मिर्जापुर।
महिला समन्वय विंध्याचल विभाग के तत्वावधान मे महिलाओं के लिए बहुउद्देशीय कार्यक्रम “मातृशक्ति संगम” का आयोजन रविवार को नगर के बड़ी बसही स्थित “सेम्फोर्ड स्कूल” में संपन्न हुआ। इस दौरान मिर्जापुर, चुनार एवं भदोही के लगभग 2000 से अधिक महिलाओं ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के चहुमुखी विकास, भारतीय चिन्तन में महिला, महिलाओं की स्थानीय समस्या, स्थिति एवं समाधान, देश के विकास में महिलाओं की भूमिका इत्यादि विषयों पर रहा।
तीन सत्रो में सम्पन्न इस संगम के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान जी (इलाहाबाद हाईकोर्ट) एवं विशिष्ट अतिथि मंजू द्विवेदी जी (प्रांत संयोजिका काशी प्रांत) व मुख्य वक्ता डॉक्टर सुनीता चंद्रा (कुलसचिव- तिब्बती विश्वविद्यालय वाराणसी) रही, जबकि अध्यक्षता शिप्रा जी ने किया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉक्टर आनंद प्रभा प्रांत संयोजिका मातृशक्ति संगठन तथा परिचय व अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर बीना सिंह जी प्राचार्या जीडी बिनानी पीजी कॉलेज मीरजापुर तथा संचालन डॉक्टर नीलम प्रभात जी ने किया।
द्वितीय सत्र में उक्त अतिथिगण की उपस्थिति रही एवं अध्यक्षता डॉक्टर शीला सिंह जी प्राचार्य ज्ञानन्द कॉलेज मीरजापुर ने किया। तृतीय एवं अंतिम सत्र की अध्यक्षता श्रीमती प्रियंका निरंजन जी जिलाधिकारी मीरजापुर ने किया। मुख्य वक्ता डॉक्टर नीलम गुप्ता जी रही। कार्यक्रम प्रस्तावना डॉक्टर मंजू द्विवेदी जी ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर सामाजिक एवं विभिन्न क्षेत्रों में कार्यशील व अपने देश प्रदेश का नाम रोशन करने वाली विभिन्न महिलाओं को न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान, डॉक्टर सुनीता चंद्रा एवं श्रीमती बीना सिंह द्वारा सम्मानित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र से श्रीमती कल्याणी देवी जी, खेल जगत से श्रीमती निधी सिंह पटेल जी, श्रीमती उर्मिला वासी जी, स्वावलंबन के क्षेत्र में श्रीमती नंदिनी मिश्रा जी, श्रीमती प्रज्ञा बिन्द जी और कृषि क्षेत्र में श्रीमती तेजा देवी को सम्मानितकिया गया।
कार्यक्रम में माया अवस्थी, ज्योति श्रीवास्तव, नंदिनी मिश्रा इत्यादि महिलाओं के द्वारा विभिन्न उत्पादों के स्टाल लगाए गए।
कार्यक्रम की व्यवस्था में प्रभा पांडेय, सुषमा गुप्ता, उमा पांडेय, अल्का दुबे, डॉ सुनीता त्रिपाठी, दीपा उमर, ऊमा बरनवाल, संगीता मिश्रा इत्यादि लगी रही। अंत में जिला संयोजिका श्रीमती डाली अग्रहरी ने कार्यक्रम में उपस्थित समस्त मंचासीन पदाधिकारियों, कार्यक्रम की व्यवस्था में लगी बहनों तथा तीनों जिलों से कार्यक्रम में उपस्थित समस्त बहनों, पत्रकार बंधुओ, कार्यक्रम स्थल, सेम्फोर्ड स्कूल के विद्यालय परिवार तथा कार्यक्रम में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले समस्त लोगों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का समापन सुश्री प्रियंका जी द्वारा वंदे मातरम, गीता का गायन करके किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्र सेविका समिति काशी प्रांत की प्रांत कार्यवाहिका माया पांडेय जी, विभाग कार्यवाहिका संध्या त्रिपाठी जी, जिला कार्यवाहिका चम्पा जी, सह जिला कार्यवाहिका नीलम यादव जी, डॉ मंजूलता जायसवाल जी, सीता ऊमर जी, रजनी गुप्ता जी, राखी जी, निर्जला कसेरा जी, सूर्या दूबे जी, अजोरा देवी जी, सपना दुबे जी, अर्चना सिंह जी, रीतू केसरी जी, सुमन यादव जी, रीता देवी जी, डॉक्टर रीतू सिंह जी, प्रियंका जैसवाल जी, रेनू पांडेय जी, पूनम मौर्या जी, सुनीता शर्मा जी, संध्या सिंह जी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम पालक के रूप में जिला संघचालक शरद चंद्र जी (मीरजापुर), गौतम जी (चुनार), राजेंद्र जी (भदोही), विभाग संघचालक तिलकधारी जी एवम प्रतोष जी विभाग प्रचारक, विंध्याचल विभाग उपस्थित रहे। यह जानकारी कार्यक्रम मीडिया प्रभारी श्रीमती संगीता मिश्रा ने दिया।
बच्चो को समय देकर संस्कार दीजिए, दूसरे की तरक्की को अपना समझें: न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अपने उदबोधन मे कहाकि मातृशक्ति का एहसास कराने के लिए महिला समाज को आगे आना होगा। लडकियो के पैदा होने पर खुशी मनाएं, उनके एजुकेशन पर ध्यान दें और बेटो के समान ही उनकी शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था करें ताकि बेटियां भी आत्मनिर्भर बन सकें। कश्मीर फाइल्स और केरला स्टोरी जैसी फिल्मे देखिए तो पता चलता है कि अपने बच्चो को संस्कार देना कितना जरूरी है। बच्चो मे हाय बाय और पाश्चात्य सभ्यता की पुट समाप्त कर नमस्ते और पैर छूने की परंपरा जीवंत करनी होगी।
न्यायमूर्ति ने कहाकि अपनी शक्तियो को पहचानने की नसीहत देते हुए उन्होने कहाकि इस साल पीसीएस जे मे 70 प्रतिशत लडकिया सफल हुई है। सामाजिक बुराइयो का प्रतिकार करते के लिए भी खुद को तैयार रखिए। कहाकि वीकनेस हममे है, क्योकि एक महिला परेशान होती है तो दूसरी सपोर्ट के लिए खडी नही होती है। ईष्या की भावना को समाप्त कर दूसरे की तरक्की को अपना समझना होगा।
भारतीय चिंतन मे महिलाओ के गौरवान्वित स्वरूप को करें आत्मसात: डाक्टर सुनीता चंद्रा
डाक्टर सुनीता चंद्रा ने कहाकि महिला समाज के लिए एजुकेशन इम्पारटेंट है। शिक्षा के बल पर ही महिला समाज अपने परिवार सहित ताकतवर था, है और सदैव रहेगा। महिलाओ को सशक्त राष्ट्र निर्माण और नारी शक्ति का एहसास समाज को कराने के लिए भारतीय चिंतन मे महिला के गौरवान्वित स्वरूप को आत्मसात करना होगा।