पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में आज थी पेशी
0 रविवार को झांसी जेल से लाया गया था बागपत जेल
0 फिर छिड सकती है माफियाओ में जंग, पुलिस जांच में जुटी
यूपी के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। जानकारी के मुताबिक मुन्ना बजरंगी की सोमवार यानि आज सुबह 6 बजे सुबह गोली मार कर हत्या की गयी। उस समय संतरी जेल में गस्त कर रहे थे तभी लगातार कई गोली चलने की आवाज आई। कुछ देर बाद जानकारी मिली कि मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई है। डीएम ऋषिरेंद्र कुमार भी जिला जेल पर पहुंच चुके हैं और जांच शुरू हो चकी है।
गौरतलब है कि रविवार को उसे झांसी जेल से बागपत जेल में लाया गया था। जहां उसकी आज पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। इसी दौरान बागपत जेल में उसकी हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी के हत्या से हडकंप मच गया है। पुलिस को एलर्ट कर दिया गया है। कयास लगाये जा रहे है कि मुन्ना की हत्या से एक बार फिर माफियाओं जंग छिड सकती है। पुलिस इस मामले की जांच में तेजी से जुट गयी है कि किस माफिया की सह पर इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया है। बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद से पुलिस के चुनौती बनने के साथ मुन्ना बजरंगी का नाम तेजी से अपराध की दुनिया में बढा।
कौन था मुन्ना बजरंगी
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे।मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे।
मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।
अस्सी के दशक में की थी पहली हत्या
मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था. इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया. मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था. इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी. उसके मुंह खून लग चुका था. इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया. उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली.
पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया. यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था. मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई. मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था. वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था.
ठेकेदारी और दबंगई ने बढ़ाए दुश्मन
पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था. लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे. उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था. उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था. इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे. इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे. कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था. उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी.
मुन्ना ने की थी भाजपा विधायक की हत्या
मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची और उसी के चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई थी. इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे. पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी. इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी. हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा. इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था.
सात लाख का इनामी था मुन्ना
भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी. इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया. उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है. वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा. पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था.
मुंबई में ली थी पनाह
यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी. उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था. दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था. इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया. उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा. इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा. उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे. वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था.
राजनीति में आजमाई किस्मत
एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की. मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था. जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे. यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे. बीजेपी से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा. वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया. कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे. मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे. मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था.
ऐसे गिरफ्तार हुआ था मुन्ना
उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था. उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं. लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था. माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था. इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी. मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था. बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है. इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया. तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा है. इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं. मुन्ना बजरंगी का दावा है कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं.
मुन्ना बजरंगी का शव बागपत से लखनऊ के विकास नगर सेक्टर 11 स्थित घर लाया जा रहा
