0 अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस अथवा विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर आयोजित की गई वर्चुअल कार्यशाला
मिर्जापुर।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित जिला विज्ञान क्लब मिर्जापुर के तत्वधान में आज 31 मई को अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस पर बाल वैज्ञानिकों के बीच एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें 57 बाल वैज्ञानिकों ने प्रतिभागीता की।
कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडे, रसायन शास्त्री डॉक्टर अरुण कुमार, हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज कुमार रहे। कार्यशाला में विश्व तंबाकू निषेध दिवस कब और क्यों, धूम्रपान से हानियां, प्रयोगों के माध्यम से धूम्रपान से एकत्रित होने वाले टार का एकत्रित होना, कोविड-19 की समस्या में धूम्रपान द्वारा होने वाले नुकसान, बाल वैज्ञानिकों को नशा न करने के लिए शपथ जैसे वर्चुअल गतिविधियां आयोजित की गई।
जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडे ने विश्व धूम्रपान निषेध दिवस एवं धूम्रपान से एकत्रित होने वाले टार के प्रभाव को प्रयोग के माध्यम से समझाया। जिला समन्वयक ने बताया कि तंबाकू से होने वाले नुकसान को देखते हुए 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसके द्वारा 7 अप्रैल 1988 से इस दिवस को मनाने का फैसला किया गया। इसके बाद हर एक 30 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाने का फैसला किया गया। इस दिन धूम्रपान सेवन से होने वाली बीमारियों और खतरों से विश्व जगत को अवगत करा कर इसके उत्पाद और सेवन को कम करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
प्रत्येक वर्ष तंबाकू निषेध दिवस विशेष टीम पर आधारित होता है, इस वर्ष 2021 का थीम तंबाकू छोड़ने का प्रण (छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है) रखा गया है। जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडे ने प्रयोग के माध्यम से धूम्रपान से होने वाले फेफड़े में एकत्रित टार से होने वाले नुकसान को प्रयोग द्वारा समझाया। एक पारदर्शी प्लास्टिक बोतल में उसके ढक्कन में एक छेद कर उसमें एक सिगरेट लगाया, जिसका फिल्टर नीचे रखा, तथा बोतल के पेंदी से थोड़ा ऊपर छेद कर एक पेन बोतल में डाल कर बाहर पेन के ढक्कन को बंद कर दिया। बोतल में एक चौथाई पानी भरने के बाद, ढक्कन में लगे सिगरेट को जलाया जिससे पूरा धुआं पानी में एकत्रित हो गया। नीचे से धीरे से पानी को पेन के ढक्कन खोल कर बाहर कर दिया। इसके बाद बोतल में भरे गैस को बाहर से पेन के ढक्कन को खोल कर बाहर खींचा तथा बोतल के मुंह को सोख्ता पेपर से ढककर रबर बैंड से कस दिया। फिल्टर पेपर को हटाने पर सिगरेट के धुएं कारण फिल्टर पेपर पर ढेर सारा टार एकत्रित हो गया।
प्रयोग के माध्यम से बाल वैज्ञानिकों को यह बताया गया कि इसी तरह धूम्रपान से उत्पन्न टार हमारेफेफड़ों को संक्रमित करता है जिससे श्वसनतंत्र को नुकसान पहुंचता है। रसायन शास्त्री डॉ अरुण कुमार निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखाकर बनाए जाने वाला तंबाकू खास तौर पर नशे के लिए प्रयोग किया जाता है। तंबाकू जब जलता है तो वह एक टार नामक विशिष्ट पदार्थ पैदा करता है, जो धुएं के साथ फेफड़े में जाता है। टार के प्रत्येक कण में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और कई उड़न सीलऔर और अर्ध उड़न सील कार्बनिक रसायन होते हैं। यह दातों को ही नहीं फेफड़ों द्वारा अवशोषित वहां की कोशिकाओं को नष्ट होने का कारण बनता है। तंबाकू में 4000 से ज्यादा रसायन होते हैं, इनमें से 60 कैंसर का कारक होते हैं। हर साल 2000000 लोगों की मौत इस तंबाकू की वजह से होती है, हर दिन तंबाकू की वजह से लगभग 3000 लोगों की मौत हो जाती