स्वास्थ्य

उपचार समय से शुरू करने से हेपेटाइटिस हिपैटो सेल्ल्युलर कारसिनोमा तथा सिरोहसिस काम्पलिकेशन को अच्छे से रोका जा सकता है: डा आरबी कमल

0 वर्ल्ड हिपेटाइटिस दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम: थीम “वन लिवर वन लाइफ” पर वरिष्ठ चिकित्सको ने रखा विचार

0 भारत में वर्ष 2015 में हिपेटाइटिस से मृत रोगियों की संख्या 1 लाख 98 हजार 874 थी
मिर्जापुर।

मंडलीय जिला चिकित्सालय मिर्जापुर के सभागार मे 28 जुलाई शुक्रवार को वर्ल्ड हिपेटाइटिस दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम थीम “वन लिवर वन लाइफ” पर रखी गयी। जिसमे वायरल हिपेटाइटिस एवं प्रोब्लम स्टेटमेन्ट (डिसीज़ बर्डन) पर वरिष्ठ चिकित्सको ने अपने विचार रखे।

मुख्य अतिथि मा विन्ध्यवासिनी स्वायतशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य डा आरबी कमल ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा वर्ष 2010 में वायरल हिपेटाइटिस को सार्वजनिक जनस्वास्थ्य समस्या स्वीकार किया गया तथा वर्ष 2015 में हिपेटाइटिस की रोकथाम एवं नियन्त्रण को सतत विकास लक्ष्य 2030 में सम्मलित किया गया।

वर्ष 2015 में 13 लाख 40 हजार रोगियों की मृत्यु हिपेटाइटिस रोग से हुई, जिसमें 96% मृत्यु का कारण हिपेटाइटिस B तथा C ज्ञात हुआ। दीर्घकालिक हिपेटाइटिस रोगियों की मृत्यु हिपैटाइटिस B तथा C के कॉम्पलिकेशन्स जैसे लिवर सिरोहसिस तथा हिपैटोसेल्ल्युलर कारसिनोमा से हुई, जिनकी संख्या 7,20000 तथा 4,70000 क्रमश रही।
बताया कि भारत में हिपेटाइटिस B पॉजिटिव जनसंख्या 2 से 8% तक अनुमानित की गयी है, जबकि जनजातीय समूहों में यह प्रतिशत संख्या 21.2% तक ज्ञात हुई है।

चिकित्सको ने बताया कि भारत में वर्ष 2015 में हिपेटाइटिस से मृत्यु होने वाली रोगियों की संख्या 1 लाख 98 हजार 874 ज्ञात हुई। उचित पर रोगियों की जाँच कर उपचार समय से शुरू करने से हिपैटो सेल्ल्युलर कारसिनोमा तथा सिरोहसिस काम्पलिकेशन को अच्छे से रोका जा सकता है, यदि सिरोहसिस अथवा कैन्सर हो जाता है अधिक खर्च ट्रीटमेन्ट तब पर होने के बाद भी प्रोग्नोसिस अच्छी नहीं रह पाती है।

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