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श्री रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा विशिष्टोत्सव कार्ड के अंदर संकल्प संपोषण पुस्तिका मे विराजमान हैं देवरहा बाबा; शुरू से ही श्री राम मंदिर निर्माण के केन्द्रबिन्दु मे रही देवरहा बाबा की भविष्यवाणियां

0 1989 मे प्रयागराज महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद के कैंप मे देवरहा बाबा ने कर दी राम मंदिर बनने की भविष्यवाणी

0 देवरहा हंस बाबा के गुप्त अलौकिक निर्णयों की छाप 2002 से 2023 अभी तक होने वाले महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर निरंतर बनी रही

विमलेश अग्रहरि

मिर्जापुर। 

देवरहा बाबा की भविष्यवाणिया शुरू से ही श्री राम मंदिर निर्माण के केन्द्रबिन्दु मे रही है। वर्ष 1989 मे प्रयागराज महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद के कैंप मे देवरहा बाबा ने राम मंदिर बनने की भविष्यवाणी कर दी थी। कहा था कि अयोध्या रामजन्म भूमि स्थल पर जो सारी भूमि विवादित बनाई गई थी वह हमेशा से भगवान राम की थी, है और रहेगी। इसको कोई भी नकार नहीं सकता। इसमें भविष्य का निर्णय छिपा हुआ था कि इस स्थान पर केवल और केवल राम मंदिर ही बनेगा। बाबाजी का संकल्प आशीर्वाद और भविष्यवाणी थी कि भगवान राम का भव्य मंदिर सर्वसम्मति से, कानून के द्वारा और शांतिपूर्वक रामजन्म भूमि पर ही बनेगा। बाबाजी का सत्य संकल्प और उनकी भविष्यवाणी पूर्ण सत्य हुई और 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अंतिम निर्णय दिया गया कि यह पूरी की पूरी भूमि भगवान राम की है और इस पर केवल राम मंदिर ही बनाया जाएगा।

फरवरी 1990 में श्री देवराहा हंस बाबा जी जब ब्रह्मर्षि श्री देवराहा बाबा जी के दर्शन में वृंदावन गए, तो उन्होंने यह बताया कि वह शीघ्र ही अपना स्थूल शरीर छोड़कर अपने पुराने स्थान ज्ञानगंज हिमालय में चले जायेंगे, वहां के सिद्ध संतो की टोली के वह सरदार हैं, परन्तु भारत की रक्षा के लिए वह अपने सूक्ष्म शरीर और आत्मा से भारत में ही बने रहेंगे। उन्होंने हंस दास बाबा को निर्देशित किया कि अब इन अधूरे कार्यों को जैसे राम जन्मभूमि, कृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ, कैलाश मानसरोवर आदि की कानून के द्वारा शांतिपूर्ण मुक्ति और अखंड भारत का निर्माण और सनातन धर्म को विश्व व्यापी बनाने का कार्य, अब देवराहा हंस बाबा जी को करना होगा। जून 1990 में ब्रह्मर्षि श्री देवराहा बाबा जी ने अपना स्थूल शरीर त्याग दिया। बाबा हंस दास जी विंध्याचल से उनको खोजने ज्ञानगंज तक गए पर ज्ञानगंज के बर्फीले पर्वत के मुहाने पर उनका पैर फिसला और वह हजारों फीट नीचे खाई में गिरने वाले थे, तभी देवराहा बाबा जी ने अपने पूर्व शरीर में प्रकट होकर उनको उठाकर एक स्थान पर बिठाकर यह बताया कि अब तुम्हारी यात्रा यही तक है और तुम वापस विंध्याचल जाकर मेरे शेष कार्यों को करते रहो, मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगा।

 

