चुनार, मिर्जापुर।
रिमझिम बरसे बदरिया तीन दिवसीय कजरी कार्यशाला के आयोजन का भब्य समापन समारोह रविवार को ऐतिहासिक किला में स्थित डाकबंगला में एनसीएल के तत्वावधान में एनसीएल के एमडी भोला सिंह की अध्यक्षता में सुप्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी व उनके द्वारा प्रशिक्षित कजरी गायीकाओ द्वारा प्रस्तुत कजरी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ ठुमरी बैठी सोची बृज बाला, नही आए मेरे नंदलाला सुनाकर की गई तत्पश्चात कजरी -रुमझूम के बरसन लागे बदरिया, भौजाई ननद से उसके पती के संबंध में पूछती है कि वह कैसा है कजरी के गीत के माध्यम से कौने रंग विरना, कजरी की पर्याय बनी गीत पिया मेंहदी मगाय दा, मोती झील से, जायके साइकिल से ना,सावन के मौसम में विरह को दर्शाती कजरी बरसन लागी बूंदिया,पिया बीन लागे ना मोर जीया, अवधी कजरी मे कृष्ण के लिलाओ के दर्शाता गीत अरे रामा कृष्ण बने मनीहारी, पहन के साडी़ रे हरि, आई गइले ना कि अब बरखा बहार जिलाधिकारी के फर्मा इस पर विशेष देवी गीत मै बालिका नादान, भवानी तेरी पूजा ना जानू, सिया संग झूले बगीया में राम ललना, राम सिया झूले, लखन झूलावे बगीया में, कइसे खेलन जइबू सावन मे कजरीया, बदरिया घेर आइल ननदी, मीरजापुर कल गुलज़ार हो कि कचौड़ी गली सून कइ लअ बलमू गीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
कार्यक्रम में बीस प्रदेश से आई कजरी शिक्षार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान जिलाधिकारी दिब्यामितत्तल, अपर जिलाधिकारी भू राजस्व सत्यप्रकाश सिंह, पुलिस अधीक्षक संतोष मिश्रा, उपजिलाधिकारी नवनीत सेहारा, अधिशासी अधिकारी राजपति वैश, नायब तहसीलदार अरुण यादव, सोन चीरैया संस्थान की अध्यक्षा दिब्या बिंदु सिंह,मीरजापुर की सुप्रसिद्ध कजरी गायिका उर्मिला श्रीवास्तव, मन्नू यादव, अजीता श्रीवास्तव सहित नगर के तमाम संभ्रांत जन मौजूद रहे।
प्रशिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध कजरी की पहचान मीरजापुर से है इस विधा को एसी के बंद कमरे मे नही बल्कि खुले में प्राकृतिक छटाओ के बीच सिखना व सिखाना चाहिए कजरी की जिवन्तता बनी रहें और विधा को संरक्षित करने के उद्देश्य से तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका भब्य समापन समारोह का आयोजन चुनार दुर्ग में किया गया ।