0 एनडीआरएफ की टीम ने तीसरी बार मे निकाला, जिला अस्पताल के चिकित्सको ने मृत घोषित किया
ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर(मड़िहान)।
भूतल से 70 फुट नीचे बोरवेल की पाइप में फसी 3 साल की अबोध बालिका 12 घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आखिरकार जिंदगी की जंग हार ही गई। मंगलवार को भोर में लगभग साढे 3 बजे किसी तरह एनडीआरएफ की टीम के सहयोग से उसको पाइप से बाहर तो निकाल लिया गया लेकिन उसे बचाया नही जा सका। जिला अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मंगलवार को बालिका रूपान्जलि 3 वर्ष को निकालने के तुरंत बाद डॉक्टर की मदद ली गई और उसके बाद उसे आनन-फानन में जिला अस्पताल लाया गया। किंतु प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था। बता दें कि एनडीआरएफ की टीम द्वारा बालिका को निकालने पर वह दो बार कुछ ऊपर आने के बाद पुनः उसी जगह जाकर अटक जा रही थी लेकिन तीसरी बार अथक प्रयास करके उसे किसी तरह बाहर निकाला गया। बता दे कि नजीर के खेत मे जहा बोरवेल कराकर खुला छोड़ रखा गया था उसके ठीक बगल में सूर्य लाल आदिवासी का खेत है और सूर्य लाल अपने खेत में ही गौशाला बनाकर पशुओं को रखा करता था। सोमवार को दोपहर बाद सुर्य लाल की पत्नी मंजू लगभग तीन 3:00 बजे अपनी 3 वर्षीय पुत्री दीपांजलि के साथ पशुओं को पानी पिलाने गई थी। एक स्थान पर रूपान्जलि को बैठा कर मंजू पशुओं को पानी पिलाने लगी। बताते हैं कि कुछ ही देर के बाद रूपान्जलि मां की आंखों से ओझल हो गई और जब उसकी नजर पड़ी तो बोरवेल के पास देखकर मां मंजू का मुह खुला का खुला रह गया। दीपांजलि को गोद में उठाने के लिए मां मंजू ज्यो ज्यो आगे बढ़ी वह खिसकती ही गई। बताते हैं कि जैसे ही अपनी बेटी को उसने उठाना चाहा बालिका बोर में सर से सरक गई और 70 फीट नीचे बोरवेल में पहुंच गई। इस दौरान बालिका के रोने की आवाज ऊपर तक पहुंच रही थी। यह सुनकर मा मंजू ने चीख पुकार करना शुरू किया। इस पर दौड़कर पहुचे ग्रामीणों ने टॉर्च की रोशनी से देखा तो बालिका बोर के अंदर सही सलामत नजर आ रही थी। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने बालिका को बाहर निकालने के लिए जेसीबी की खुदाई करा कर बचाने का प्रयास किया। लेकिन इतना अधिक गहराई तक खुदाई संभव नहीं था। इस बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम भी सही समय पर नहीं पहुंच सकी। जब तक स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची तब तक बालिका का आवाज ऊपर तक आना पूरी तरह से बंद हो चुका था। घटना के घंटे बाद देर रात में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची और ऑक्सीजन देकर बचाव का प्रयास शुरु किया। लेकिन उस ऑक्सीजन से कोई फायदा नहीं निकला और बालिका की आवाज पूरी तरह बंद हो गई तब तक एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई और सोमवार को रेत लगभग 9:30 बजे से मंगलवार को भोर के 3:00 बजे भोर तक अथक परिश्रम करते हुए एनडीआरएफ की टीम ने किसी तरह बालिका को बाहर निकाला प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यदि घटना के तुरंत बाद समय स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई होती और बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य सही समय पर कर लिया गया होता तो शायद मासूम रूपान्जलि की मौत बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई होती। बरहाल मासूम की मौत बोरवेल की पाइप में ही लिखी थी। सो 3:30 बजे भोर में एनडीआरएफ की टीम ने उसे निकाल तो लिया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका और अंततः जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने मासूम रूपान्जलि को मृत घोषित कर दिया।