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रिहायशी इलाकों में पटाखों की बिक्री, गोदाम के बजाय दुकानों पर स्टाॅक, जिम्मेदार देख सुनके भी बने है अंजान

अवैध तरीके से तैयार हो रहा पटाखों का जखीरा/बड़े हादसे के फिराक में है लगता जिला प्रशासन

शहरी रिहायशी इलाकों में त्योहार को देखकर मकान, दुकान को बना रहे गोदाम

मिर्जापुर। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश व सुरक्षा को ताक पर रखकर शहर के बाजारों में पटाखे की दुकानें सज गई हैं। इन दुकानों में आग से सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। नियम के विपरीत दुकानों पर ही स्टाक भी रखा जा रहा है जबकि दुकानों में केवल सैंपल होने चाहिए, स्टाक शहरी आबादी आवासी रिहाइशी इलाके से दूर होना चाहिए। पर कई पटाखे व्यापारी रिहाइशी इलाके से गोदाम दूर होना बताकर या तो दुकान पर ही रिहाइशी इलाके में ही घरों में ही पटाखों का स्टाक रख रहे हैं।

कई हादसे के बाद भी मिर्जापुर प्रशासन की छूट

लापरवाही के कारण लगभग 7 साल पहले पटाखा दुकान में आग लगने की बड़ी घटना हुई थी। जहां संकरा रास्ते रिहाइशी इलाका होने के कारण दुकान तक दमकल गाड़ी नहीं पहुंच पाई थी। आग बड़ी कश्मकश के बाद बुझाई जा सकी थी। इधर देश में पूर्व में इतने बड़े हादसे हो जाने के उपरांत भी प्रशासन ऐसे व्यापारियों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। यह विचारणीय है, जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अवहेलना माना जा सकता है।

पटाखे की दुकान को बना दिया गोदाम
शहरी रिहाइशी इलाकों में पटाखों का स्टाक कोई स्थानों पर रखा है। अधिकांश बड़े व्यापारी पटाखा शहर के अंदर ही डंप कर रहे हैं। विशेष सूत्र बता रहे है की सिटी कोतवाली, कटरा कोतवाली, देहात कोतवाली क्षेत्र में एक से बढ़ कर एक व्यापारी का पटाखा भारी मात्रा में रखा है।

इसके अलावा अस्थायी व्यापारियों ने भी खाली मकानों या अपने घरों पर पटाखों का स्टाक रखा है, जहां सुरक्षा इंतजाम कि अगर बात कहें, तो भगवान ना करे की कोई बड़ा हादसा हो। यदि जिला प्रशासन और पुलिस अफसर संयुक्त रूप से जांच-पड़ताल करें, तो शहर के गली मुहल्ले मे अवैध पटाखों का जखीरा मिल सकता है।

चोरी छुपे बिक रहा पटाखा, शिकायत का कर रहे जिम्मेदार इंतजार
बिक्री शुरू है, फिर भी जिम्मेदारों को शिकायत का इंतजार है। दिवाली त्योहार कल है। ऐसे में शहर के बाजार में त्योहारी भीड़ शुरु हो गई हैं। रोजाना बड़ी संख्या में लोग अन्य सामान के साथ पटाखे की खरीदी महंगे दामों पर कर रहे हैं। रिहाइशी इलाकों और घने बाजारों के बीच यह कारोबार बेरोकटोक चल रहा है। लेकिन प्रशासन कार्रवाई करने की बजाय शिकायतों का इंतजार कर रहा है। अब तक अवैध रूप से पटाखा संग्रहण करने वालों पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति भी नही की गई है। लाइसेंस शर्तों के अनुसार स्टाक सीमा, भंडारण स्थल, सुरक्षा इंतजाम आदि का उल्लेख पर व्यापारी इनका पालन कर रहे हैं या नहीं, यह जांचने की फुर्सत नहीं जिला प्रशासन को।

कटरा कोतवाली क्षेत्र में अवैध रूप से बनता है पटाखा, पटाखे और बारूद के स्टाॅक की नहीं होती जांच
पटाखा के लिए लाइसेंस जारी कर जिला प्रशासन इतिश्री कर लेता है। संबंधित व्यवसायी नियमों के तहत 400 किग्रा बारूद रख सकता है। लाइसेंस जारी करते समय आवेदन में यह स्पष्ट रुप से लिखा रहता है, लेकिन लाइसेंस जारी करने के बाद उच्चाधिकारी कभी भी कड़ाई से जांच नहीं करते। लाइसेंस से कितना पटाखा बन रहा, कितना बारूद स्टोर किया गया है, इसकी भी नियमित जानकारी नहीं ली जा रही है। पर वही अगर बात करें कटरा कोतवाली परिक्षेत्र के छोटकी मिर्जापुर की, तो यहां पटाखों का जखीरा तैयार किया जाता है।

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