मिर्जापुर

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रतिभा का प्रस्फुटन मिजार्पुर में ही हुआ – योगेश्वर राम मिश्र

0 साहित्य, संगीत एवं कला की त्रिवेणी है विन्ध्य क्षेत्र  -मण्डलायुक्त

0 ’आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और मिजार्पुर के साहित्यकार’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी सम्पन्न

0 हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज एवं प्रभाश्री ग्रामोदय सेवा आश्रम का संयुक्त अनुष्ठान

मीरजापुर।  हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज एवं प्रभाश्री ग्रामोदय सेवा आश्रम देवगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में विन्ध्याचल मण्डलायुक्त के सभागार में ‘आचायर् रामचन्द्र शुक्ल और मिजार्पुर के साहित्यकार‘ विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ। मण्डलायुक्त योगेश्वरराम मिश्र के मुख्यातिथ्य, हिन्दुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ. उदयप्रताप सिंह के सभापतित्व, राष्ट्रकवि डॉ. बृजेश सिंह एवं पाठालोचक पण्डित उदयशंकर दुबे के विशिष्टातिथ्य में प्रथम सत्र का शुभारम्भ हुआ।

विषय प्रवतर्न करते हुए डॉ. अनुजप्रताप सिंह ने आचायर् रामचन्द्र शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तारपूवर्क प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने बताया कि शुक्ल जी जिस समय हिन्दी के सन्दभर्ग्रन्थों का प्रणयन करते हैं, उस समय तक हिन्दी में बहुत कम पुस्तकें थीं। इसलिए आचायर् शुक्ल ने अपने पुस्तकों में रेफरेंस नहीं दिया है। उन्होंने हिन्दी-आलोचना, साहित्येतिहास और कविता का ऐसा प्रतिमान स्थापित किया, जिसका आजतक कोई विकल्प नहीं है। डॉ. सभापति मिश्र ने अपने बीज वक्तव्य में आचायर् रामचन्द्र शुक्ल के साथ साथ मिजार्पुर की सम्पूणर् साहित्यिक परम्परा का स्मरण किया।

मण्डलायुक्त योगेश्वरराम मिश्र ने आचायर् रामचन्द्र शुक्ल के अवदान को रेखांकित करते हुए कहा कि आचायर् रामचन्द्र शुक्ल की प्रतिभा का प्रस्फुटन मिजार्पुर में ही हुआ है। मिजार्पुर के लंदन मिशन स्कूल से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तक की ज्ञान-यात्रा में आचायर् रामचन्द्र शुक्ल की वाग्विभूति का विकास हुआ। आचायर् रामचन्द्र शुक्ल ने कविता, कहानी, आलोचना, निबन्ध, साहित्यशास्त्र, काव्यभाषा, शब्दकोश और साहित्य के इतिहास का मानक रचा है। आचायर् शुक्ल प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी हैं।

बिलासपुर से आये राष्ट्रकवि डॉ. बृजेश सिंह ने आचायर् शुक्ल के निबन्धकार स्वरूप को रेखांकित किया। पाण्डुलिपि-विशेषज्ञ एवं वयोवृद्ध पाठालोचक पण्डित उदयशंकर दुबे ने आचायर् शुक्ल के ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास‘ के सन्दभर् मिजार्पुर के प्रकृति-पयर्वेक्षण और परिवेश के प्रभाव का विश्लेषण किया।

प्रथम सत्र के सभापति डॉ. उदयप्रताप सिंह ने आचायर् रामचन्द्र शुक्ल के द्वारा सन् 1932 ई. में हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सचिव को अंग्रेजी में लिखे पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि उस पत्र में शुक्लजी ने हिन्दुस्तानी एकेडेमी में सूरदास पर व्याख्यान देने के लिए कहा है। आज हिन्दुस्तानी एकेडेमी अपने शताब्दी वषर् की ओर अग्रसर है और आचायर् शुक्ल का स्मरण करने उनके द्वार आयी है। सभापति डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि आगामी एक-दो महीने के भीतर ही हिन्दुस्तानी एकेडेमी पुनः मिजार्पुर के समृद्ध इतिहास पर संगोष्ठी करेगी। प्रथम सत्र का संचालन राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के संयोजक डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय‘ ने किया।

संगोष्ठी का अकादमिक सत्र तिब्बती उच्च अध्ययन संस्थान डीम्ड यूनिवसिर्टी सारनाथ के प्रो. बाबूराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. सुजीतकुमार सिंह ने आचायर् रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना सरणि को विस्तारपूवर्क विश्लेषित किया। प्रयागराज से पधारे डॉ. संजयकुमार सिंह ने आचायर् शुक्ल की इतिहास-दृष्टि का विवेचन किया।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आचायर् डॉ. लक्ष्मणप्रसाद गुप्त ने आचायर् शुक्ल के विशाल अध्ययन एवं अनुशीलन पर प्रकाश डाला। शुक्लजी के भारतीय और पाश्चात्य ज्ञान का वणर्न किया। मुख्य वक्ता ब्रजदेव पाण्डेय ने कहा कि आचार्य शुक्ल का विकास किन परिस्थितियों में हुआ, उनका भी विश्लेषण किया जाना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे डॉ. बाबूराम त्रिपाठी ने कहा कि अब समय आ गया है कि पुनः आचायर् रामचन्द्र शुक्ल के साहित्य का गम्भीरता से अध्ययन अनुशीलन किया जाय। संगोष्ठी का संचालन डॉ. भुवनेश्वर दुबे ने किया।

 

संगोष्ठी के तृतीय सत्र में कविराज पण्डित रमाशंकर पाण्डेय ‘विकल‘ के सभापतित्व में कविगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें नवगीतकार गणेश गम्भीर, डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय‘, ओम धीरज, डॉ. बृजेश सिंह, अजिता श्रीवास्तव ने काव्यपाठ किया। कविगोष्ठी का संचालन शुभम् श्रीवास्तव ‘ओम‘ ने किया। इस अवसर पर संयुक्त विकास आयुक्त सुरेशचन्द्र मिश्र, जिला सूचना अधिकारी डॉ. पंकज कुमार, जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम, डॉ. अमरेन्द्र त्रिपाठी, पद्मिनी श्वेता सिंह, कीतिर्वधर्न सिंह, आयार् भव्यानी सिंह, रामेश्वर प्रसाद मिश्र, डॉ. सत्यप्रकाश सिंह, राकेशचन्द्र शुक्ल, राजेश कुमार श्रीवास्तव, नाजिर मनोज कुमार शमार् आदि की उपस्थिति रही।

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