है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज कुमार ने बताया कि एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 11 मिनट कम होते हैं। एक सिगरेट में 4000 ऐसे केमिकल सोते हैं जिससे कैंसर फैलता है। दुनिया में हर 6 सेकंड में एक मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। निकोटीन हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। धूम्रपान के धुए में मौजूद निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे पदार्थ हृदय ग्रंथियों और धमनियों में रोग उत्पन्न कर देते हैं। धूम्रपान का घातक प्रभाव खासी गले में जलन, सांस लेने की परेशानी से शुरू होती है। इसकी वजह से त्वचा पर धब्बे और दातों के रंग खराब हो जाता है। घर और सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट और बीड़ी का धुआ दूसरों को जो लोग धूम्रपान नहीं करते यानी पैसिव स्मोकिंग से आसपास के लोग प्रभावित होते हैं। जिनके घरों में लोग तंबाकू और धूम्रपान का प्रयोग कर रहे हैं उनके बच्चे भी विभिन्न रोगों से प्रभावित होते हैं। इस कोविड-19 महामारी में तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति बार-बार थूकते है, सिगरेट और बीड़ी के धुएं से आसपास के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक बढ़ता है।
विश्व भर में होने वाली मृत्यु में 50% मौतों का कारण धूम्रपान है जिससे एसिडिटी, टीवी, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, माइग्रेन आदि रोग होते हैं। भारत में पुरुषों के साथ साथ अब महिलाएं भी धूम्रपान करना शुरू कर दी है। यदि महिलाएं गर्भावस्था के दौरान धूम्र पान करती हैं तो उनके नवजात शिशु का वजन कम हो जाता है और उनकी मृत्यु होने का खतरा रहता है।
शोधार्थी छात्र राजेंद्र कुमार ने बताया कि नशा करने वालों पर वैक्सीन का असर भी कम हो सकता है। टीका लगवाने के बाद तंबाकू का सेवन करने वालों में कम एंटी बॉडी बन रही है। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार 132 यूनिट पर मिली लीटर एंटीबॉडी होनी चाहिए।जबकि धूम्र पान करने वाले एवीएम तंबाकू सेवन करने वाले लोगो में औसत से भी कम एंटी बॉडी डेवलप हुई। एक अध्ययन से पता चला है कि तंबाकू मे पाए जाने वाले पीएच मान के प्रदूषक स्तर बड़ जाता है। अध्ययन में पाया गया की सिगरेट के धुए से मिलने वाला फिनांथरीन नाम का एक खास पदार्थ खून में जाकर जहरीला पदार्थ बनाता है। यह पदार्थ डीएनए को नष्ट करता है। जिससे कैंसर बनता है। भारत में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पाबंदी है लेकिन लचर कानून व्यवस्था के चलते इस पर कोई अमल नहीं हो पा रहा है।
सिगरेट और तंबाकू के पैकेट ऊपर मोटे शब्दों में यह लिखा जाना जरूरी है कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः आप सभी बच्चे निश्चित रूप से आज के दिन की महत्ता को समझते हुए नशा न करने की शपथ लें तथा अपने आसपास के लोगों को, घर के लोगों को इससे होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दें, आजकल सबसे ज्यादा बच्चे ही नशे के आदि हो रहे हैं जिससे ढेर सारी सामाजिक बुराइयां एवं रोग उत्पन्न हो रहे हैं।
जिला समन्वयक ने कहा कि कम से कम 21 वर्ष तक के बच्चों को तंबाकू एवं धूम्रपान हेतु मार्केट में उपलब्ध सामग्री प्रतिबंधित कर देनी चाहिए यूं ही किसी भी स्थिति में नहीं मिलनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वाले या तंबाकू खाने वाले लोगों पर कड़ी कार्यवाही जुर्माना आदि का सख्त प्रतिबंध होना चाहिए। कार्यक्रम के समापन सत्र में जिला समन्वयक के साथ विशेषज्ञों ने तथा सभी बच्चों ने तंबाकू एवम धूम्रपान न करने की सपथ ली, तथा आस पास के लोगो को इसके दुष्प्रभाव को समझाने की शपथ ली। तथा साथ में एक नारा दिया की नशा खराब करता है आप की शान ना डालें खतरे में जान। इस आयोजन में विनायक, आशीष, रवि ने महत्वपूर्ण सहयोग किया।