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विद्युत अधिनिय-2003 के लम्बित शमनीय वादों के निस्तारण हेतु 29 से 31 जनवरी को विशेष लोक अदालत
मिर्जापुर।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद तथा माननीय न्यायमूर्ति/कार्यपालक अध्यक्ष, उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के आदेशानुसार जनपद न्यायाधीश अनमोल पाल महोदय की अध्यक्षता में दिनांक 29 से 31 जनवरी-2024 तक विद्युत अधिनियम-2003 के अन्तर्गत लम्बित शमनीय मुकदमों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में निस्तारण कराने के लिए न्यायालय विशेष न्यायाधीश ई.सी. एक्ट मीरजापुर में विशेष लोक अदालतों का आयोजन किया जायेगा।

जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनमोल पाल ने बताया कि उपरोक्त तिथियों को आयोजित होने वाली विशेष लोक अदालतों को सफल बनाने के लिए मुकदमों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में चिन्हित करने एवं निस्तारण करने के लक्ष्य को पूर्ण करने का निर्देश दिया है, इस सन्दर्भ में सम्बन्धित न्यायालयों को उभय पक्षों के मध्य सुलह-समझौता वार्ता करने के लिए तीन बैठके आहूत करने का भी निर्देश दिए है।

उन्होने यह भी बताया कि विद्युत अधिनियम-2003 के अन्तर्गत लम्बित शमनीय मुकदमों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में निस्तारण कराने के लिए दिनांक 29, 30 व 31 जनवरी 2024 को विशेष लोक अदालत का आयोजन विशेष न्यायाधीश ई.सी. एक्ट के न्यायालय में किया जायेगा।

उन्होने यह भी बताया कि सम्बन्धित मुकदमों के निस्तारण होने पर वादकारियों द्वारा लगाये गये न्याय शुल्क वापस मिल जाता है, किसी भी पक्षकार को दण्डित नहीं किया जाता है बल्कि, लोक अदालत में उभयपक्ष को न्याय आसानी से समय पर मिल जाता है और लोक अदालत का अवार्ड (निर्णय) अंतिम होता है, जिसके खिलाफ किसी न्यायालय में अपील नहीं होती है इसलिए पक्षकार व्यक्तिगत तौर पर सम्बन्धित न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपने अपने मुकदमों को निस्तारण हेतु सम्बन्धित न्यायालय में उपस्थित होकर अविलम्ब पंजीकृत कराना सुनिश्चित करें।

डीएलएसए पूर्ण कालिक सचिव/अपर जनपद न्यायाधीश लाल बाबू यादव ने समस्त अधिवक्ता बन्धुओ एवं विद्युत अधिनियम-2003 से सम्बन्धित शमनीय मुकदमों के पक्षकारो से अपील करते है कि वह सम्बन्धित न्यायालयों द्वारा प्रेषित थानेवार नोटिसों को स्वीकार करते हुए अविलम्ब न्यायालय विशेष न्यायाधीश ई.सी. एक्ट में उपस्थित होकर अपने-अपने मुकदमों को पंजीकृत अवश्य करा लेवें ताकि पंजीकृत मुकदमों का निस्तारण ज्यादा से ज्यादा संख्या में किया जा सके और पक्षकारों को विशेष लोक अदालत का लाभ प्रदान किया जा सकें।

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