अभिव्यक्ति

पत्थर को तराशना जैसा है पुरानी पेंशन बहाली का संघर्ष: बी पी सिंह रावत

मिर्जापुर।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा देश के लाखो एनपीएस कार्मिकों की मांग पुरानी पेंशन बहाली के लिए निरंतर आंदोलनरत है। अब तक पुरानी पेंशन बहाली के लिए अनेकों कार्यक्रम किए गए है हर पटल से हर क्षेत्र से  पुरानी पेंशन बहाली की आवाज को बुलंद किया गया है। हर तीज त्यौहार को पुरानी पेंशन बहाली के संघर्ष से जोड़ने का प्रयास किया गया है, चाहे होली का त्योहार हो  दीपावली हो या ईद। सभी मौकों पर पुरानी पेंशन बहाली की मुहिम को चलाने का प्रयास किया गया  है और ये मुहिम सफल भी हुई है। सभी राज्यों में हर स्तर से एनपीएस कार्मिक कई बार ज्ञापन कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके है।
   राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत ने पुरानी पेंशन बहाली के संघर्ष को लेकर कहा है कि रोज एक पत्थर को तराशना जैसा है। ये संघर्ष एनपीएस कार्मिक हर रोज अपने बुढ़ापे के लिए चिंतित है, परेशान है। एनपीएस कार्मिकों की जैसे जैसे उम्र बढ़ती जा रही है उनको अपने सेवा निवृत के बाद अपने बुढ़ापे की चिंता सता रही है। एनपीएस कार्मिकों की दिनचार्य का हिस्सा बन चुका है पुरानी पेंशन बहाली का संघर्ष। सरकारी कर्मचारी उम्मीद लगा बैठे है जिस तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल कर दी है, उसी तरह केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकारें भी जल्द पुरानी पेंशन बहाल करने निर्णय लेना चाहिए।
 बी पी सिंह रावत ने कहा है कि आखिर एक ही देश में अलग अलग कानून कैसे हो सकते हैं। विधायक सांसद को पुरानी पेंशन आर्मी को पुरानी पेंशन और पैरा मिलिट्री को एनपीएस आखिर ऐसा क्यों ये भेद भाव क्यों  जो कर्मचारी सरकार के अभिन्न अंग होते संविधान के सच्चे रक्षक होते है, उनको एनपीएस बाजार आधारित पेंशन नहीं टेंशन क्या ये न्योचित है। बीपी सिंह रावत ने जोर देकर कहा है देश के गौरवशाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनपीएस कार्मिकों की पीड़ा को समझते हुए तत्काल एनपीएस काला कानून व्यवस्था खत्म करके पुरानी पेंशन बहाली का एतिहासिक निर्णय लेना होगा  जिससे देश के सभी कर्मचारियों का उत्साह बढ़ेगा।
 खुशी जाहिर करते हुए दुगनी ताकत से अपनी ड्यूटी करेगे जो देश हित में अत्यंत महत्वपूर्ण होगा बी पी सिंह रावत ने कहा है कि अनेको अनुनय विनय करने के बाद भी एनपीएस कार्मिकों की पीड़ा को नजरंदाज किया गया तो देश भर में बड़े आंदोलन तेजी से किए जायेगे जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों की होगी।
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