धर्म संस्कृति

गुरु के स्वरूप में भगवान दिखाई देता है: नारायनन्द तीर्थ

विमलेश अग्रहरि
ब्यूरो चीफ: दैनिक भास्कर, मिर्जापुर।
विकास खण्ड सिटी के  शंकराचार्य आश्रम रायपुर पोख्ता मे पाँच दिवसीय आध्यात्मिक सत्संग के पहले दिन अनन्त श्री विभूषित काशीधर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायनन्द तीर्थ जी  महाराज जी ने कहा कि जिस प्रकार से दर्पण में चेहरा दिखाई देता है उसी प्रकार से गुरु के स्वरूप में भगवान दिखाई देने लगते हैं गुरु से जब अनुराग प्रेम होता है तो गुरु ज्ञान की दृष्टि भक्तों में डालता है बहिर्मुखी अंतर्मुखी और शिष्य का मन मुड़ कर आत्म दर्शन करने लगता है,प्रेम में आलस्य नही होता है ।
गुरु ही अनुरागहै गुरु ही प्रेम है गुरु ही आकाश है गुरु ही पाताल है गुरु ही धरती है गुरु ही मां है गुरु ही पिता है गर्भ को धारण करने वाली शक्ति गुरु ही है गुरु शब्द को आत्मा से प्रकाशित किया गया है आत्मा है तो मनुष्य का जीवन है और जब जीवन है तभी सारे कर्मों का निर्धारण होता है इस अवसर पर कथा के आयोजक हरिश्चन्द्र शुक्ला ग्राम प्रधान, भोलानाथ यादव, शारदा प्रसाद, अशोक शुक्ल, बंशी शुक्ल, आदि लोग काफी संख्या में उपस्थित रहे।

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