बाबा जी अपने पूर्व स्थूल शरीर में ही हंस दास जी के समक्ष प्रकट हुए और इस घटना के बाद देवराहा बाबा जी अपने सूक्ष्म शरीर और आत्मा के साथ हंस दास जी की पवित्र काया में प्रवेश कर गए। इस पर काया प्रवेश की अद्भुत घटना के बाद हंस दास जी का नाम ब्रह्मवेत्ता श्री देवराहा हंस बाबा हो गया। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि की मुक्ति और उस पर भगवान राम के मंदिर का निर्माण अलौकिक शक्तियों और विशेषकर हनुमन्तस्वरूप देवरहा तत्व के द्वारा ही करवाया गया है। बाबाजी की परावाणी के शब्द ही साकार घटनाओं में परिवर्तित होकर मूर्त रूप ले चुके हैं। बाबाजी को अपनी अलौकिक शक्ति से यह ज्ञात था कि श्रीराम जन्म भूमि पर ही भगवान श्रीराम का अवतरण त्रेता युग में हुआ था और इसके अलौकिक साक्षी अवध परिक्षेत्र और सरयू माता थी और हैं, पर लौकिक जगत, अलौकिक जगत के साक्षियों और अलौकिक साक्ष्यों का मूल्यांकन नहीं कर सकता है।

बाबाजी यह भी जानते थे की लौकिक जगत की न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका और बौद्धिक जगत केवल लौकिक साक्ष्य को प्रस्तुत करने की बात करता है और अलौकिक तथ्यों को समझने में सामान्य रूप से असमर्थ रहता है। लौकिक साक्ष्य में 1526 के साक्षी और दस्तावेज की मांग मुस्लिम पक्ष के द्वारा बराबर की जा रही थी। 1980 के दशक में हिंदू पक्षों के कुछ घटकों ने यह कहना शुरू कर दिया था की यह न्यायालय का और लौकिक साक्ष्य का विषय न होकर आस्था का विषय है और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को देखते हुए इस पर विधायिका द्वारा कानून बनाकर विवादित भूमि राम मंदिर के निर्माण के लिए सौंप देना चाहिए। बाबाजी ने अपने दिव्य दृष्टि से यह देखा की अगर विधायिका के द्वारा कानून बनाया गया तो धार्मिक तुष्टिकरण करने वाली पार्टियां देश में उन्माद और हिंसा फैला देंगी।

 

अलौकिक जगत में यह निर्णय हुआ कि लौकिक जगत के साक्ष्यों को सामने रखकर न्यायालय के द्वारा ही इसका समाधान कराया जाए। बाबाजी ने अपने दिव्य दृष्टि से यहां उपस्थित लौकिक साक्ष्य को देखा और अपनी वाणी में व्यक्त किया की मैंने मंदिर के सब अवशेष, विवादित स्थल के नीचे होने का पता लगा लिया है और बताया की अगर तुम इसको खोद कर देखोगे तो मंदिर के सारे प्रमाण मिल जायेंगे। खुदाई होने से पहले दो बातें आवश्यक थीं की विवादित ढांचा वहां से हटे और तब कोई निष्पक्ष एजेंसी यहां पर खुदाई करवा कर इसके वैज्ञानिक प्रमाणों को जांच परख करने के बाद अपनी रिपोर्ट में तथ्यों को बताए। पहली पूर्वापेक्षा तो 6 दिसंबर 1992 को पूरी हो गई जब विवादित ढांचा अपने आप गिर गया और स्थान का समतलीकरण हो गया। इस पर बहुत विवाद हुआ पर अंत में कोर्ट के निर्णय के अनुसार ढांचे के गिरने के पीछे कोई योजनाबद्ध कार्यवाही नहीं थी और किसी ने भी कोई आपराधिक साजिश नहीं की थी।

