धर्म संस्कृति

मर्यादा पुरुषोत्तम के संदेश जीवन में उतारने वाला भक्त कभी भी हताश निराश नहीं होता: भारद्वाज

विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर। विंध्य न्यूज़
जीवन जीने का संदेश मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने सरलता के साथ दिया है। उसे अपने जीवन में उतारने वाला भक्त कभी भी हताश निराश नहीं होता। परिवार की खुशहाली के लिए परिवार के साथ कथा सत्संग में शामिल होना चाहिए। उक्त प्रसंग नगर के महुवरिया में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ के श्रीराम कथा मंच के व्यास पीठ से प्रदीप कृष्ण भारद्वाज ने कहा।  उन्होंने कहाकि कथा में जाने पर अहं का त्याग कर देना चाहिए। अहंकाररुपी ऊंचाई का परित्याग करने से ही कथा का श्रवण किया जा सकता है। भगवान शिव ने अगस्त ऋषि से जीवन जीने का सूत्र प्राप्त किया था। जिसे दोनों पक्ष पति और पत्नी को सुनना चाहिए तभी वह परिवार में लागू होता है। लोभ ही दुर्गुणों और राक्षस हैं। लोभ शांति का हरण कर लेता है। लंका सोने की थी और मृग भी सोने का था जिसे देख माता सीता मोहित हुई और उनका हरण हुआ।  लोभ के कारण ही राम रावण में संग्राम हुआ।
 
कथावाचक ने कहा कि जो कथा नहीं सुनता उसकी व्यथा शुरू हो जाती है । महादेव ने माता सीता को बताया कि भगवान का परमेश्वर के अवतार हैं पर माता  तैयार नहीं हुई, उन्होंने कथा नहीं सुना उनकी व्यथा आरंभ हो गयी ।‌ भगवान राम ने भक्तों को जीवन जीने की कला सिखाने के लिए विभिन्न युगों में मानव  का रूप धारण किया । जब हम किसी को समझाते हैं वह नहीं सुनना चाहें तो उसे उसकी दशा पर छोड़ देना चाहिए । हमें दण्ड देने का अधिकार नहीं है, यह अधिकार  ईश्वर के ही पास है । परमात्मा की कृपा से ही हमें सब कुछ मिलता है । वह भगवद कृपा से प्राप्त हुआ है । यह भगवान का प्रसाद है । उसका तिरस्कार करने से लक्ष्मी का वास नहीं होता । जब कोई न समझे तो उसे परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि दंड देने का अधिकार हमें नहीं ईश्वर के पास है । जब कोई बात ना माने अपने अहंकार के आगे किसी की नहीं सुनता हो । तब उसका मालिक भगवान ही हैं । उसके हालात पर छोड़ देना चाहिए ।  गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है होई हैं वहीं जो  राम रचि राखा,  संगीतमय श्री राम कथा यज्ञ के दौरान भक्ति गीतों पर भक्तगण बार-बार अपने स्थानों पर खड़े होकर नृत्य कर भक्ति की सरिता में गोता लगाया । 
प्रदीप महाराज ने सुमधुर आवाज में जब गीत की पंक्ति को उठाया और कहा कि मेरा भोला, भोला भाला ऐसा कोई भी भोला नहीं है । मधुर आवाज को सुनकर भक्तगण झूम उठे । भगवान शिव के प्रसंग की चर्चा करते हुए उनके भव्य बारात का चित्रण करते हुए गीत गाया कि शिव शंकर की आई है बारात हिमांचल नगरिया तो भक्तगण झूम उठे। कथा के दौरान विश्वनाथ अग्रवाल, नीरज अग्रवाल, संजय अग्रवाल, अनिल बरनवाल, आलोक अग्रवाल, नीलकंठ जायसवाल, अंकुर श्रीवास्तव, शेखर केसरवानी लाखा, देवेश चौरसिया, विकास दूबे, आनंद अग्रवाल, संतोष सिंह, श्री कृष्ण सिंह, योगेश कुमार गुप्ता, नितिन अवस्थी, रामकुमार तिवारी, रिंकू सिंह, सुभाष सिंह, रमाकांत दूबे, पुष्पराज दुबे, मधुकर मिश्र  आदि प्रमुख उपस्थित थे। कथा का शुभारंभ संचालक राजेंद्र तिवारी के द्वारा किया गया।
श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में उमड़े भक्त
भास्कर ब्यूरो, मिर्जापुर।
 श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में आस्था भक्ति के साथ भक्त गण यज्ञशाला की परिक्रमा कर भगवान से प्रार्थना करने में लीन हैं । यज्ञ मण्डप में वेद मंत्रों की गूंज उठ रही है तो बाहर भक्त नंगें पांव लक्ष्मीनारायण भगवान का ध्यान करते हुए विभोर हैं। नगर के महुवरिया स्थित बीएलजे इंटर कालेज के मैदान पर आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान वेद मन्त्रों की गूंज से नगर भक्तिमय बना है। प्रज्वलित अग्नि में स्वाहा के साथ पड़ रही आहूति से भक्ति के बीच भक्तगण मुदित है । यज्ञ मण्डप में बने 25 कुण्ड पर दो – दो यजमान सपत्नीक पूजन अर्चन और आहुति दे रहे हैं। भगवान  श्रीलक्ष्मीनारायण की कृपा पाने के लिए भक्त करीब चार घंटे भव्य और विशाल मण्डप में आसन पर बैठकर अग्नि को आहुति अर्पित कर रहे हैं । यज्ञ शाला से उठ रहे  धुआं से वातावरण भी सुगंध से सुवासित हो गया है। यज्ञ मण्डप की परिक्रमा कर भक्त संसार को अपने वशीभूत कर उसका संचालन करने वाली लक्ष्मी नारायण के साथ ही यज्ञ भगवान को नमन कर रहे हैं।
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