में एक और कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित कर दिये जाए तो सभी विकास खण्डों में तकनीकी एवं वैज्ञानिक प्रचार-प्रसार कराने में सुविधा हो जायेगी। कृषकों द्वारा विकास खण्ड स्तर पर कृशक उत्पादक संगठन के शेयर धारक कृषकों द्वारा नजदीकी मृदा विश्लेशण चाहते है। जिनकी उपलब्धता विकास खण्ड स्तर पर नहीं है के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया कि यदि प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर एक एफ0पी0ओ0 उपलब्ध करा दी जाए तो किसानों को मृदा विश्लेशण कराने में आसानी होगी। कृषकों द्वारा जंगली जानवरों द्वारा हो रहे फसलों की क्षति की समस्या सम्बन्ध में सुझाव दिया गया कि यदि किसानों को सोलर फेन्सिंग 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जाय तो कृशक अपने फसलों की क्षति से बचा सकतें है, जिसकी लागत एक हे0 में लगभग रु01.50 लाख आती है। साथ उन्हें छुट्टे पशुओं को गोवंश आश्रय स्थलों को संरक्षित कराने का सुझाव दिया गया।उक्त गोष्ठी में उप कृषि निदेशक डाॅ अशोक उपाध्याय, जिला कृषि अधिकारी पवन प्रजापति, भूमि संरक्षण अधिकारी (राष्ट्रीय जलागम) एवं अन्य अधिकारियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया।