मिर्जापुर।
मा विन्ध्यवासिनी के दरबार मे हाजिरी लगाने एवं मा के आशीर्वाद से ही मेरा जन्म हुआ और मेरे माता-पिता की इच्छा थी कि मां विंध्यवासिनी मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित किया जाय, जिसे मा की विशेष कृपा से पूरा कर आज मेरा जीवन धन्य हो गया। मैने न सिर्फ अपने माता-पिता की इच्छा को पूरा कर दिया, बल्कि मां विंध्यवासिनी के आशीर्वाद से संपन्न इस कार्य से मै खुद को कृतार्थ महसूस कर रहा हूं।
यह बातें मां विंध्यवासिनी मंदिर के गर्भगृह में स्वर्ण स्तंभ लगवाने वाले भदोही जनपद के मूल निवासी और मुंबई के वरिष्ठ कारोबारी संजय सिंह ने मंगलवार को विन्ध्याचल मे आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही।
उन्होने कहाकि पंडा समाज, जिला प्रशासन और विंध्य विकास परिषद ने इस कार्य के लिए जो सहयोग दिया है, उसके लिए हृदय से आभार। बताया कि मेरी मां और पिताजी माता रानी के अनन्य भक्त हैं। मेरे नाते-रिश्तेदार बताते हैं कि मां विंध्यवासिनी के आशीर्वाद से ही मेरा जन्म हुआ था। पुत्र की प्राप्ति के लिए मेरे पिताजी ने मां विंध्यवासिनी की आराधना की थी और उनके आशीर्वाद से मेरा जन्म हुआ था।
कारोबारी संजय सिंह ने बताया कि हमारे एक मित्र शिवानंद जी ने मुझे सूझाव दिया था कि विंध्य कॉरिडोर का कार्य वर्तमान मे चल रहा है। मां विंध्यवासिनी मंदिर के गर्भगृह के चारों स्तंभों को सोने से बनवाया जाए। इस वार्ता के बाद मैने जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन से जाकर मुलाकात किये और माता पिता और अपनी इच्छा जाहिरकी। डीएम का पूरा सपोर्ट मिला। इस कार्य मे खर्च साढ़े चार करोड़ रुपये का आया है।
उन्होने बताया कि स्तंभ पर नक्काशी कार्य के लिए रात-रात भर जाग कर स्टडी किया। मां की जो भी सवारी और अस्त्र-शस्त्र हैं, सबसे पहले स्केच तैयार किया गया। धीरे-धीरे उसको स्वरूप दिया गया। इसको बनाने में काफी अड़चने भी आई, लेकिन मैया सारी अड़चनों को दूर करती गईं।