अभिव्यक्ति

पुत्र कलत्र में वास करें, चिरंजीवी रहे मम् आशीष बानी: चन्द्रमौली

डिजिटल डेस्क, अहरौरा।
सत्यांनगंज मुहल्ले में बाबा मृत्युंजय महादेव का रंगभरी एकादशी के अवसर पर गौना आयोजन का पारम्परिक कार्यक्रम था। विधि विधान से पूजा पाठ के बाद रात्रि में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन की शुरुआत मां सरस्वती के सामने  दीप प्रज्ज्वलित करते हुए एस ओ अमित कुमार श्रीवास्तव ने की। मंचासीन कवियों का परिचय व स्वागत के बाद मंच को गति मां सरस्वती वंदना के गीत पग तल बसा ले जननी से कवयित्री पूनम श्रीवास्तव ने दिया ।
दाल कसोरा में भरवाके, कोकोकोला भात में खईलन  व हंसी ठिठोली करे लगें बिटिया पतोह अंगने में, बूढ़ा लगावे लगे होंठलाली त समझय फागुन हव् काव्य पाठ से कवि झगड़ू भैया ने श्रोताओं को गुदगुदाया।
ब्रांड कुछ भी हो यहाँ सिर्फ़ नाम चलता है, दिल फरेबो का महज तामझाम चलता है। मस्त रहते हैं मियां दूसरों की बीबी में, इनकी वाली से पड़ोसी का काम चलता है। कवयित्री विभा सिंह ने शमां बांध दिया। महफिल में मेरा जो हुनर जो बोल रहा है, ये मां के दुआओं का असर बोल रहा है। जन्नत का नजारा है मेरे घर में, जिन्दा है मेरी माँ मेरा घर बोल रहा है।इस मिसरे से साहिल मिर्जापुरी ने गमगीन कर दिया जिनकी मांएं जन्नत नसीन हो चुकी थी। इस कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए नामचीन अन्तरराष्ट्रीय कवि डॉ अनिल चौबे श्रोताओं को भोर तक बांधे रखा और मां भागीरथी की दर्द, वेदना को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। जब डॉ अनिल चौबे ने मां गंगा की बातों को कहा कि ऋषि परासर की कथा हो या कुंवारी कुंती का रहस्य, सबकुछ चुपचाप मैं अपनी कोख में पचा जाती हूँ लेकिन जब भी कोई श्रद्धा से मां कहकर बुलाता है तो रविदास की कठौती में भी आ जाती हूँ।
     कवियों की कड़ी में कमलेश्वर कमल, सुरेन्द्र सिंह अंकूर, मनोज द्विवेदी, नरसिंह साहसी, डीके अजूबा आदि थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रकाण्ड ज्योतिष विद् चन्द्रमौली त्रिपाठी ने किया।
Banner VindhyNews
error: Right Click Not Allowed-Content is protected !!