वास्तव में यह घटना बाबाजी की परावाणी निःसृत होने के 9 महीने बाद अपने आप हुई एक आध्यात्मिक घटना थी और इस घटना को महावीर हनुमान जी ने अदृश्य रूप से घटित करवाया था। ब्रह्मर्षि श्री देवरहा बाबाजी उच्च कोटि के हनुमन्तस्वरूप संत थे, हैं और रहेगें। इस घटना के पीछे अलौकिक शक्तियों और अलौकिक ऊर्जा का प्रयोग भगवान की आध्यात्मिक और अदृश्य सत्ता के द्वारा किया गया था। अगर हम सीधी बात बोलें तो इस कार्य के कर्ता ब्रह्मर्षि श्री देवरहा बाबाजी स्वयं थे। ब्रह्मर्षि श्री देवरहा बाबाजी, श्री महावीर हनुमान जी के अंतरंग स्वरूप हैं और कहीं गए नहीं हैं और अपने आप में ही एक महानतम सिद्ध योगी ब्रह्मवेत्ता देवरहा हंस बाबा जी की पवित्र काया में रहते हैं। ब्रह्मर्षि श्री देवरहा बाबाजी ने इस बात का संकेत 1980 के दशक में की हुई भविष्यवाणी में कई बार दिया था जब उन्होंने कहा था की गोल गोल ढांचा सरयू में चला जायेगा।

 

यह भविष्यवाणी कुछ साल बाद 6 दिसंबर 1992 में सत्य हो गई। साक्ष्य को ढूंढने के लिए दूसरी पूर्वापेक्षा यह थी कि कोई निष्पक्ष कानूनी एजेंसी इस पर निर्णय ले और आदेश करे कि समतल स्थल पर खुदाई करके पता लगाया जाए  की वहां पर कोई मंदिर था या नहीं। बाबाजी की परावाणी के अलौकिक शब्दों के द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को अदृश्य रूप से प्रेरित किया गया और उन्होंने 1997 में पुरातत्व विभाग भारत सरकार को निर्देशित किया कि वह यहां वैज्ञानिक तरीके से खुदाई करवा कर साक्ष्यों का पता लगाएं और अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत करें। अगला मील का पत्थर (माइलस्टोन) 2003 में आया जब पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में यह सिद्ध कर दिया की इस स्थल पर वास्तव में एक भव्य मंदिर था और वर्तमान में उसके अवशेष जन्मभूमि के नीचे दबे हुए हैं। चर्चाएं और बहस चलती रही और सात साल बाद 2010 में हाई कोर्ट इलाहाबाद ने यह माना की यहां पर मंदिर होने के सभी साक्ष्य हैं।

पर इसके बाबजूद हाई कोर्ट ने रामजन्म भूमि को तीन भागों में विभाजित कर दिया। यह निर्णय इसलिए लागू नहीं हुआ क्योंकि देवरहा बाबा के द्वारा यह पहले से ही घोषणा कर दी गई थी की समस्त विवादित भूमि भगवान राम की है और उन्हीं की हो कर रहेगी और इसको विश्व की कोई शक्ति नकार नहीं सकती। हाई कोर्ट इलाहाबाद का निर्णय तो रद्द होना ही था पर उनके निर्णय से यह बात सिद्ध हो गई की इस स्थल पर भगवान का एक भव्य मंदिर था।

 

बाबाजी से अनेकों बार पत्रकार पूछते थे कि मंदिर का निर्माण किस दल के द्वारा और कब करवाया जायेगा। बाबाजी तो त्रिकालदर्शी महायोगी हैं और इसको अच्छी तरह जानते थे पर इसको उन्होंने कभी सार्वजनिक नहीं किया। 2002 में बाबाजी ने हम लोगों को स्पष्ट बताया की अब अटल बिहारी बाजपेई और लाल कृष्ण आडवाणी इस देश के प्रधानमंत्री कभी नहीं बनेंगे। ऐसा इसलिए किया गया था जिससे श्रीराम जन्मभूमि के विषय और चीन से भारत की रक्षा के लिए कोई गलत निर्णय न हो जाए। जब 2004 में श्री मोहन भागवत, बाबाजी के विंध्याचल आश्रम में आए तब बाबाजी को ब्रह्मर्षि देवरहा बाबाजी का संकेत हुआ की इनको भारत के

