डिजिटल डेस्क
सकारात्मक सोच, जीवनशैली में सुधार, नियमित दिनचर्या एवं योग प्राणायाम को जीवन का हिस्सा बनाकर हम आजीवन मानसिक विकारों से बच सकते हैं। लाक डाउन की अवधि में इसकी आवश्यकता बढ़ गई है ।
यह उद्गार नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) बंगलुरु के निदेशक डॉ बी.एन. गंगाधर ने आरोग्य भारती द्वारा “कोविड 19 एवं मानस स्वास्थ्य” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार के मुख्य अतिथि के तौर पर व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन, जीवन शैली, योग एवं प्राणायाम पूर्णतः वैज्ञानिक हैं जिससे आज पूरा विश्व आकर्षित हुआ है। इसे साध कर वैश्विक मंच पर स्थापित करना है।
इस महामारी के समय में प्रसन्न रहने के लिए हमें चाहिए कि वर्तमान परिस्थिति को स्वीकार करें, अपनी आवश्यकताओं को सीमित करें, वर्तमान वातावरण में प्रसन्न रहें , हमेशा सकारात्मक सोचें इन सभी बिंदुओं पर विचार करके ही हम स्वस्थ रह सकते हैं|
कोविड की वजह से निश्चित ही मानसिक तनाव पैदा हुआ है। लोग अपने और परिवार के लिए संक्रमण को लेकर सदैव चिंतित हैं। इसके लिए NIMHANS द्वारा एक हेल्पलाइन शुरू की है, जिसे पूरे भारत के लोगों के लिए साइकोसोशल सपोर्ट सिस्टम कहा जाता है, जिसमें भाषा की आसानी के लिए विभिन्न राज्यों के 500 काउंसलर हैं। यहां लोग कोरोना से संबंधित प्रश्न और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को एक वास्तविक काउंसलर से पूछ सकते हैं।
उन्होंने बताया कि बीमारी हमारे समाज मे हमेशा के लिए नहीं है बल्कि यह किसी अन्य फ्लू की तरह कुछ समय में समाप्त हो जाएगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी ने कहा कि त्रिगुण सत्व, रज एवं तम क्रमशः सुखात्मक, दुखात्मक एवं मोहात्मक होता है इसमें रज एवं तम में वृद्धि होकर मानसिक विकार उत्पन्न होता है सत्व गुण में वृद्धि कर हम मानसिक विकारों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं| आरोग्य भारती मिर्जापुर काशी प्रांत के सचिव डॉ अवनीश पांडे ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहता है आत्मा, तन और मन इन तीन को स्वस्थ रखकर ही मनुष्य पूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकता है । इसके लिए आयुर्वेद एक अच्छा साधन सिद्ध हो सकता है|
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के द्रव्यगुण विभाग के अध्यक्ष डॉ के एन द्विवेदी ने कहा कि हमें कोरोना वायरस से प्रभावित रोगी की उपेक्षा न करते हुए समाज मे सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करना चाहिए। कोरोना की वजह से निश्चित ही भारत मे मृत्यु दर अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम है। इसका मुख्य कारण यहां की धार्मिक एवं आध्यात्मिक शुचिता है।
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि इस महामारी के समय में हम प्रसन्न रहने के लिए हमें चाहिए कि हम वर्तमान परिस्थिति को स्वीकार करें, अपनी आवश्यकताओं को सीमित करें, वर्तमान वातावरण में प्रसन्न रहें , हमेशा सकारात्मक सोचें इन सभी बिंदुओं पर विचार करके ही स्वस्थ रह सकते हैं | उन्होंने कहा कि दूसरे देशों के बजाय अपने देश का ही संदर्भ क्यों नहीं देते जबकि आज हमारे देश में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए रिकवरी रेट अच्छा है इन्फेक्शन हमारे यहां कम है| हमारे यहां आयुर्वेद का सफल ट्रायल हो रहा है| यह सभी हमें आत्मनिर्भर बनाते हैं|
