अभिव्यक्ति

नये साल के उपलक्ष्य में कवि गोष्ठी: ‘धुँधले चेहरे पर तबस्सुम का मेकअप चढ़ा लेती है, मुफलिसी अँधेरों से भी रास्ता बना लेती है’

मिर्जापुर ।

नगर के परमानंद मुख्तार की गली,वासलीगंज स्थित शायर भानु कुमार मुंतजिर के आवास पर रविवार को कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार गणेश गंभीर ने की। संचालन सुपरिचित कवि व आलोचक अरविंद अवस्थी ने किया। कवि गोष्ठी में गणेश गंभीर ने सुनाया-‘खुश्बू में गई डूब नए साल की आमद। जब से हुई है आपके रूमाल की आमद।’ मुहिब मिर्जापुरी ने सुनाया-‘हमें जो आईना दिखला रहा है,बस अपने आप को बहला रहा है।’ लल्लू तिवारी ने पढ़ा-‘ओ प्रिये मैं ही तुम्हारा आईना हूँ,झाँक कर देखो,तुम्हारा रूप दिखलाई पड़ेगा।’ भोलानाथ कुशवाहा ने सुनाया-‘ मेरी है शुभ कामना,मेरा शुभ संदेश। नये साल पर हम मिलें,भूलें भाषा-वेश।’ अरविंद अवस्थी ने सुनाया-‘दिल मिलता नहीं तो हाथ मिलाते क्यों हो,जब तेल ही नहीं तो चिराग जलाते क्यों हो।’ भानु कुमार मुंतजिर ने पढ़ा-‘ गद्दारी शायरी से न तुम करना मुंतजिर,ये सच्चे सख्त शेर सुनाना न छोड़ना।’ केदारनाथ सविता ने पढ़ा-‘आम का बाग है मेरा देश, तोड़ लो सारे फल। कच्चे हों या पके, तुम नेता हो देश के।’ दानिश याकूब मिर्जापुरी ने पढ़ा-‘सबब जो गम का होगा, वो शरीके गम नहीं होगा। किसी चारागरी से दर्द अब ये कम नहीं होगा।’ डॉ राकेश दुबे ‘अंजान’ ने सुनाया-‘धुँधले चेहरे पर तबस्सुम का मेकअप चढ़ा लेती है, मुफलिसी अँधेरों से भी रास्ता बना लेती है।’ अंत में कवि गोष्ठी के आयोजक भानु कुमार मुंतजिर ने आभार व्यक्त किया।

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