0 गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा की ओर से हुआ भव्य आयोजन
0 गुरू जी ने धर्म व देश कि रक्षा के लिए अपने पिता-माता व चारों पुत्रों को बलिदान के लिए प्रेरित: प्रधान जसबीर सिंह चंड्योक
मिर्जापुर।
सोमवार, 6 जनवरी 2025 को गुरुद्वारा रतनगंज में श्री गुरु गोविन्द सिंह महाराज का 358वां प्रकाश पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया, जिसमें सुबह 6:00 बजे लंगर बनाने की सेवा आरम्भ हुई। सुबह 08:30 बजे अखण्ड पाठ साहेब की समाप्ति के पश्चात 11 बजे 12:00 बजे तक भाई कुलविन्दर सिंह हजुरी जत्था मीरजापुर की तरफ से हरिजस कीर्तन 12:00 बजे से 01:30 बजे तक भाई सुरजीत सिंह खालसा नान्देड साहेब वाले द्वारा व 01:30 से 02:00 बजे तक दोनों स्कूल के बच्चों द्वारा हरिजस कीर्तन दरबार हुआ। 02 बजे से 02:15 तक गुरू मर्यादा अनुसार सरोपा भेंट व हजूरी जत्था भाई कुलविन्दर सिंह कीर्तन कर समाप्ति किया गया।
कार्यक्रम के अन्त में गुरूद्वारे के प्रधान जसबीर सिंह चंड्योक ने गुरू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरू जी का जन्म पटना शहर 5 जनवरी 1666 को हुआ। सिक्खें के दशवें गुरु थे, गुरू तेग बहादुर जी महाराज इनके पिता थे, उनके सहादत के बाद 11 नवम्बर 1675 को वे गुरूगद्दी पर विराजमान हुए। सन् 1699 में गुरू जी ने खालसा पथ की स्थापना की, जो सिक्खों के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। गुरू जी ने धर्म व देश कि रक्षा के लिए अपने पिता-माता व चारों पुत्रों को बलिदान के लिए प्रेरित किया। गुरु जी ने परमात्मा की भक्ति के लिए प्रेम का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी। इस दौरान गुरू जी के जीवन पर धार्मिक मंत्री भूपेन्द्र सिंह डंग ने भी प्रकाश डाला। पूरे कार्यक्रम का संचालन गुरुद्वारा के प्रबन्धक हरदीप सिंह खुराना व खजांची हरभजन सिंह सरना, उप खजांची सुरेन्द्र पाल खुराना कर रहे थे। इस मौके पर गुरूनानक गर्ल्स इण्टर कालेज के अध्यक्ष धर्मपाल सिंह सरना, प्रबन्धक चरण जीत सिंह सोखी व गुरूनानक इण्टर कालेज, आवास विकास के अध्यक्ष जसवंत सिंह सरना प्रबन्धक, जगजीत सिंह डंग व बलविन्दर सिंह सरना, करमजीत सिंह सरना, अमरीक सिंह मोंगा, महेन्द्र सिंह चड्योक, हरविन्दर सिंह चड्योक, राजेन्द्र सिंह चढ्ढा, अमरदीप सिंह चढ्ढा, गुरमिन्दर सिंह सरना ऊर्फ बल्लू सरदार व स्त्री सत्संग की सुरजीत कौर रहे। कार्यक्रम के अन्त में गुरु जी का अटूट लंगर बांटा गया। लोगों ने भारी संख्या मे प्रसाद ग्रहण किया। काफी संख्या में वहां साध संगत मौजूद रहे।