धर्म संस्कृति

रूद्र महायज्ञ में हजारों लोग पहुंच दे रहे फेरी, रासलीला का मंचन देख हो रहे भाव विभोर, भंडारा 9 फरवरी को

विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर।
96 विकास खंड अंतर्गत विजयपुर गांव स्थित दुर्गा मंदिर पर श्री दुर्गा मंदिर आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में स्वामी विमलानंद जी के परम शिष्य राजाधिराज स्वामी व्यासानंद जी महाराज द्वारा आयोजित 73 वे  रुद्र महायज्ञ के साथ में दिन शुक्रवार को यज्ञ स्थल पर आचार्यों द्वारा आहुति दी गई। इस दौरान हवनो के धुए से निकले धुंध से जहां क्षेत्र बहुत हो रहा था वही यज्ञ की ऋचाओ के श्रवण मात्र से लोग पुणे के भागी बन रहे थे। हजारों की संख्या में महिला पुरुष व बच्चे भी यज्ञ कुंड के चारों तरफ फैरी देते नजर आ रहे थे
ओझला
       सायंकाल स्वामी हंसानंद जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि भगवत भजन मानव मात्र को विभिन्न योनियों में जन्म लेने से मुक्ति प्रदान कर सकता है अर्थात मुक्ति का प्रमुख साधन भगवत भजन ही है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह भगवान के भजन में अधिक से अधिक समय दें। कहां की भागवत की कथा जन्म जन्म के पापों से मुक्ति दिलाती है, इसलिए भागवत की कथा का श्रवण करना इस कलयुग में भी अमृत के समान है। कहा क्षेत्र के 96000 बीघे भूमि में दक्ष प्रजापति ने विशाल यज्ञ किया, उसी क्षेत्र की धरती पर रुद्र महायज्ञ का आयोजन क्षेत्रीय जनता के चतुर्दिक विकास और लोक कल्याण के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 30 जनवरी को कलश यात्रा और पंचांग पूजन के साथ ही प्रथम और द्वितीय पाली में रुद्र महायज्ञ का आयोजन चल रहा है। वहीं 3 फरवरी से लगातार रासलीला का भी आयोजन किया जा रहा है।  रासलीला में गुरुवार को देर सायं सुदामा चरित्र का मंचन किया गया। जिसमें हजारों दर्शनार्थियों ने लीला देखकर भाव विभोर हो गए तो वही जय श्री कृष्ण जय श्री राधे के उद्घोष से पूरा पंडाल गूंज उठा। रासलीला के माध्यम से कलाकारों ने दिखाया कि बाल्यावस्था में जब सुदामा गुरुकुल जाते हैं, उसी समय बाल सखा श्रीकृष्ण भी अपने गुरुकुल को जाते हैं। रास्ते में सुदामा के पैर में कांटा चुभ जाता हैं, जिसे पीछे से आते हुए श्रीकृष्ण देख लेते हैं और सुदामा के कांटे को निकालते हैं। उसी समय दोनों की मित्रता हो जाती है। तत्पश्चात एक दिन गुरुकुल में गुरुजी प्रश्न पूछने के दौरान सुदामा को खड़ा करते हैं। परन्तु उस प्रश्न का उत्तर सुदामा नहीं दे पाते है। इसके दंड स्वरुप गुरु द्वारा यह आदेश दिया जाता है कि तुम वन में जाओ और लकड़ियां काट कर ले आओ। सुदामा एक मुट्ठी चना लेकर वन की ओर प्रस्थान करते हैं। मित्र के दुख को देखते हुए कृष्ण भी अपने प्रश्नों का जवाब नहीं देते है। जिससे उन्हें भी वन जाकर लकड़ियां काटने का आदेश मिलता है। गुरु द्वारा उन्हें भी एक मुट्ठी चना दिया जाता है। वन में दोनों मित्र लकड़ियां काटते रहते हैं। इस दौरान सुदामा को भूख महसूस होती है और वह अपने हिस्से का चना तो खाते ही हैं ठाकुर को मिला हुआ चना भी चुपके से चट कर जाते हैं। जब ठाकुर जी को यह पता चलता है तो वह सुदामा को श्राप दे देते हैं कि वह दरिद्र हो जाएं। युवा होने पर जहां श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश बनते हैं वहीं सुदामा गरीब ब्राह्मण का जीवन व्यतीत करते हैं। पत्नी के लगातार कहने पर वे भुने हुए चावल लेकर द्वारिका पहुंचते हैं। जहां दोनों मित्रों का पुन: मिलन होता है और दो मुट्ठी चावल कृष्ण द्वारा ग्रहण कर सुदामा को शाप मुक्त किया जाता है। रासलीला ब्लाउज के रूप में श्याम जी, कृष्ण के रूप में लक्ष्मी नारायण तिवारी, संचालन रमेश चंद्र तिवारी, जगन्नाथ देबू अवधेश राधा के रूप में मुकेश और गोपियों के रूप में राजेश राकेश गुलशन और रवि शामिल रहे। राजाधिराज स्वामी हंसानंद महाराज ने जनपद वासियों से अपील की है कि 9 फरवरी दिन रविवार को प्रसाद वितरण कार्यक्रम में उपस्थित होकर श्री रुद्र महायज्ञ का प्रसाद अवश्य ग्रहण करें। इससे पूर्व विद्युत जनों ने आचार्य स्वामी आनंद जी महाराज,  स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज, रवीश कुमार अग्रहरि, त्रिवेणी नेताजी, पूर्व मंत्री बिंदकी फतेहपुर राजेंद्र जी पटेल, राम अवध चतुर्वेदी, शरद सिंह,  दिनेश कुमार पटेल,  फतेहपुर केडी अवस्थी हाईकोर्ट इलाहाबाद,  बग्गड बाबा, गोपाल कृष्ण गुप्ता,  कैलाश नाथ पटेल, तुलसी शर्मा इंजीनियर, धवल जी जायसवाल,  प्रमोद जी जायसवाल, बब्बू हलवाई,  वीरेंद्र श्रीवास्तव,  अवधेश लाल श्रीवास्तव,  डॉ तुलसी वाराणसी, मनोज कुमार अदलपुरा,  विजय कुमार मध्य प्रदेश,  एमपी सिंह,  राजेश दुबे,  महेंद्र सिंह,  रणविजय सिंह,  पप्पू श्रीवास्तव आदि के अलावा तमाम विद्वतजन और भक्त गण उपस्थित रहे।
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