धर्म संस्कृति

केसरवानी के गोत्र ऋषि महर्षि कश्यप ने की थी कश्मीर की स्थापना: इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी

0 केसरवानी परिवार अहरौरा का होली मिलन समारोह संपन्न
अहरौरा, मिर्जापुर। 
पृथ्वी का स्वर्ग कश्मीर को केसरवानी गोत्र की महर्षि कश्यप जी ने झेलम झील को काटकर स्थापित किया था, जिसके कारण इसका नाम कश्मीर पड़ा। देश में रहने वाले सभी वैश्य कश्मीर राज्य  के बनियार क्षेत्र, तहसील रामबाग के निवासी हैं, इसलिए हमें वैश्य जाति के सभी उपजातियों में रोटी- बेटी का संबंध स्थापित कर जातिगत एकता का परिचय देते हुए एक सूत्र में बधना चाहिए।
            केसरवानी मूल रूप से कश्मीरी ब्राह्मण है और केसर की खेती के कारण इस समाज को  केसरवानी के नाम से  संबोधित किया जाता रहा है। 14 वीं शताब्दी में मुस्लिम आतंक के कारण केसरवानी समाज के लोग कश्मीर छोड़कर दिल्ली, हरियाणा, कोलकाता, बिहार,झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित उत्तर भारत के अन्य राज्यों में बस गए और स्थानीय सरनेम जैसे केसरी, गुप्ता, जायसवाल, अग्रहरि, उमर, साहू, आदि को लगाना शुरू कर दिया।
 दूसरी ओर केसरवानी समाज के लोगों के केसर के खेतों, जमीनो, जायजातो पर मुस्लिम आतंकियों का कब्जा हो गया। इस प्रकार कश्मीर से हिंदुओं के पलायन की घटना लगभग 700 वर्ष पूर्व घटित हुई थी, आज द फाइल्स कश्मीर फिल्म मे कश्मीर में दिखाई गई आतंकी घटना कश्मीरी ब्राह्मणों पर हुए अत्याचारो का एकमात्र नमूना है।
      उपरोक्त विचार विंध्याचल मंडल के मिर्जापुर जनपद के अहरौरा नगर में केसरवानी परिवार द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक/इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी ने व्यक्त किया।
   मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार व्यक्त करते हुए समाजसेवी, राजनेता ओंकार केसरी ने कहा कि-” केसरवानी परिवार द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह आपसी भाईचारा, प्रेम- सौहार्द का प्रतीक है और  स्वजातीय बंधुओं का परिचयात्मक कार्यक्रम है, विवाह योग्य युवक-युवतियों के परिजनों का मेल मिलाप कराना, प्रतिभावान युवक-युवतियों को सम्मान-पुरस्कार माध्यम से प्रोत्साहित करना हमारा उद्देश्य है।
सोनघाटी पत्रिका की साहित्य संपादक, साहित्यकार प्रतिभा देवी कहा कि-“होली का स्वरूप आज भले ही बदल चुका है, लेकिन प्राचीन काल में इस त्यौहार को मनाने का उद्देश्य स्वास्थ्य रक्षण था। हमारे पुरखे होली के महीनों पूर्व टेसू के फूल, पेड़ की पत्तियों अन्य वनस्पतियों से महीनों पहले प्राकृतिक विधि से रंग तैयार करते थे, उसी से होली खेलते थे साल भर तक स्वस्थ रहते थे। होली का पर्व रंग चिकित्सा विज्ञान का एक विशेष आयोजन है।
   प्रकृति विधान फाउंडेशन के संस्थापक, प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में अनवरत रूप से कार्यरत राजकुमार केसरी ने इस अवसर पर प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि-” प्रकृति ही हमारे जीवन की रक्षक है, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान है अगर आपने एक वृक्षारोपण कर दिया तो यह पौधे कालांतर में सौ पुत्रों के समान समाजसेवा करेंगे। श्री केसरी ने महामंत्री उमेश केसरी, मीडिया प्रभारी अनिल केसरी सहित अन्य पदाधिकारियों को एक- एक वृक्ष फाउंडेशन की ओर से उपहार स्वरूप प्रदान किया।
   कार्यक्रम का शुभारंभ महर्षि कश्यप के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण विविध प्रकार के आकर्षक मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुआ।
  इस अवसर पर केसरवानी परिवार के अध्यक्ष- कमलेश केसरी, महामंत्री/कार्यक्रम संचालक उमेश केसरी ने अतिथियों का माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह, आदि उपहार प्रदान कर सम्मानित किया।
    कार्यक्रम में संरक्षक-महेंद्र केसरी, सतीश चंद्र केसरी, ओमप्रकाश केसरी, हनुमान दास केसरी, विनय केसरी, कमलेशकेसरी, उपाध्यक्ष-कुश केसरी, मनोज केसरी, सुजीत केसरी, अनिल केसरी, कोषाध्यक्ष- उत्कर्ष केसरी,आय व्यय निरीक्षक-दीपक केसरी, संस्कृति मंत्री-परमजीत केसरी, संगठन मंत्री-धीरज केसरी आदि सदस्यो एवं पदाधिकारियों ने कार्यक्रम में शिक्षा, समाज सेवा, चिकित्सा, सरकारी क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने वाले युवक-युवतियों, मेधावी छात्र- छात्राओं, कोरोना संक्रमण काल में अपनी बेटियों और बेटों विवाह संपन्न कराने वाले परिजनों को माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह, उपहार प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर रेखा केसरी, नंदिनी केसरी, इंद्रावती केसरी, प्रीति केसरी, संजीव केसरी, त्रिलोकी केसरी, संजय केसरी, शिवम केसरी, अवधेश केसरी, प्रीतम केसरी, नीतीश केसरी, मनोज केसरी, लक्ष्मण केसरी सहित  काफी संख्या में केसरवानी परिवार  के लोग अबीर- गुलाल खेलख, एक दूसरे से गले मिलकर, ठंडाई, लजीज व्यंजनों का लुफ्त उठाते हुए एक दूसरे को होली की हार्दिक शुभकामनाएं दी और ईश्वर से प्रार्थना किया कि अगले वर्ष पुनः हम एक दूसरे से मिले।
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