उज्जवल भविष्य के लिए सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से देश का शासक बनाया जाए। बाबाजी के द्वारा इनको भारत के महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए गुप्त रूप से चुन लिया गया और इसके लिए आशीर्वाद दिया गया। बाबाजी को फिर ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा का निर्देश हुआ की भारत को एक मजबूत संकल्प शक्ति से युक्त और भारत के प्रति पूर्ण समर्पित शासक को केंद्र में लाने के लिए तैयार किया जाए और यह शासक 2006 में हुए निर्णय के अनुसार गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी थे। बाबाजी ने अगले 8 वर्षों में श्री मोदी को अनेकों बार प्रसाद भेज कर उनके अंतरग में आध्यात्मिक ऊर्जा का शक्तिपात किया और अततः श्री मोदी को मई 2014, भारत की केंद्र सरकार का मुखिया बनाया गया। समय गुजरता गया और 2017 में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे तो बाबा जी को संकेत हुआ कि अयोध्या जी, मथुरा और काशी तीनों ही उत्तर प्रदेश में स्थित है और अखंड भारत के निर्माण के लिए और सनातन धर्म को विश्वव्यापी करने के लिए इन तीनों स्थानों की मुक्ति बहुत आवश्यक है। ब्रह्मऋषि श्री देवराहा बाबा जी ने ब्रह्मवेत्ता श्री देवराहा हंस बाबा जी को एक कठोर और भारत के प्रति पूर्णतया समर्पित शासक को उत्तर प्रदेश की सत्ता में लाने का निर्देश दिया।

 

अलौकिक शक्तियों के द्वारा योगी आदित्यनाथ को 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। यह सब कार्य अलौकिक शक्तियों के द्वारा ही करवाए जा रहे थे। इन अति गुप्त अलौकिक घटनाओं को बाबा जी ने 2022 में हम लोगों से साझा किया और अपने कई वीडियो उपदेशों में बाबा जी ने यह बताया की मोहन भागवत, नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ, तीनों को अखंड भारत के निर्माण के लिए और भारत के पवित्रतम स्थानों की मुक्ति के लिए और सनातन धर्म को विश्व व्यापी करने के लिए और अपने-अपने क्षेत्र में अपने कार्यों के द्वारा इसको पूरा करने के लिए तैयार किया गया है और सत्ता के शिखर पर बिठाया गया है। अलौकिक जगत में घटनाक्रम कई स्तरों पर चलता रहता है हम लोगों ने अपने अनुभव के द्वारा इस बात की अनुभूति की है। ब्रह्मवेत्ता देवरहा हंस बाबा जी के गुप्त अलौकिक निर्णयों की छाप 2002 से लेकर 2023 अभी तक होने वाले महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर निरंतर बनी रही। लौकिक जगत के सत्ताधारी व्यक्तियों को अलौकिक जगत की शक्तियां ही राजनेतिक गद्दी पर बिठाती हैं और उनसे अपने दिव्य कार्यों को करवाती हैं।

