0 यहा तर्पण से पितरों को मिलती है शांति, अपने पीढी को सुख संपत्ति देते है पितर
विमलेश अग्रहरि, मीरजापुर @ विन्ध्य न्यूज
आज रविवार अश्विन कृष्ण पक्ष से 15 दिनों तक पितृपक्ष तिथि रहेगा, जिसमें लोग अपनी पितरों को तिलांजलि देकर संतुष्ट करते हैं। इन 15 दिनों की तिथि में लोग अपने पितरों के देहांत की तिथि को तिलांजलि देकर एवं पिंडदान करके उन्हें संतुष्ट करते हैं। इन 15 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता एवं जिनको अपने पितरों के देहांत की तिथि नहीं पता होती। वह अमावस्या के दिन तिलांजलि और पिंडदान करके अपने पितरों को संतुष्ट करते हैं। तारा मंदिर के पुजारी रामानंद द्विवेदी ने बताया की अगर पितृ अतृप्त है तो लोगो के घर में शुख शांति नहीं होती, आकश्मिक मृत्यु , पुत्र वृद्धि न होना, धन की हानि होना आदि समस्याओ से ग्रसित रहते है, इसलिए पित्र पक्ष की तिथि में अपने पितरों के संतुष्टि के लिए पिंड दान एवं तिलांजलि देना आवश्यक होता है।
विंध्याचल क्षेत्र की रामगया घाट पर पित्र पक्ष के 15 दिनों तक पिंडदानियों का जमावड़ा लगा रहता है। ऐसी मान्यता है कि रामगया घाट पर लोग गया श्राद्ध करते हैं, इसलिए यहां का विशेष महत्व होता है । श्राद्ध के दौरान गंगा स्नान के उपरांत पांच तत्वों के प्रतीक के रूप में जौ, गुड़, घी, तिल, मधु को मिलकर गोला आकर का पिंड बनाया जाता है जिसके पूजन के उपरांत गंगा में विसर्जित कर तर्पण किया जाता है। औसनस पुराण के अनुसार भगवान श्रीराम ने भी अपने पितरों का श्राद्ध कर्म वन गमन के समय किया था।
प्रसिद्ध विंध्याचल धाम सिद्धपीठ के लिए जाना जाता है, वहीं यह पितृपक्ष में पिंडदान कर पूर्वजों का तर्पण करने का भी बड़ा केन्द्र है और इसे छोटा गया के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने खुद मां सीता के साथ अपने पितृदेवों के लिए विंध्य क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी के चरणों में स्थित मां गंगा के घाट पर तर्पण किया था। आज यह स्थल राम गया घाट एवं छोटा गया के नाम से प्रसिद्ध है और दूर-दूर से लोग तर्पण के लिए यहां भारी संख्या में जुटते हैं।
काशी प्रयाग के मध्य में स्थित विंध्य क्षेत्र सिद्ध पीठ के साथ पितृों के मोक्ष की कामना स्थली भी है।पितृपक्ष में रामगया घाट पर पिंडदान करने की परम्परा अति प्राचीन है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर अपने पिता राजा दशरथ को मृत्यु लोक से स्वर्ग प्राप्ति के लिए गया के फल्गू नदी पर पिण्डदान के लिए अयोध्या से प्रस्थान किया तो पहला पिण्डदान सरयू, दूसरा पिण्डदान प्रयाग के भरद्वाज आश्रम, तीसरा विन्ध्यधाम स्थित रामगया घाट, चौथा पिण्डदान काशी के पिशाचमोचन पर कर गया पहुंचे। पितृपक्ष शुरू होने के साथ विंध्याचल के शिवपुर स्थित रामगया घाट का नजारा बदल जाता है।
यहां श्राद्ध कर्म कराने के लिए आस्थावान भारी संख्या में पहुंचते हैं। वैसे भी रामगया घाट (श्राद्ध कर्म घाट) कई रहस्यों के बीच स्थित है। यह घाट मोक्षदायिनी गंगा एवं विन्ध्य पर्वत का सन्धि स्थल भी है। यहां गंगा विन्ध्य पर्वत को सतत स्पर्श करती हैं। पितृपक्ष के सोलह दिनों की मान्यता के कारण भाद्रपक्ष से अश्विन की अमावस्या तिथि तक निरंतर श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रद्धालुओं का रामगया घाट पर तांता लगा रहता है। मान्यता के अनुसार लोग गया जाने से पूर्व यहां भी पिण्डदान करते है।
कीचड़ एवं गड्ढे युक्त रास्ते से जाएंगे पिंडदान करने वाले लोग
विंध्याचल क्षेत्र की राम के आधार पर आगामी 15 दिनों तक पिंडदान करने वाले लोग प्रतिदिन राम गया घाट पर पहुंचेंगे एवं अमावस्या के दिन लाखों की भीड़ आती है लेकिन शिवपुर बाजार से राम गया घाट तक गड्ढे युक्त सड़कें एवं कीचड़ भरे सड़कों से लोग गुजरने को मजबूर रहेंगे क्योंकि विभाग के द्वारा इन रास्तों पर किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है अमृत योजना के तहत कराए जा रहे पाइप लाइन के लिए सड़कों को खोदा गया है एवं पूरे सड़कों पर कीचड़ फैला हुआ है वहीं कहीं कहीं गड्ढे भी दुर्घटना को दावत दे रहे हैं, साफ सफाई की व्यवस्था भी नहीं है ।
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