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क्रांतिपुरुष यदुनाथ सिंह की चुनार में प्रतिमा के लिए चलेगा जनजागरण अभियान

0 दो साल पहले चुनार दुर्गाजी मोड़-राजगढ़़ मार्ग का नामकरण यदुनाथ सिंह के नाम पर करने की घोषणा की थी डिप्टी सीएम ने, अभी तक नहीं लगा पत्थर

0 सांसद अनुप्रिया पटेल ने चुनार विधानसभा क्षेत्र में प्रतिमा लगवाने का दिया था आश्वासन

मिर्जापुर।

चुनार विधानसभा से लगातार चार बार विधायक चुने गए क्रांतिकारी नेता यदुनाथ सिंह की क्षेत्र में प्रतिमा स्थापित कराने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसके लिए बाकायदा समिति बनाकर जनजागरण अभियान चलाया जाएगा, ताकि जनप्रतिनिधियों व सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो सके। इस अभियान का नेतृत्व यदुनाथ सिंह के जीवन संघर्षों पर आधारित पुस्तक ‘तू जमाना बदल’ के लेखक राजेश पटेल करेंगे। इस अभियान में सबसे पहले सोशल मीडिया के माध्यम से जनजागरण किया जाएगा। इसके बाद हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।

राजेश पटेल ने गुरुवार को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि जब 31 मई 2020 को यदुनाथ सिंह का निधन हुआ था तो शोक संवेदना व्यक्त करने आईं इलाके की सांसद अनुप्रिया पटेल ने परिजन व साथियों की मांग पर चुनार दुर्गाजी मोड़ तिराहे पर या नरायनपुर बाईपास तिराहे पर प्रतिमा स्थापित कराने की आश्वासन दिया था। इनके ही विशेष अनुरोध पर जून 2021 में मिर्जापुर आए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दुर्गाजी मोड़-राजगढ़ मार्ग का नामकरण यदुनाथ सिंह के नाम पर करने की घोषणा की थी। लेकिन दुख की बात है कि इतने दिनों बाद भी अभी तक पत्थर नहीं लग सका है। यह सरकार व जनप्रतिनिधियों का यदुनाथ सिंह के प्रति उपेक्षात्मक रवैये का परिचायक है।

पटेल ने बताया है कि अभियान में यदुनाथ सिंह के पुराने जो भी जिंदा साथी हैं, सभी लगेंगे। अभियान का संरक्षक उनके सुपुत्र धनंजय सिंह को बनाया गया है। रामआसरे सिंह, सरदार सतनाम सिंह, शमीम अहमद मिल्की, हरबंश सिंह, नवल किशोर सिंह सहित तमाम साथी इस अभियान के सारथी बनेंगे।

बता दें कि यदुनाथ सिंह आजाद भारत के सबसे बड़े क्रांतिकारी नेता थे, जो गांधीवादी थे। लोहियावादी थे। सच्चे समाजवादी थे। उनसे डर भी डरता था। साहस हिम्मत लेता था। न मौत का डर, न जेल जाने का खौफ। ‘एक पैर रेल में, दूसरा जेल में’ के हिमायती थे। अन्याय का विरोध मौके पर ही करते थे। सामने कोई हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार जब उनको लगा कि हाईकोर्ट से भी न्याय नहीं मिला तो न्यायालय में ही आंदोलन कर दिया। पूरी बेंच पर ही कब्जा कर लिया था। इस मामले में तीन माह की सजा भी काटी।

आपातकाल के दौरान देश में सबसे कम उम्र के जेल जाने वाले सरदार सतनाम सिंह भी उनकी प्रतिमा न लगने से व्यथित हैं। सरदार का कहना है कि उन्होंने यदुनाथ सिंह की ही प्रेरणा से अन्याय के खिलाफ जंग में अपनी पूरी जवानी लगा दी। ऐसे प्रेरणा पुरुष की प्रतिमा लगनी ही चाहिए।

यदुनाथ सिंह के राजनैतिक शिष्य नवल किशोर सिंह मानते हैं कि प्रतिमा लगाने में देर सरकारी उदासीनता है। अब संघर्ष का सम्मान कहीं नहीं है। इसीलिए राजनीति में अब ठीकेदार, माफिया किस्म के लोगों का वर्चस्व कायम होता जा रहा है। इसकी आशंका यदुनाथ सिंह ने उनसे 1993 में ही जताई थी, जो अब सच साबित हो रही है।

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