1992 से अभी तक अशोक सिंघल जी और मोहन भागवत बाबाजी से इस विषय पर निर्देश और आशीर्वाद लेने के लिए बाबाजी के दर्शन में आते रहे। बाबाजी को तो पहले से ही ज्ञात था की कब क्या होना हैं तो वह विश्व हिंदू परिषद और आर एस एस को और इनके शीर्ष नेताओं को लगातार आश्वस्त करते रहे कि पूरी श्रीराम जन्मभूमि भगवान श्रीराम की है और यहां पर भव्य मंदिर के अतिरिक्त और कुछ नहीं बनेगा। एक बार जब श्री अशोक सिंघल ने बाबाजी से पूछा कि क्या राम मंदिर उनके जीवन काल में बन जायेगा, तब बाबाजी ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण तो 6 दिसंबर 1992 को ही हो चुका है और अब केवल भव्य मंदिर भवन का निर्माण होना है जो अवश्य ही होगा। जब नवंबर 2013 में श्री अशोक सिंघल बाबाजी के दर्शन में उनके विंध्याचल आश्रम में आए तो उन्होंने 2014 के चुनावों में बीजेपी के लिए बहुमत और नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनवाने का आशीर्वाद मांगा। बाबाजी ने सिंघल जी से पूछा कि पहले तो मुस्लिम पक्ष कहता था की अगर यहां पर मंदिर होने के साक्ष्य मिल जाएं तो वह इस भूमि पर अपना दावा छोड़ देंगे। तो अब वह अपने वादे को पूरा करें और नहीं तो सरकार इस विषय पर विधायिका में कानून बनाएं। अशोक सिंघल ने कहा कि अगर उन्हें लोकसभा में बहुमत मिल जाए तभी यह कानून बनाने का कार्य हो सकता है। बाबाजी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम्हारे सोचे हुए बहुमत से अधिक सीटें तुन्हें मिलेंगी। लेखक ने तभी सिंघल जी को आश्रम में ही उनकी 2014 में केंद्र में सरकार बनने की अग्रिम बधाई दी थी। सरकार बनने के बाद सिंघल जी विंध्याचल आश्रम में फिर आए तो बाबाजी ने उनसे पूछा कि अब तो तुम्हारी सरकार है तो कानून बनाने का वचन पूरा करो। सिंघल जी ने बाबाजी को बताया कि राज्यसभा में उनका बहुमत नहीं है और वैसे भी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो इसलिए अभी कानून नहीं बन पाएगा।

श्री देवराहा तत्व द्वारा राम जन्मभूमि मुक्ति नामक पुस्तक के अनुवादक अतुल कुमार सक्सेना  ने सिंघल जी को बताया कि विधायिका तो कानून बनाने के लिए संविधान से अधिकृत है और सुप्रीम कोर्ट उसे रोक नहीं सकता और राज्य सभा में बहुमत न होने के बाद भी ज्वाइंट सिटिंग के द्वारा कानून बनाया जा सकता है। श्री अशोक सिंघल जी ने मुझे बाद में बताया की वह भी यह समझते हैं पर सरकार इस विषय पर कानून न बनाकर इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट से कराना चाहती है और अगर विश्व हिंदू परिषद इसके लिए सरकार पर दवाब डालती है तो सरकार हमको बोलेगी की आप हमें काम नहीं करने दे रहे हैं। इसके बाद 5 वर्ष बीत गए और जब 2018 में मोहन भागवत सर संघ चालक आरएसएस, बाबा जी के पटना आश्रम में आए तो बाबा जी ने उनसे कानून बनाने या अध्यादेश लाने के लिए कार्य करने को कहा। श्री मोहन भागवत जी ने प्रयास करने का वादा किया पर कानून बनाने या अध्यादेश लाने में सफल नहीं हो पाए। संत समाज ने बाबा जी से प्रयागराज के 2019 के महाकुंभ में पूछा कि आप तो कहते थे की कानून बन जाएगा, अध्यादेश आ जाएगा पर कुछ भी नहीं हुआ। इस पर बाबा जी ने चिंतन किया और हनुमान जी का आवाहन करके उन्हें बताया कि यह श्रीराम जन्मभूमि का मुक्ति का कार्य तो भगवान राम का कार्य है तो आप इसे पूरा क्यों नहीं करते। बाबा जी ने हनुमान जी को कहा कि आपका ही प्रण है और वचन है की ‘रामकाज कीने बिना मोहि कहां विश्श्राम’ तो आप से प्रार्थना है कि इस कार्य को आप शीघ्र सर्वसम्मति से करवाये और पूरी शांति से बगैर किसी हिंसा के करवा दें। बाबा जी विधि के विधान को समझ रहे थे पर देख रहे थे कि समाज इस कार्य के लिए तैयार है या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि सरकार अनुकूल है और समाज भी तैयार है तो उन्होंने सत्य को सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्थापित करवाने के लिए हनुमान जी से प्रार्थना करी। श्री हनुमान जी के आध्यात्मिक हस्तक्षेप के द्वारा यह कार्य बहुत शीघ्र ही 2019 में हो गया।

 

 

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