0 श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं श्री राम कथा के दूसरा दिन
विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर @ विंध्य न्यूज़
कलयुग केवल राम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरीं पारा । भगवान श्रीराम के नाम के महिमा अनंत है, उन्होंने अपने चरणों का स्पर्श का स्पर्श कर अहिल्या का उद्धार किया । केवल राम नाम का जप करके करोड़ों लोगों ने अपना उद्धार किया । राम नाम की महिमा का बखान तुलसीदास में नौ दोहा एवं 72 चौपाई में की है । उक्त ज्ञान गंगा नगर के महुवरिया में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं श्री राम कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ पर विराजमान प्रदीप कृष्ण भरद्वाज ने प्रवाहित किया ।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के नाम की महिमा का बखान जितना किया जाय वह कम है । उनकी महिमा अनंत हैं । भगवान राम को प्राप्त करने के लिए बालकांड में बताया गया है कि ज्ञान, बैराग, कर्म एवं भक्ति चार घाट हैं । इस किसी एक घाट पर बैठकर अपने जीवन का उद्धार किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि राम की कृपा पाने के लिए भगवान शिव के अनुकंपा बहुत ही आवश्यक है । बिना शिव की भक्ति किए राम की भक्ति नहीं मिल पाती । कहा कि चैतन्य महाप्रभु 42 वर्ष की अवस्था में चले गए । वह श्री कृष्ण की नगरी में 16 वर्ष की आयु में आये थे । भगवान को ढूंढते हुए वह भक्ति लीन हो गए ।
कथावाचक प्रदीप भारद्वाज ने कहा कि जो सांवरे को ढूंढता है, उसे एक दिन सांवरा ढूंढता है । भक्ति, आस्था एवं संगीत के बीच मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के चरणों में नमन कर भक्त गण झूम उठे । भक्तों के बीच प्रभू श्रीराम की कृपा का आलम यह रहा कि पंडाल में बच्चों, युवा और वृद्ध जनों ने आराध्य को रिझाने के लिए जमकर नृत्य किया ।
संगीतमय श्रीराम कथा में कथावाचक के सुमधुर गायन के साथ हारमोनियम पर पंडित अनुसूइया प्रसाद शुक्ल, वंशी पर संतोष कुमार जैन, आर्गन पर पंडित श्रीकांत मिश्र, तबले पर पंडित नवीन मिश्र, पैड पर मुकेश पालीवाल, कोरस पर पंडित राधेश्याम शर्मा ने संगतकर भक्तों को प्रवाहित त्रिवेणी में गोता लगाने को विवश किया ।
श्रीलक्ष्मीनारायण की कृपा पाने भक्त चार घंटे मण्डप में आसन पर बैठकर अग्नि को आहुति अर्पित कर रहे
नगर के महुवरिया स्थित बीएलजे इंटर कालेज के मैदान पर आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान वेद मन्त्रों की गूंज से नगर भक्तिमय बना है । प्रज्वलित अग्नि में स्वाहा के साथ पड़ रही आहूति से भक्ति के बीच भक्तगण विभोर है । यज्ञ मण्डप में बने 25 कुण्ड पर दो – दो यजमान सपत्नीक पूजन अर्चन और आहुति दे रहे हैं । भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण की कृपा पाने के लिए भक्त करीब चार घंटे भव्य और विशाल मण्डप में आसन पर बैठकर अग्नि को आहुति अर्पित कर रहे हैं। यज्ञ शाला से उठ रहे धुआं से वातावरण भी सुगंध से सुवासित हो गया है। यज्ञ मण्डप की परिक्रमा कर भक्त संसार को अपने वशीभूत कर उसका संचालन करने वाली लक्ष्मी नारायण के साथ ही यज्ञ भगवान को नमन कर रहे हैं। जगत के कल्याण के लिए भक्त आस्था भक्ति के बीच साधना में लगे हैं।
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