स्वास्थ्य

स्वस्थ बालक बालिका प्रतियोगिता में 60 बच्चें हुए पुरस्कृत

मिर्जापुर।

बाल विकास विभाग द्वारा जिले के 2668 केन्द्रों पर आयोजित स्वस्थ्य बालक बालिका प्रतियोगिता के तहत 60 बच्चों को पुरस्कृत किया गया है। इस आशय की जानकारी बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा ने दी।

बाल विकास विभाग जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि सितम्बर माह में जिले में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से स्वस्थ्य बालक बालिका प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें से प्रथम श्रेणी वाले 60 बच्चों को विभाग ने पुरस्कृत किया है। जिले के उन्ही केन्द्रों पर प्रतियोगिता का अयोजन किया गया जिन केन्द्रों पर बालक या बालिका के परिवार वालों को आसानी से बुलाया जा सके।

प्रतियोगिता के दौरान शिक्षा विभाग कके सदस्यों, एएनएम, आशा व पोषण पंचायत के सदस्यों को बुलाया गया जिससे कि प्रतियोगिता के दौरान पारदर्शिता बनाया जा सके। उसके बाद ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत सदस्य व जनप्रतिनिधियों के सदस्यों ने भी प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर चयनित होने वाले बालक बालिका को भी प्रमाण पत्र दिया।

बाल विकास परियोजना अधिकारी विकास ने बताया कि प्रतियोगिता के दौरान स्वच्छ वातावरण के लिए केन्द्रों को गुब्बारों से सजाया गया और केन्द्रों पर आने वाले बच्चों में मिष्ठान का वितरण भी किया गया। इस समय केन्द्रों पर आधार फीडिंग के बाद पोषण टैकर के माध्यम से सामने आया है कि 335000 बच्चों का पठन पाठन केन्द्रों पर चल रहा है ।

इन मानकों के हिसाब से मिलें अंक

स्वस्थ बालक-बालिका प्रतियोगिता में मासिक वृद्धि निगरानी के पांच, व्यक्तिगत स्वच्छता के 10, सामान्य श्रेणी में बने रहने या फिर सैम से मैम और मैम से सामान्य श्रेणी में आने पर 10 अंक, छह माह तक केवल स्तनपान, दो वर्ष तक स्तनपान और अनुपूरक पुष्टाहार का नियमित सेवन और पांच वर्ष तक प्राप्त होने वाले अनुपूरक पुष्टाहार का नियमित सेवन करने पर 10 अंक, समय से टीकाकरण के 10 अंक और समय पर कीड़े निकालने की दवा खाने के पांच अंक दिए गए।

प्राप्त अंकों के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पोषण पंचायत के सदस्य, ग्राम सभा के प्रतिनिधि, एएनएम, आशा और स्थानीय शिक्षक ने प्रतियोगिता में सफल बच्चों को नामित किया। राम नरेश का कहना है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन एक अच्छी पहल है इस प्रतियोगिता से बच्चों के बौद्धिक विकास का पता आसानी से लगाया जा सकता है। मेरा पुत्र मासूम पिछले दो वर्षो से पिपराडाड के आंगनबाड़ी केन्द्र पर पढ़ने जा रहा है।

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