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बांस से हैंडीक्राफ्ट ज्वेलरी एवं फर्नीचर निर्माण के गुर सीख रहे कारीगर

० बांस से मोबाइल-पेन स्टेण्ड, ज्वैलरी, कंगन, बुके, राखी, वाल क्लिक , मिठाई, पैकिंग करने वाले डिब्बे तथा चूड़ी रखने वाले बाक्स बना सकेंगे
मिर्जापुर।

स्थानीय वन प्रभाग के मड़िहान रेंज में स्थित सामान्य सुविधा केंद्र में बुधवार से 15 दिवसीय बांस आधारित कारीगरों के प्रशिक्षण की कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। वर्कशॉप का उद्घाटन आरसी झा मुख्य वन संरक्षक मिर्जापुर मंडल के द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य वन संरक्षक आरसी झा ने कहा कि नेशनल बंबू मिशन के तहत बांस की खेती से अच्‍छी कमाई की जा सकती है। सरकार भी इस की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों की मदद करती है। बाजार में बांस के बने कई तरह की चीजों की अच्‍छी मांग भी है, जिससे जिले में किसानो के लिए बांस वरदान साबित होगा। कम पानी की मार झेल रहे किसानो के लिए ऐसे में यह कमाई का एक बेहतर ज़रिया बन सकता है।

बताया कि बांस के खेत में किसान अन्‍य तरह के फसलों से भी कमाई कर सकते हैं। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए केन्द्र सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। इन्‍हीं योजनाओं में से राष्‍ट्रीय बांस मिशन भी एक है। इस मिशन के तहत बांस की खेती करने पर किसानों की मोटी कमाई हो सकती है। बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए आर्टिशन एग्रो इंडिया किसानों को रियायति दरो पर पौधे देकर मदद कर रही है। वही केंद्र सरकार प्रति पौधा 120 रुपये भी देती है।

बताया कि केन्द्र सरकार ने साल 2018 में बांस को पेड़ की कैटेगरी से हटा दिया था। ऐसे में आप चाहें तो बिना किसी रुकावट के बांस की खेती कर सकते हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ निजी जमीन के लिए ही किया जा सकता है। जंगल की जमीन पर बांस की खेती या वहां से बांस की कटाई की छूट नहीं दी गई है। यह वन कानून के तहत आता है। बांस की सही किस्म चुननी जरूरी है बांस की लगभग 136 प्रजातियां होती है। आमतौर पर बांस के 10 किस्‍मों का उपयोग सबसे ज्‍यादा होता है। खेती शुरू करने से पहले आपको यह चुनाव करना होगा कि आप किस किस्‍म के बांस की खेती करना चाहते हैं। मान लीजिए कि आप फर्नीचर के लिए बांस की खेती कर रहे हैं, तो इससे संबंधित प्रजाति का चुनाव करें।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डीएफओ पीएस त्रिपाठी ने कहाकि नेशनल बंबू मिशन के तहत बंबू हैंडीक्राफ्ट ज्वेलरी एवं फर्नीचर निर्माण के क्षेत्र में कारीगरों का क्षमता विकास एवं संवर्धन विशेषज्ञ टीम द्वारा किया जाएगा।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि मास्टर ट्रेनर्स द्वारा कार्यशाला की जा रही है। इनको मोबाइल स्टेण्ड, पेन स्टेण्ड, ज्वैलरी, कंगन, बुके, राखी, वाल क्लिक , मिठाई, पैकिंग करने वाले डिब्बे तथा चूड़ी रखने वाले बाक्स का प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। बताया कि कारीगरों को रोजगार से जोड़कर आर्थिक उन्नयन की थीम पर प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से उप प्रभागीय वन अधिकारी चुनार पंकज कुमार शुक्ला, श्रीमती मीरा नीरा शर्मा एवं उनकी टीम द्वारा मशीनों की सहायता से बंबू क्रश कटिंग, थिनिंग, स्लाइसिंग, नाट रिमूविंग, फर्निशिंग का कार्य करते हुए बारीकियों से परीचित कराया जा रहा है।

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