परशुराम लक्ष्मण संवाद का हुआ मंचन।
हलिया
विकास खंड के कोटा शिव प्रताप सिंह के रामलीला मैदान में चल रहे पंद्रह दिवसीय रामलीला मंचन के छठवें दिन परशुराम लक्ष्मण संवाद राम लीला का मंचन कुशल कलाकारों द्वारा किया गया। भगवान श्री राम द्वारा धनुष टूटने की टंकार सुनकर क्रोधित हुए परशुराम राजा जनक के दरबार में पहुंचे।जहां राजाओं से धनुष तोड़ने की जानकारी लेना चाहे। परशुराम धनुष मंडप में पहुंचकर क्रोधित होकर के पूछते हैं कि शिव का पुराना धनुष किसने तोड़ा शिव धनुष को तोड़ने वाला अपराधी राज दरबार से अलग हो जाए नहीं तो सभी राजा मारे जाएगे। भगवान राम ने कहा कि शिव धनुष तोड़ने वाला आपका दास ही होगा। इसके बाद
परशुराम व लक्ष्मण के साथ संवाद शुरू हुआ अंत में श्री राम ने परशुराम को समझाते हुए कहा कि मेरा नाम केवल राम है और आप परशुराम हैं आप हमसे सदैव बड़े हैं। परशुराम के कहने पर भगवान राम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हैं।दिए जिस पर परशुराम परब्रह्म होने की परिक्षा लेने के बाद तपस्या के लिए महेंद्र गिरी पर्वत पर चले जाते है।
इसके बाद विधि विधान से सीता राम के विवाह के साथ भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न का विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान महिलाओं ने सोहर गीत एवं मंगल गीतों का गान कर उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया तथा जय श्री राम सीता राम के नारे लगने लगे। रामलीला मंचन के दौरान मंडली प्रबंधक सुरेन्द्र कुमार सिंह, प्रिंस सिंह शिवेंद्र प्रताप सिंह कमलेश कुमार मिश्रा ओंकार नाथ पांडेय सहित भारी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।