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा के मनोचिकित्सक डॉक्टर आलोक कुमार शुक्ल ने वर्तमान वैश्विक आपदा कोविड-19 से होने वाली मानसिक बीमारियों की संभावना एवं उनसे बचाव के उपाय पर विधिवत प्रकाश डाला।
डॉ शुक्ला ने नकारात्मक सोच से बचने, सकारात्मक सोच को अपनाने , सृजनात्मक, रचनात्मक, सार्थक अभिरूचि के कार्यों में संलिप्तता, धूम्रपान एवं शराब से बचकर, पौष्टिक सुपाच्य भोजन, अच्छी नींद, काम भर का समाचार देखने एवं सुनने, योग प्राणायाम एवं आध्यात्मिक अभिरुचि को बढ़ा कर तथा लोगों से सामाजिक दूरी बरकरार रखते हुए भावनात्मक प्रगाढ़ता को विकसित करके मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है।
प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने कहा कि विश्व व्यापी कोरोना महामारी से उत्पन्न मानसिक बीमारियो जैसे तनाव, अवसाद, चिंता, डर एवं भय आदि को आयुर्वेद में बताए गए सिद्धांतों और दैवव्यापाश्रय, यज्ञ-हवन धूपन, हवन, सत्वावजय द्वारा नियंत्रित किया जा सकता हैl प्राणायाम योगासन ध्यान साधना रामायण गीता आदि धर्म ग्रंथों का अध्यन एवं मनन, आचार रसायन एवं सदवृत तथा दिनचर्या रात्रिचर्या व ऋतुचर्या का नियम पूर्वक पालन करना चाहिए|
वैद्य सुशील दुबे ने बताया कि इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने से ही भय और भ्रांति से मुक्ति प्राप्त हो सकती है| उन्होंने बताया कि अच्छी गुणवत्ता की अश्वगंधा गुड़ची मुलेठी ब्राह्मी शंखपुष्पी की उचित मात्रा व सेवन काल का ध्यान रखते हुए सेवन करने से निश्चित ही उपयोगी है | काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से गिलोय के पौधे का वितरण किया जा रहा है|
वेबीनार के संयोजक डॉ० गणेश प्रसाद अवस्थी ने कहा की आज कोरोना के संदर्भ में एक बात छन कर निकला है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक होगा उनके ऊपर इसका कोई असर नहीं होगा। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में रोग को नहीं बल्किं रोगी को ही ठीक किया जाता तथा उनके अंदर रोग निरोधक शक्ति को बहाल किया जाता है। रोगी रोग से स्वयं लड़ लेता है।आगे उन्होंने कहा कोरोना कॉल में होम्योपैथी निश्चित रूप से मानवता के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है।
इस वेबिनार में प्रमुख रूप से आरोग्य भारती पूर्वी क्षेत्र के संयोजक गोविन्द जी, काशी प्रांत अध्यक्ष डॉ. इंद्रनील बसु, सचिव डॉ.सुनील मिश्र, कानपुर प्रांत अध्यक्ष सुनील बाजपेयी, उपाध्यक्ष डॉक्टर सीमा द्विवेदी, सचिव डॉ अनोखेलाल पाठक, अवध प्रांत के प्रांतीय सचिव डॉक्टर अभय जी, प्रतापगढ़ के डॉ.रंगनाथ शुक्ल, डॉ.दीपक सिंह, बरेली के डॉ.अतुल वार्ष्णेय, वाराणसी के डॉ. जी यस दुबे, मिर्जापुर के डॉ. त्रिभुवन द्विवेदी, नई दिल्ली के वैद्य दीपक, वाराणसी की डॉ.अंजना सक्सेना, डॉ.रूचि तिवारी एवं देश के विभिन्न प्रांत एवं जनपदों के लोग ऑनलाइन जुड़े। डॉ. नवीन जोशी के तकनीकी सहयोग से आयुष दर्पण के फेसबुक पेज पर इस कार्यक्रम को हजारों लोगों ने लाइव देखा और लाभांवित हुए।