मिर्जापुर।
31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का जनपद स्तरीय आयोजन 27 अक्टूबर को सेन्ट मैरी स्कूल पीली कोठी के सभागार मे किया गया है। इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार एवं प्रदेश समन्वयक (पूर्वी उ०प्र०) वालेण्टरी इन्स्टीच्यूट फॉर कम्यूनिटी एप्लाइड साइन्स (विकास) ने इस वर्ष का थीम ‘स्वास्थ्य और कल्याण के लिये पारितन्त्र को समझना’ विषय रखा है। आयोजन समिति के अध्यक्ष अमरनाथ सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक मीरजापुर एकेडमिक समन्वयक डॉ० जय पी० राय (कृषि वैज्ञानिक राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बीएचयू बरकछा, मीरजापुर), जिला समन्वयक सुशील कुमार पाण्डेय (प्रवक्ता भौतिकी कालेज, मीरजापुर) ने बताया कि आयोजन प्रभारी जैकब बोना डिसयूजा प्रधानाचार्य सेन्ट मैरी स्कूल पीली कोठी को बनाया गया है।
जिला एकेडमिक समिति मे एकेडमिक समन्वयक डा० जय पी० राय कृषि वैज्ञानिक / एसोसिएट प्रोफेसर कृषि विज्ञान केन्द्र रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, सहसमन्वयक डा० एस०के० गोयल कृषि वैज्ञानिक / एसोसिएट प्रोफेसर कृषि विज्ञान केन्द्र रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, एकेडमिक और निर्णायक मण्डल मे चन्द्रमा प्रसाद ओझा पूर्व प्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज मीरजापुर, डा० एस०एन० सिंह कृषि वैज्ञानिक एसोसिएट प्रोफेसर कृषि विज्ञान केन्द्र रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० सुबेदार यादव असि० प्रोफेसर रसायन विज्ञान राजकीय पी०जी० कालेज चुनार, डा० श्रवण कुमार असि० प्रोफेसर रा०गा०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० पवन कुमार आनन्द असि० प्रोफेसर रा०गा०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० गिरिश टंटुवे असि० प्रोफेसर रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० सविता देवांगन असि० प्रोफेसर रा०गा०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० अरिदिथ शंकर असि० प्रोफेसर रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० रजत वाष्णेय असि प्रोफेसर रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० सौरभ करूणामय असि० प्रोफेसर रा०गा०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० स्नेहल चक्रवर्ती असि० प्रोफेसर रा०गा०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० आसमा मुयाल असि० प्रोफेसर रा०गा०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० आशीष लतारे असि० प्रोफेसर रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० अवधेश शर्मा असि० प्रोफेसर रा०गा० द० प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० अनितोश कुमार एसोसिएट प्रोफेसर रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० श्रीधर के०एस० असिo प्रोफेसर रा०गां०द०प० बी०एच०यू० बरकछा, डा० तुलसी रमन पी० असि० प्रोफेसर रा०गा० द०प० बी०एच०यू० बरकछा को शामिल किया गया है।
जिला आयोजन समिति मे ये है शामिल
जिला आयोजन समिति के संरक्षक मण्डल मे डा० भूपेन्द्र कुमार सिंह प्राचार्य/उपशिक्षा निदेशक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पटेहरा कला, डा० के०एन० त्रिपाठी (भू० विभागाध्यक्ष गणित) केबीपीजी० कालेज मीरजापुर एवं डा० आर०पी० मिश्रा पूर्व राज्य सह समन्वयक रा०बा०वि० कांग्रेस उ०प्र० है। अध्यक्ष अमरनाथ सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक मीरजापुर, उपाध्यक्ष अनिल कुमार वर्मा बेसिक शिक्षा अधिकारी मीरजापुर, सचिव कार्यक्रम राज कुमार दीक्षित प्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज मीरजापुर, आयोजन प्रभारी जैकब बोना डिसयूजा प्रधानाचार्य सेन्ट मेरीज स्कूल पीली कोठी मीरजापुर, उप समन्वयक सत्यनारायण प्रसाद सेवानिवृत्त उप प्रधानाचार्य नगरपालिका इण्टर कालेज अहरौरा, जिला समन्वयक सुशील कुमार पाण्डेय प्रवक्ता भौतिक विज्ञान गुरूनानक इण्टर कालेज आवास विकास कालोनी मीरजापुर, जिला उप/सह समन्वयक विमलेश कुमार अग्रहरि सहायक अध्यापक कम्पोजिट विद्यालय करौदा मड़िहान मीरजापुर बनाए गये है। प्रचार-प्रसार मण्डल मे रामलाल साहनी, शिवराम शर्मा, संजय श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार अग्रहरी को शामिल किया गया है। सलाहकार मण्डल मे डा० श्रीराम सिंह (अध्यक्ष के0वी0के0 बी0एच0यू0 बरकछा), गुलाब चन्द तिवारी, मोहन लाल आर्य, अमरेश चन्द मिश्र, रामजी त्रिपाठी, प्रकाश चन्द्र, जय सिंह उपप्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज मीरजापुर एवं श्रीमती राधिका मिश्रा शामिल है।
2022 में राज्य स्तरीय में जिले से चार टीमे, राष्ट्रीय मे शेमफोर्ड के शिवम जायसवाल ने किया था प्रतिभाग
शिवम जायसवाल (सीनियर वर्ग) शेमफोर्ड स्कूल बसही मीरजापुर ने मार्गदर्शक शिक्षक अनिल कुमार यादव के सानिध्य मे, अस्मिता सिंह (सीनियर वर्ग) सेन्ट थामस स्कूल लोवर लाइन चुनार मीरजापुर ने मार्गदर्शक शिक्षक प्रभाकर नाथ शुक्ला के सानिध्य मे , अंशिका दूबे (जूनियर वर्ग) कम्पोजिट विद्यालय देवरी आमघाट मीरजापुर ने मार्गदर्शक शिक्षक श्रीमती निधी सिंह के सानिध्य मे और ठाकुर दिग्विजय सिंह (जूनियर वर्ग) वर्धमान पब्लिक स्कूल मीरजापुर ने मार्गदर्षक शिक्षक धीरेन्द्र प्रताप सिंह के सानिध्य मे प्रतिभाग किया था। 2022 में राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित बाल वैज्ञानिक शिवम जायसवाल शेमफोर्ड स्कूल बसही मीरजापुर ने जिले का नाम रौशन किया था।
जाने, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस क्या है?
