0 गर्मी और ऊमस बढने के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश बढने से बना संयोग
0 काश! हर साल गुरू पूर्णिमा उत्सव के साथ गुरू शिष्य संवाद की हो शुरूआत
विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर।
उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह शायद पहला वाकिया है, जब गुरू पूर्णिमा के दिन सरकारी और समस्त मान्यता प्राप्त कान्वेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलेगे। बच्चे यानिकि शिष्य और शिक्षक जिन्हे गुरू की संज्ञा दी जाती है, ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद गुरू पूर्णिमा के दिन ही विद्या मंदिरो के कपाट खुलने के बाद अध्ययन अध्यापन का क्रम शुरू करेंगे।
आपको बता दे कि पूर्व मे निर्धारित किया गया था कि 20 मई से 15 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश होगा, जिसे बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 26 जून तक बढाया गया था। लेकिन पूरे प्रदेश मे लू और बढती गर्मी का प्रकोप और हर जनपद मे लू से मरने वालो की संख्या मे इजाफे को दृष्टिगत रखते हुए ग्रीष्मकालीन अवकाश बढाते हुए 2 जुलाई तक के लिए अवकाश सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सचिव प्रताप सिंह बघेल द्वारा घोषित किया गया। ऐसे मे पहली बार इतना अच्छा संयोग बना कि परिषदीय प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक एवं कंपोजिट विद्यालयो सहित इंग्लिश मीडियम और कान्वेंट स्कूल एवं विद्या भारती से संबद्ध सरस्वती एवं विद्या मंदिर सभी तीन जुलाई यानिकि गुरू पूर्णिमा के दिन खुलेंगे।
शिक्षाविदो का कहना है कि काश! हर साल गुरू पूर्णिमा के दिन गुरू पूर्णिमा उत्सव के साथ गुरू शिष्य संवाद का शुभारंभ होता, जो हमे अपनी प्राचीन परंपराओ को नन्हे मुन्ने बच्चो के बीच जीवंत रखने का अच्छा माध्यम बनता और अध्ययन अध्यापन का एक अच्छा शुरूआत भी होता।
विन्ध्य पर्वत आज तक कर रहा गुरू के आदेश का पालन
वाराणसी यानिकि काशी और तीर्थराज प्रयाग के मध्य ऋषियो मुनिया की तपस्थली यानिकि साधना क्षेत्र रहे विन्ध्य क्षेत्र अपने आप मे अद्वितीय स्थली रही है। तभी तो पुराणो मे आता है कि “विन्ध्य क्षेत्र समं क्षेत्रं नास्ति संपूर्ण ब्रह्मांड गोलेके”,। गुरू शिष्य के आग्या पालन का इससे अच्छा मिशाल क्या होगा कि यहा पर्वत भी अपने गुरू के आदेश का पालन सैकडो वर्षो से आज तक कर रहा है और अपने गुरू का आदेश पर आज तक पर्वत भी झुका हुआ है।
जी हा, हम बात कर रहे है विन्ध्याचल पर्वत के गुरू शिष्य संवाद और गुरू के प्रति समर्पण भाव का। पौराणिक मान्यता के अनुसार विंध्याचल पर्वत जो कि महर्षि अगस्त्य का शिष्य था, का घमण्ड बहुत बढ़ गया था तथा उसने अपनी ऊँचाई बहुत बढ़ा दी जिस कारण सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पहुँचनी बन्द हो गई तथा प्राणियों में हाहाकार मच गया। सभी देवताओं ने महर्षि से अपने शिष्य को समझाने की प्रार्थना की।
महर्षि ने विंध्याचल पर्वत से कहा कि उन्हें तप करने हेतु दक्षिण में जाना है अतः उन्हें मार्ग दे। विंध्याचल महर्षि के चरणों में झुक गया, महर्षि ने उसे कहा कि वह उनके वापस आने तक झुका ही रहे तथा पर्वत को लाँघकर दक्षिण को चले गये। उसके पश्चात वहीं आश्रम बनाकर तप किया तथा वहीं रहने लगे।
