0 होनहार छात्र का शव देख माँ हुई अचेत, पिता सूरत में फंसे, सगे संबन्धियों ने किया दाह संस्कार
विमलेश अग्रहरि
डिजिटल डेस्क, मिर्जापुर।
अलीगढ़ से पैदल घर वापस लौट रहे मड़िहान थाना क्षेत्र के बघईला गांव निवासी युवक की शनिवार शाम रास्ते में मौत हो गयी। मौत की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया। पोस्टमार्टम के बाद शव घर पहुँचते ही दरवाजे पर माँ अचेत हो गयी। सगे सम्बंधियों द्वारा सोमवार को देर शाम बकहर नदी के किनारे दाह संस्कार कर दिया गया।
मड़िहान थाना क्षेत्र के बघईला गांव निवासी स्वामीनाथ आदिवासी का 22 वर्षीय पुत्र राजाबाबू लाकडाउन के कुछ दिन पहले बिजनेश प्रशिक्षण लेने साथियों के साथ अलीगढ़ गया था। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से बचाव के लिए लाकडाउन होने पर सेंटर बंद हो गया। साधन के अभाव में आवागमन बंद होने से राजाबाबू साथियों के साथ घर के लिए पैदल चल दिया। बताते हैं कि फतेहपुर तक सब कुछ ठीक ठाक रहा। उसके बाद शनिवार की शाम साथी आगे बढ़ गए और मित्रों का साथ छूट गया। इस दौरान वह रास्ते मे अचेत हो गया। अचेतावस्था में एक युवक की सूचना पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँच गयी। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सक द्वारा मृत घोषित कर दिया। मृतक का शव लावारिस दाखिल कर पुलिस ने पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। उधर राजाबाबू नही पहुँचा तो साथी खोजने के लिए पीछे की तरफ वापस लौट पड़े।मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया। राहगीरों से जानकारी मिली कि अचेतावस्था में एक युवक को पुलिस ले गयी है। सम्बंधित थाना से मिली मौत की जानकारी के बाद रविवार को उसके सभी साथी पोस्टमार्टम हाउस पहुँचे। मृतक की शिनाख्त होने पर शव घर के लिए भेज दिया गया। सोमवार की भोर में शव पहुँचते ही मां तो अचेत हो गयी, गांव में सन्नाटा पसर गया। रात में ही सगे सम्बंधियों द्वारा बकहर नदी किनारे दाह संस्कार कर दिया गया। दो बहनों के बीच राजाबाबू अकेला और होनहार था। दंपति स्वामीनाथ व राजकुमारी दिन रात मजदूरी कर पढ़ाई के खर्च का बोझ उठाते थे। मन मे आश जगी थी कि एक न एक दिन बेटा नाम तथा काम का राजाबाबू बनकर दिखायेगा। राजाबाबू भी अपनी मेहनत पर भरोसा करता था। वह किसी के सामने हाथ नही फैलाता था।जब भी पढ़ाई व कालेज से मौका मिलता स्वयं मेहनत मजदूरी पर निकल जाता था। मिर्जापुर में स्नातक की डिग्री लेने के बाद एक वर्ष पूर्व मड़िहान स्थित एक बीटीसी कालेज में एडमिशन ले लिया। राजाबाबू की पढ़ाई से एक कुशल शिक्षक का सपना संजोए पिता स्वामीनाथ सूरत में प्राइवेट कंपनी में काम करने गया है। दो विवाहिता बहनों के साथ माँ की करूणक्रन्दन में आँखों से आंसू नही रुक रहे।