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संतान के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य और सफलता की कामना के साथ माताओ ने रखा जीवितपुत्रिका व्रत

मिर्जापुर।

जीवित्पुत्रिका व्रत यानी कि जितिया व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्‍व माना जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए रखती हैं। यह व्रत बहुत ही कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। महिलाएं बिना अन्‍न जल ग्रहण किए इस व्रत को करती हैं और अपनी संतान के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य और सफलता की कामना करती हैं।
संगमोहल स्थित हनुमान मंदिर पर जुतिया पूजा करती महिलाओ ने अपने संतानो के सुखमय जीवन एवं दीर्घायु जीवन की कामना की।
गुंजन गुप्ता, चंद्रावती देवी, गीता केसरवानी, वैष्णवी केसरवानी, रिंटू देवी,कौशल्या देवी जायसवाल, निर्मला जायसवाल, सरस्वती देवी चौरसिया, गीता देवी, आदि दर्जनों महिलाएं उपस्थित रही।

 

संतान की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने रखा जितिया व्रत: अहरौरा के पोखरा पर महिलाओं का उमड़ा सैलाब

अहरौरा, मिर्जापुर। जीवित्पुत्रिका पूजा के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है नगर के प्रमुख पोखरा सहुवाईन पर माताएं अपने संतान के दीर्घायु की कामाना से भगवान जीमूतवाहन की पूरे विधि विधान से पूजा कर रही हैं। बता दें कि माताएं इस पूजा के दौरान निर्जलीय व्रत रखती हैं।
और माताओं ने भगवान जीमूतवाहन की पूजा की और उनकी कथा सुन संतान के सलामती के साथ घर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं रही।
संतान की आयु बढ़ाने और उन्हें हर तरह का सुख उपलबध कराने की कामना वाली भावना के साथ महिलाएं यह व्रत करती हैं यह निर्जला व्रत होता है। इस व्रत में नहाय खाय की परंपरा होती है। इसी दौरान ग्रामीण सहित नगर क्षेत्र के पोखरा सहुवाईन पर सैकड़ो महिलाओं ने गाजे बाजे के साथ घाट पर पहूंचकर पूजन अर्चन किया।

 

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जीवित्पुत्रिका व्रत।

थाना अदलहाट के अंतर्गत ग्राम सभा (बैकुंठपुर )मे व्रती महिलाओं ने की पुत्र की रक्षा की कामना।।

मिर्जापुर, चुनार,विकासखंड नरायनपुर के ग्राम सभा बैकुंठपुर में जीवित्पुत्रिका व्रत बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। गांव की महिलाओं ने बैकुंठश्वर महादेव मंदिर परिसर में पहुंचकर पूजा पाठ किया। दोपहर में महिलाओं ने जहां प्रसाद बनाकर तैयारी की तो वहीं पुरुषों ने बाजार जाकर फलों की खरीदारी की शाम होते ही महिलाओं ने गाजे बाजे के साथ पूंजी स्थल पर पहुंचकर पूजा अर्चना में भाग ली। बताते चलें कि जीवित्पुत्रिका पर्व अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत संतान की रक्षा के लिए रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत महत्वपूर्ण व्रतो में से एक है। महिलाएं एवं माताएं इस दिन संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरा दिन-रात निर्जल व्रत रखती हैं। यह व्रत माताएं संतान की सलामती के लिए रखती है। इस व्रत के लिए परिजन पूजा की थाल लेकर पूजा स्थल पर पहुंचते हैं गोठ बनाकर बैठी महिलाएं गीत व कथा के साथ पूजा को संपन्न करती है। चारों तरफ भक्तिमय वातावरण रहता है, मंदिर के महंत राजू जी महराज के तत्वाधान मे महिलाओ के पूजन के लिये स्थान साफ, सफाई कराकर, सुरक्षित व्यस्था का पुख्ता इंतज़ाम किया गया था

 

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