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (राबाविका) एक आयोजन है, जो सम्पूर्ण देश के 10 से 17 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को उनकी वैज्ञानिक अभिरूचि को उजागर कर अपनी धारणाओं एवं संकल्पनाओं को मूर्तरूप प्रदान करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत बच्चे नई खोज कर सकते है। इससे वे अपनी वैज्ञानिक चेतना एवं अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर अपनी संकल्पनाओं की सत्यता परख सकते हैं। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन प्रतिवर्ष 27 से 31 दिसम्बर तक होता है. जिसमें जनपदीय एवं प्रान्तीय स्तर पर सूक्ष्म एवं सघन सन्निरीक्षा द्वारा चयनित लगभग 500 विज्ञानी बच्चे सहभागिता करते हैं। यह वैज्ञानिक गतिविधियों पर गंभीर वैचारिक मन्धन का सक्रिय किन्तु आनन्दप्रद पाँच दिवसीय सत्र होता है।
बाल विज्ञान कांग्रेस क्यों? हम सभी महसूस करते है कि आज पिक्षा व्यावहारिक और सामाजिक सन्दर्भों से दूर हटती जा रही है आज उच्च पिक्षित व्यक्ति भी अपने आस-पास घट रही घटनाओं एवं स्थिति को पूरी तरह नहीं समझ पाता। आये दिन हमारे समाज में ऐसी ढेर सारी समस्यायें आती हैं, जिनका समाधान समुचित सर्वेक्षण, अध्ययन एवं विश्लेषण के माध्यम से सही दिशा में उचित प्रयास करके सहज ही किया जा सकता है। हम यह भी देखते हैं कि हमारे चारों ओर कितने ही संसाधन विभिन्न रूपों में बिखरे पड़े है जिनकी व्यवस्थित पहचान तथा प्रबन्धन न होने के कारण उनका सन्तुलित और समुचित उपयोग, समाज के हित में नहीं हो पाता। ऐसी ही अनेक बातें आये दिन समाज में देखने को मिलती हैं और पिक्षित वर्ग आज भी इसे किंकर्तव्यविमूढ देख रहा है तथा इस मामले में अपने को कुछ भी करने में असमर्थ पा रहा है।
इन सारी बातों पर विचार करके बच्चों को देष के आदर्श एवं सक्षम नागरिकों के रूप में विकसित करने के लिए एक पूरक पिक्षा पद्धति के विकल्प के रूप में स्कूल, जिला, प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जाता है।
बाल विज्ञान कांग्रेस का यह है उद्देष्य
● औपचारिक पिक्षा और व्यवस्था मे अनौपचारिक तथा सार्थक हस्तक्षेप। बच्चों की प्राकृतिक जिज्ञासा एवं सृजनात्मक को विकसित करने का अवसर प्रदान करना।
● विज्ञान सीखने की प्रक्रिया को आस-पास के परिवेष वातावरण एवं पर्यावरण से जोड़ना।
● बच्चों को अपने राष्ट्र के भविष्य के प्रति सार्थक तथा उपयोगी सपने संजोने एवं उन्हें साकार करने के लिये प्रोत्साहित करना।
● पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों के समझकर विज्ञान विधि (अवलोकन, सर्वेक्षण, प्रयोग एवं विश्लेषण के पष्चात् निष्कर्ष पर पहुँचने की प्रवृत्ति) के माध्यम से क्षेत्रीय / राष्ट्रीय समस्याओं का आकलन पर समाधान हेतु
● प्राथमिकतायें सुनिष्चित करके समाधान के प्रयास करना। विज्ञान विधि का परिवेष से जुड़ाव तथा इसकी व्यवहारिकता को वर्तमान षिक्षण व्यवस्था का अंग बनाना।
● बच्चों को संवेदनषील और जिम्मेदार नागरिक बनाना। जन-जन में वैज्ञानिक प्रवृत्ति विकसित करना। सीखने की सहभागी प्रक्रिया विकसित करना। सामाजिक सहभागिता लेकर समाज के प्रति संवेदनश्पीलता का विकास करना।