लखनऊ। मुन्ना बजरंगी का शव बागपत से लखनऊ के विकास नगर सेक्टर 11 स्थित घर लाया जा रहा। एक रिश्तेदार विकास ने बताया देर रात शव पहुंच सकता है। रात में व कल अंतिम संस्कार के समय शहर में बवाल और प्रदर्शन की आशंका है जिसको देखते हुये पुलिस सक्रिय हो गई है। उसके घर के अासपास पुलिस का सख्त पहरा लगा दिया गया है।
बताते चलें कि बागपत जेल में पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी को सोमवार सुबह गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया गया। उसे दस गोली मारी गईं। घटना के बाद शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस हत्या में इस्तेमाल पिस्टल को बरामद करने का प्रयास कर रही है। शासन ने जेलर उदय प्रताप ङ्क्षसह समेत चार को निलंबित कर दिया है। जेल अधीक्षक विपिन मिश्र ने सुनील राठी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित और उनके भाई से रंगदारी मांगने के मुकदमे में सोमवार को मुन्ना बजरंगी की अदालत में पेशी होनी थी।
पुलिस मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से लेकर रविवार रात नौ बजे बागपत पहुंची और उसे जेल की हाइ सिक्योरिटी बैरक में बंद कर दिया। वहां दूसरी बैरक में पहले से ही कुख्यात सुनील राठी बंद था। सोमवार सुबह लगभग 6.10 बजे संतरी ने बैरक से कई राउंड गोली चलने की आवाज सुनी। जेल कर्मचारियों ने बैरक के पास जाकर देखा तो मुन्ना बजरंगी लहूलुहान हालत में जमीन पर मृत पड़ा था। सुनील राठी समेत दूसरे बदमाश हाई सिक्योरिटी की अपनी-अपनी बैरक में थे। सूचना फ्लैश होते ही डीएम त्रषिरेंद्र कुमार और एसपी जयप्रकाश भारी पुलिस बल के साथ जेल में पहुंचे।
मुन्ना बजरंगी के अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि मुन्ना बजरंगी की जेल प्रशासन ने हत्या करा दी है। बताया कि रविवार रात पुलिस बजरंगी को लेकर पुलिस लाइन जाने लगी, लेकिन अचानक अफसरों के फोन पर पुलिस उसे जेल में ले गई, जबकि पुलिस के पास मुन्ना को जेल ले जाने की अनुमति नहीं थी। दोपहर के समय मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह अपनी बेटी सिमरन से साथ बागपत पहुंची। सीमा ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन ने हत्या कराई है। इसमें विधायक और सांसद समेत दूसरे नेता भी शामिल रहे हैं। उधर, दोपहर बाद पोस्टमार्टम के बाद शव को मुन्ना बजरंगी की पत्नी और उसके परिवारीजन के सिपुर्द कर दिया गया है। भारी सुरक्षा के बीच मुन्ना के शव को लेकर परिवारीजन जौनपुर के लिए रवाना हो गए हैं।
डीएम-एसपी ने माना गंभीर अपराध
डीएम व एसपी ने बताया कि जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी की हत्या होना एक गंभीर मामला है और उससे भी बड़ी लापरवाही जेल के अंदर हथियार जाना है। सुनील राठी और दूसरे कैदी और बंदियों से भी पूछताछ की जा रही है।
जेलर समेत चार निलंबित, मजिस्ट्रेट जांच होगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुन्ना बजरंगी की जेल में हुई हत्या पर नाराजगी जताई तो जेल प्रशासन ने तत्काल ही बागपत के जेलर उदयप्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डर अरजिंदर सिंह और वार्डर माधव कुमार को निलंबित कर दिया।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि जेल अधीक्षक विपिन मिश्र की ओर से बागपत के थाना खेकड़ा में आरोपित सुनील राठी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। एडीएम को पूरी घटना की मजिस्ट्रेट जांच सौंप कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सूचना दे दी गई है। न्यायिक अभिरक्षा में हुई हत्या की न्यायिक जांच भी होगी। इसके लिए शासन ने बागपत के जिला जज से मजिस्ट्रेट नामित करने का अनुरोध भी किया है।
साथ ही जेल प्रशासन ने डीआइजी जेल संजीव त्रिपाठी को भी जेल के भीतर हुई चूक की विभागीय जांच सौंपी गई है। डीआइजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार ने बताया कि पुलिस को बजरंगी के शव के पास से 7.62 बोर के दस खोखे मिले हैं। इसके अलावा पास की नाली से 22 कारतूस और दो मैग्जीन भी बरामद की गईं हैं। एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि घटना में प्रयुक्त पिस्टल बरामद कर ली गई है।
जेल के अंदर हत्या पर सरकार गंभीर : योगी
दो दिवसीय दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बागपत जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी की हत्या पर नाराजगी व्यक्त करते हुए हैरानी भी जताई। उन्होंने कहा कि घटना की जानकारी के बाद जेलर के साथ ही चार लोगों को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जेलों में सतर्कता बरतने के साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिया। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुन्ना बजरंगी कई मामलों में वांछित अपराधी था। जेल के अंदर जिस प्रकार से उसकी हत्या की गई है। उसको लेकर सरकार गंभीर है। इस घटना में शामिल जो भी दोषी होंगे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बागपत में पेशी के लिए जिस मामले में मुन्ना बजरंगी को लाया गया, उसमें मुन्ना बजरंगी नामजद नहीं थे, ना ही रंगदारी के मामले में वायस सैंपलिंग में उसकी आवाज मैच की थी। विकास का कहना है कि जबरन प्रशासन ने इस मामले में मुन्ना बजरंगी को पेश किया और बीमार होने के बावजूद एंबुलेंस से बागपत लाया गया। इसके बाद उनकी अलसुबह छह बजे के करीब सुनील राठी से हत्या करवा दी। सुनील राठी बागपत के कस्बा टीकरी का कुख्यात बदमाश है और उम्र कैद काट रहा है।
पुलिस हथियार की तलाश में जुटी
मुन्ना बजरंगी की हत्या जिस हथियार से की गई, उसे जेल के गटर में फेंके जाने की सूचना है। इसी के चलते पुलिस ने गटर सफाई करने वाली मशीन को जेल के अंदर बुला लिया। मशीन से गटर की सफाई कर हथियार को बरामद करने का प्रयास किया जा रहा है। सुबह से ही जेल में डीएम ऋषिरेन्द्र कुमार व एसपी जयप्रकाश समेत अन्य आला अधिकारी मौजूद है। आज जेल में मिलाई बंद है।
जेल के अंदर कैसे आया हथियार
जेल के अंदर मोबाइल व हथियार ले जाने पर पाबंदी है। इसके बावजूद जेल के अंदर हथियार पहुंच गया, जिससे मुन्ना बजरंगी की हत्या की गई। जेल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे है। प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।