धर्म संस्कृति

क्रिसमस डे: सेंट मेरी चर्च में यीशु की पूजा और अराधना की गयी, प्रभु यीशु के पद चिन्हों पर चलने का दिया संदेश 

मिर्जापुर। 

25 दिसम्बर रविवार को मिर्जापुर नगर के स्टेशन रोड स्थित सेंट मेरी चर्च में ईसा मसीह का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। चर्च में जुटे ईसाई समुदाय के लोगों ने कैंडल जलाकर प्रार्थना सभा के साथ प्रभु यीशु की पूजा और अराधना करते हुए उनको याद किया। चर्च के फादर जैकब बोना डी सोजा ने प्रभु यीशू के जन्म के बारे में लोगों को जानकारी दी और उनके बताए रास्ते पर चलते हुए मुक्ति के मार्ग पर अनवरत चलते रहने को कहा।

सेंट मेरी चर्च में फादर जैकब बोना डी सोजा ने सर्वप्रथम प्रार्थना कराई और ईसा मसीह के जीवन व हमारे क‌र्त्तव्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि ईसा मसीह ने ईमानदारी के साथ जीवन व्यतीत किया और उन्होंने लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया। पापों से मुक्ति दिलानेे का मार्ग बताया है।

फ़ादर ने युवाओ को प्रभु यीशु के पद चिन्हों पर चलने का संदेश दिया। चर्च में कैंडल जलाकर प्रभु यीशु को याद किया। फादर ने प्रार्थना में उपस्थित सभी लोगों को प्रभु यीशू के बारे में समझाया।

फ़ादर ने बताया कि क्रिसमस का पर्व प्रभु यीशू के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। प्रभु यीशु (जीसस क्राइस्‍ट) को भगवान का बेटा यानी सन ऑफ गॉड कहा जाता है। प्रभु यीशु का जन्म 4 ईसा पूर्व हुआ था। उनके पिता का नमा यूसुफ और मां का नाम मरियम था। प्रभु यीशु का जन्म एक गौशाला में हुआ था, जिसकी पहली खबर गडरिया लोगों को मिली थी और उसी समय एक तारे ने ईश्वर के जन्म की भविष्यवाणी को सत्य बताया था।

प्रभु यीशु 30 साल की आयु से मानव सेवा में जुट गए थे। वह घूम-घूम कर लोगों को संदेश दिया करते थे। प्रभु यीशु के इस कदम से यहूदी धर्म के कट्टरपंथी लोग नाराज हो गए और उनका विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद एक दिन रोमन गवर्नर के सामने प्रभु यीशु को लाया गया और फिर उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। और मान्यताओं के मुताबिक, सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईश्‍वर के चमत्‍कार से यीशु फिर से जीवित हो गए, फिर उन्‍होंने ईसाई धर्म की स्‍थापना की और संसार को प्रेम और मानवता का संदेश दिया।

सायंकाल भव्य सजावट एवं  लाइटिंग के बीच चर्च आमजन के लिए खोल दिया गया, जहां पहुंचे लोगों ने चर्च में दर्शन करते हुए मोमबत्ती जलाकर मन्नतें मांगी। क्रिसमस मेले में आए सभी भक्तों को प्रसाद के रूप मे केक का विवरण किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से सिस्टर सुशीला, सिस्टर सिंप्रोस, टोमी सर, साजू सर आदि मौजूद रहे।

 

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