चुनार, मिर्जापुर।
22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ‘यथार्थ गीता’ का वितरण परमहंस आश्रम सक्तेशगढ मे किया जाएगा। लगभग 5200 वर्ष पहले कुरूक्षेत्र में सृष्टि के सबसे भीषण कौरव-पांडव के बीच हुए अधर्म और धर्म के युद्ध के बीच भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गये अपने अनन्य भक्त अर्जुन को उपदेश की वास्तविक व्याख्या यथार्थ गीता की एक लाख प्रतियों का वितरण 22 जनवरी को होने वाले प्रभु श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर किया जायेगा।
यथार्थ गीता एक ऐसी पवित्र धार्मिक कृति है जो सृष्टि के अनादिकाल से ऋषि-मुनियों वेद – के सार और भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए अर्जुन को उपदेश की वास्तविक व्याख्या है, जिसे कालजयी महाकाल कालबलि से मुक्त चराचर जगत के स्वामी विश्व गुरु विश्व गौरव से सम्मानित परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज द्वारा भगवान के आदेश पर लिखा गया है। मसि कागज छूयो नहिं कलम गह्यों नहिं हाथ महापुरुष कबीर वाल्मीकि पूज्य गुरुदेव भगवान के गुरु महाराज पूज्य परमानंद जी महाराज की ही तरह पूज्य स्वामी जी पार्थिव शरीर से मात्र कक्षा तीन तक ही पढ़ाई किये हैं, लेकिन अवतार वाणी यथार्थ गीता के हर सारगर्भित शब्दों के पवित्र संगम पर आशीर्वाद के फाटक सदा सदा के लिए भक्तों के लिए खुलें है। पवित्र यथार्थ गीता वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने में पूज्य सोहन महाराज जी, दीपक जी, जगदीश दूबे व शिव कुमार आदि उपस्थित रहेंगे। यह जानकारी शक्तेषगढ़ स्थित परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद महाराज जी के भक्त शिवकुमार पांडेय ने दिया है।