विन्ध्य क्षेत्र आज भी है गुरूओ की स्थली, राष्ट्रीय नेतृत्व का होता रहता है आगमन
प्राचीनकाल से विन्ध्य क्षेत्र महात्माओ की तपस्थली और सिद्ध स्थली रही है। विन्ध्याचल धाम से कुछ ही दूरी पर स्थित देवरहा हंस आश्रम, सक्तेशगढ स्थित मानव धर्मशास्त्र यथार्थ गीता के प्रणेता स्वामी अडगडानंद जी महाराज का श्री परमहंस आश्रम, विन्ध्याचल की पहाडियो मे स्थित आनंदमयी माता का आश्रम, छानबे ब्लाक के विजयपुर स्थित स्वामी अनंत श्री विभूषित विमलानंद जी के शिष्य स्वामी हंसानंद जी महाराज का दुर्गा मंदिर आश्रम, लालगंज गैपुरा मार्ग पर विजयपुर की जंगल पहाडियो मे स्थित सवा सौ साल से अधिक समय पहले नेपाल नरेश के पुत्र और आठ साल की अवस्था मे ही वैराग्य ले भारत भ्रमण करते हुए विजयपुर आकर साधनारत स्वामी ओमानंद जी महाराज (राजा बाबा) के आश्रम पतरके महादेवन (राजा बाबा की बावली) बरबस ही भक्तो को अपनी ओर आकर्षित करते है। ऐसे तत्वदर्शी महापुरूषो की एक झलक पाने के लिए उनके अनुयायी भक्तो की अपार भीड गुरू पूर्णिमा के दिन आश्रमो पर उमड पडती है।
देवरहा हंस आश्रम पर आर एस एस प्रमुख डा. मोहन भागवत कई बार अनुष्ठान के लिए आ चुके है। अशोक सिंघल जब तक स्वस्थ रहे स्वामी अडगडानंद का आशीर्वाद लेने सक्तेशगढ आते रहे। सूत्रो की माने तो जुलाई महिने मे एक बार फिर संघ प्रमुख डा मोहन भागवत का जिले मे आगमन होने जा रहा है। इस बार गुरू पूर्णिमा के बाद जुलाई के तीसरे सप्ताह मे मोहन भागवत न सिर्फ देवरहा हंस आश्रम, बल्कि पहली बार स्वामी अडगडानंद जी का आशीर्वाद लेने श्री परमहंस आश्रम सक्तेशगढ आ सकते है। मोहन भागवत का मिर्जापुर सहित आसपास के अन्य जनपदो मे भी प्रवास प्रस्तावित है।
ऐसे गुरू स्थलो के विकास की भी योजनाए बनाए सासद, विधायक जनप्रतिनिधि
जिले की सांसद अनुप्रिया पटेल ने इस वर्ष मीरजापुर के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासतों, पौराणिक स्थलों एवं पर्यटन स्थलों के सौंदर्यीकरण आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधाओं हेतु चुनार किले के पर्यटन का विकास, विढ़म फॉल के पर्यटन का विकास, छानबे के न्याय पंचायत ग्राम विरोही के समीप पहाड़ी पर स्थित मां नन्दजा देवी मंदिर के सौंदर्यीकरण, पर्यटन विकास एवं अवस्थापना सुविधाओं के सृजन कार्य, ग्राम खड़ेगरा, भुइली खास स्थित प्राचीन शीतला माता मंदिर के पर्यटन विकास कार्य, चुनार के बैकुण्ठ महादेव स्थल, नरायनपुर के पर्यटन विकास कार्य, सिटी ब्लॉक में हनुमान मंदिर, ग्राम चिंदलिख गहरवार के सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन विकास कार्य हेतु 200 लाख, ग्राम नेगुरा (रिबई सिंह) में स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक शंकर जी मंदिर के पर्यटन विकास कार्य सहित मीरजापुर के पर्यटन स्थलों हेतु साईनेज की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की है। जनपद के सभी विधायको और जनप्रतिनिधिगण को भी अपने अपने क्षेत्र के पार्यटनिक सथलो के साथ साथ तत्वदर्शी महापुरूषो के स्थलीयो को संग्यान मे लेकर उसके विकास के लिए आगे आना चाहिए।