मिर्जापुर।
जी डी बिनानी पी जी कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रोजेक्ट यूथ फ्रेंडली क्लीनिक सिफ्सा के संयुक्त तत्वाधान में मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन एवं जीवन कौशल का ज्ञान विषय पर संवेदीकरण कार्यशाला के 8 वें चरण में इतिहास विभाग की 50 छात्र छात्राओं को प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला के प्रारंभ में प्राचार्य प्रो वीना सिंह एवं डा राहुल सिंह (डिस्ट्रिक्ट मेंटल हेल्थ टीम) ने सरस्वती मां के समक्ष दीपक जला कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया। फिर सिफ्प्सा के नोडल ऑफिसर डॉक्टर ऋषभ कुमार ने प्रतिभागी छात्र छात्राओं को सिफ्सा एजेंसी के पूर्ण स्वरूप से अवगत कराया तथा कार्यशाला के उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी। कहाकि जब शरीर और मन स्वस्थ होगा तभी हम देश और समाज की प्रगति में योगदान देकर स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकेंगे।
तत्पश्चात डॉ राहुल सिंह ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को बताया। उन्होंने बताया कि विपरीत परिस्थितियों जैसे डिप्रेशन, घबराहट, धड़कनें तेज होना, मूड स्विंग्स होना स्ट्रेस और डिप्रेशन की वजह से सुसाइडल विचारआते है, लेकिन ऐसे विचारों से मुकाबला करना, जिससे डर हो उसको धीरे धीरे फेस करना, रिक्रेशनल एक्टिविटी में भाग लेकर अपने दिमाग को प्रोत्साहित करना एक्सरसाइज करने आदि के बारे में बताते हुए बताया कि ये सब करने से आप मानसिक रूप से स्वस्थ्य रह सकते हैं। साथ ही यह भी बताया कि एंजाइटी, डिप्रेशन और स्ट्रेस आपस में इंटरलेटेड हैं और इनको हम सकारात्मक सोच से कम कर सकते हैं। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए दिव्या यादव ने मानसिक स्वास्थ्य तथा जीवन कौशल के विषय में जानकारी दी साथ ही तनाव प्रबंधन के उपाय बताया। तत्पश्चात अभिषेक मौर्य ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण एवं पहचान संबंधी जानकारी दी जैसे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसोरेडर, स्लीप डिसऑर्डर आदि के बारे में बताया। उसके बाद राजीव सिंह ने विद्यार्थियो को मानसिक भ्रांतियों एवं मिथक के बारे में बताया तथा साथ ही स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी परेशानी होने पर व्यक्तिगत रूप से उन्हें उनके समाधान दिए जाने का आश्वासन दिया गया और बताया कि उनकी समस्या गोपनीय रखी जायेगी। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रो राजमोहन शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बच्चों को उत्साहित किया और कहा कि युवावर्ग किसी भी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और बताया कि इतनी अपेक्षायें होती हैं परिवार को, सगे संबंधियों को जिसकी वजह से युवा स्ट्रेस और एंजायटी में चले जाते हैं, लेकिन जब ऐसा कुछ होता है तो आपको सकारात्मक सोच रखना है। कार्यशाला में आशुतोष तिवारी, प्रो वंदना मिश्रा, प्रो सुशील त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।