0 समता के पोषक होकर बाल शाखाओं के साथ खेला करते हैं
0 प्रातकाल उठी के रघुनाथा, मातु पिता गुरु नावही माथा
अहरौरा, मिर्जापुर। अहरौरा नगर क्षेत्र के सत्यानगंज में स्थित राधा कृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन प्रयागराज से पधारे कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज ने कथा के चतुर्थ दिवस पर व्यास पिठ भक्त चरित्र का किया गया कथा, इस कथा प्रसंग मीरा बाई के जैसा कोई प्रेम इस संसार में नही कर सकता, वही श्रीराम चन्द्र के जन्म के लीला का वर्णन किया गया। एक मास तक भगवान का उत्सव परमानंद का आनंद के रूप में मनाया गया। सूर्य भगवान अस्त नहीं हुए अयोध्या में फिर बाल कांड में भगवान सहित चारों भाइयों नामकरण संस्कार किया गया। उसी दौरान शान्तनु जी महाराज ने बताया कि बाल्यावस्था में मंदिर के प्रसाद को भगवान स्वयं को भोग लगा लेते थे और माता कौशल्या जब पालने में देखा तों मुस्कुरा रहे थे, माता कौशल्या भ्रमित हो गई और भगवान पालने से उतर कर पैदल दौड़ते हुए माता कौशल्या के पास चले गए।
राजा दशरथ और रानी कौशल्या के प्रेम में वशीभूत होकर श्री राम पवित्र बाल लीला करते थे। कथा के क्रम में उन्होंने कहा कि एक बार माता कौशल्या ने श्रीराम को स्नान और श्रृंगार करा कर झूला पर सुला दिया और स्वयं स्नान कर अपने कुलदेव की पूजा कर नैवेद्य भोग लगाकर पाक गृह गई।
और उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि भगवान राम के जन्म के बाद पूरे अयोध्या में शहनाई की आवाज गूंज रही थी। श्री राम की बाल लीला संसार की सकारात्मक एवं सुखद आनंदमई लीला है, भगवान राम की बाल लीला में ही उनके साम्यवादी चिंतन तथा उनका क्रियात्मक रूप स्पष्ट होता है ,जब वह दशरथ के आंगन में बिहार करते हैं और महाराज दशरथ उन्हें भोजन के लिए बुलाते हैं तो वह समता के पोषक होकर बाल शाखाओं के साथ खेला करते हैं और वह भोजन के लिए नहीं आते हैं ।
इनका यज्ञोपवीत संस्कार अब होना चाहिए और शिक्षा दिक्षा भगवान का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया और अध्यन हेतु गुरु वशिष्ठ ने दशरथ को समझाया की यह ज्ञय के लिए आए हैं विश्वामित्र के जी के साथ
आश्रम के रक्षा हेतु आगे बढ़ते हैं विश्वामित्र ने कहा राम देखो ताड़का एक ही बाड़ से ताड़का का वध किया वही मारिच को नहीं मारा सुबाहु का वध किया और यज्ञ संपन्न कराया विश्वामित्र ने कहा एक यज्ञ पुरा हुआ है अभी एक बाकी है धनुष यज्ञ के बारे में बतलाया दोनों भाई जनकपुर के लिए निकल पड़े वही रास्ते में पड़ी पत्थर के शिला को देखकर भगवान पुछ बैठते कौन है तों ऋषि ने बताया यह गौतम मुनि की पत्नी अहिल्या हैं इन्हें मुक्त आपको करना है भगवान ने उन्हें तार दिया फिर आगे बढ़े गंगा नदी को प्रणाम किया और वही पर विश्राम किया। वही कथा में मड़िहान विधायक रमाशंकर सिंह पटेल और मंडल अध्यक्ष महेंद्र सिंह अग्रहरी का महराज जी ने आशीर्वाद दिया। इस दौरान रामायणयम समिति के राजकुमार अग्रहरि, सुरेश जायसवाल, अशोक अग्रहरि, कमलेश केशरी, हनुमान दास जायसवाल, अजय गुप्ता, संजय मौर्या, सिद्धार्थ अग्रहरि, विजय अग्रहरि, दिनेश मोदनवाल और अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, महामंत्री जितेंद्र अग्रहरि, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, शिवदर्शन सिंह, डॉ. शरद चन्द्र श्रीवास्तव, रिंकू श्रीवास्तव, अमन कक्कड़, शिखर सिंह, अभय प्रताप सिंह, त्रिलोकी केशरी, संदीप पांडेय, रिंकू मोदनवाल, बादल पाण्डेय, उदय अग्रहरि के साथ सैकड़ो रामभक्त रहे।