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मेरिट के आधार पर ही हो जीएनएम में प्रवेश: डॉ एसके सिंह

0 निजी नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेज एसोसिएशन ने प्रदेश में जीएनएम के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का किया विरोध

मिर्जापुर।

निजी नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेज एसोसिएशन ने प्रदेश में जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़री (जीएनएम) के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का विरोध किया है। पिछले वर्षों एवं राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश आदि अन्य राज्यों की भांति मेरिट के आधार पर जीएनएम में प्रवेश लेने की मांग की है। इसे लेकर एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसमे उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा जीएनएम में प्रवेश 12वीं उत्तीर्ण छात्रों का मेरिट के आधार पर प्रवेश न कर प्रवेश के लिए छात्रों से परीक्षा आयोजित करने के लिए आवेदन मांगे हैं और काऊन्सलिंग से छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। जबकि निजी विश्वविद्यालयों एवं अन्य राज्यों में मेरिट से प्रवेश दिया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश प्राइवेट नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेजेस एसोसिएशन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ एसके सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने से छात्रों का पलायन अन्य राज्यों के कॉलेजों में होगा जहाँ मेरिट के आधार पर प्रवेश लिया जा रहा है। यूपी बोर्ड 12वीं का परीक्षा परिणाम 20 अप्रैल को घोषित होने के उपरांत प्रवेश परीक्षा की सूचना अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा उनकी विभागीय वेब साइट पर दिनांक 22 जून को प्रकाशित हुई। इससे इंडियन नर्सिंग काउन्सिल के दिशा-निर्देशन में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करने वाले वाराणसी एवं पूर्वाञ्चल के सैकड़ों नर्सिंग कॉलेज पर संकट मंडरा रहा है। जीएनएम पाठ्यक्रम स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा इंडियन नर्सिंग काउन्सिल से संचालित है। और यह भी कहना अपरिहार्य नहीं होगा कि अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना स्नातक, परास्नातक स्तरीय एवं अनुवेषण में प्रवेश हेतु की गई थी, परंतु उनके द्वारा आयोजित की गई प्रवेश परीक्षाओं में आज तक प्रदेश के संस्थानों में उनकी भर्ती क्षमता के अनुरूप परीक्षार्थी उपलब्ध नहीं कर पाए हैं, और प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जाती है परिणामस्वरूप निजी संस्थानों की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यदि यही स्थिति जीएनएम एवं अन्य पाठ्यक्रमों हेतु रही तो निजी क्षेत्र की संस्थाओं को परिचालित करना संभव नहीं हो सकेगा और प्रदेश के कॉलेजों से छात्रों का पलायन निश्चित है।

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