जीवन में अपार संघर्षो के बावजूद भी यदि मन में आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प है, तो राह अपने आप बन जाती है: जिलाधिकारी
0 अपने संस्कृति और लोक कला को लोक विधा के माध्यम से आगे बढ़ाने का किया गया प्रयास सराहनीय
0 मीरजापुर की पहचान कजली विधा को देश व विदेश के पटल पर रखने के लिये युवा कलाकारो को आगे आने की आवश्यकता: पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव
0 मीरजापुर की संस्कृति, पहचान, सभ्यता को संरक्षित करने व लोगो को बताने के दृष्टिगत जनपद के लोगो को एकजुट होने की जरूरत : डाॅ0 योगानन्द गिरी
मिर्जापुर।
गंगा जमुनी संस्कृति व सांस्कृतिक विरासत के रूप में पहचानने वाला मीरजापुर की लोक संस्कृति, नृत्य कविता के साथ ही कजली गीत का सुखद मिश्रण मीरजापुर में देखने को मिलता है। स्थानीय मिर्जापुरी बोली में लोक संस्कृति के लोकप्रिय शैलियों कजली, बेलवरिया, चैलर आदि गीतो के जननी कहा जाता हैं। यहां कलाकारो के द्वारा देश प्रदेश के साथ ही विदेशो में भी कजली का गायन कर जनपद की पहचान बनाने में सफल रहें है। उसी के क्रम में जनपद मीरजापुर की लोकप्रिय अन्तर्राष्ट्रीय कजली व लोकगीत गायिका उषा गुप्ता के द्वारा अपने कजली व देवी गीतो में वीडियो बनाकर जनपद के संस्कृति व पहचान को लोगो के सामने रखने का एक अनूठा प्रयास किया गया हैं।
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन व पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव के द्वारा आज उषा गुप्ता के द्वारा गाए गये गीत व फिल्मांकन किये गये वीडियो का जिला पंचायत सभागार में आयोजित भव्य कार्यक्रम में विमोचन किया गया हैं। इस अवसर पर जिलाधिकारी द्वारा उषा गुप्ता के यूट्यूब चैनल ushaguptaoffical (उषा गुप्ता आफिसियल) का विमोचन किया गया। इस अवसर पर वृद्धेश्वरनाथ महादेव मन्दिर के महन्थ डाॅ0 योगानन्द गिरी के अलावा काशी प्रान्त संस्कार भारती के अध्यक्ष डाॅ0 गणेश अवस्थी, वरिष्ठ साहित्यकार/पत्रकार सलिल पाण्डेय के अलावा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहें।
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने उषा गुप्ता के देवी गीत ‘‘लाले लाले फुलवा के गजरा बनाके मैय्या…..’’ व कजरी गीत ‘‘तीज कजरी के दिन के नगिचान बा लाय द पिया लाल चुनरी…’’ तथा ‘‘हमरे मिर्जापुर में अल मस्ती का चाल बा बड़ा बेमिसाल बा…’’ वीडियो गीत का विमोचन करने के पश्चात अपने सम्बोधन में कहा कि कजरी गायिका उषा गुप्ता ने अपने गीतो के माध्यम से लोगो के सामने अपनी संस्कृति और लोककला को आगे बढ़ाने के लिये भरपूर प्रयास किया है इसके लिये वे बहुत बधाई के पात्र है। जिलाधिकारी ने कहा कि उषा ने यह भी कर दिखाया है कि व्यक्ति के जीवन में कितने भी संघर्ष क्यो न हो यदि व्यक्ति के मन में आगे बढ़ने की इच्छा व दृढ़ शक्ति होती है तो रास्ता अपने आप खुद ही बन जाता हैं एवं ईश्वर भी उसकी मद्द करता हैं जो अपनी मद्द स्वंय करते हैं। उषा ने अपने गीतो के माध्यम से केवन प्रदेश व देश ही नही अपितु साथ समन्दर पार विदेशो में भी जाकर अपने गीतो का गायन किया तथा लोगो के सामने एक जिजीविषा व संघर्ष की मिशाल प्रस्तुत करते हुये यह बताया है कि कैसे अपने अच्छे कर्माे से अपना स्थान व पहचान लोगो के बीच में बना सकते हैं इससे अन्य लोगो प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होने कहा कि जनपद की लोकविधा कजली व अन्य विधा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है वह भी निश्चित रूप से सराहनीय कदम हैं। उन्होने टीम के सदस्यों को बधाई देते हुये कहा कि सभी सुधीजनो से अपील भी की कि अपनी कला व संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिये आगे आए।
जनपद की वरिष्ठ कजली गायिका पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने कहा कि मीरजापुर की पहचान कजली विधा को देश व विदेश के पटल पर रखने के लिये युवा कलाकारो को आगे आने की आवश्यकता हैं। उन्होने कहा कि मिर्जापुर के संस्कृति व धरोहर को भी लोगो के सामने रखने की आवश्यकता हैं ताकि यहां की मधुर भाषा और मिठास बनी रहें। उन्होने कहा कि उषा गुप्ता के द्वारा हमेशा संस्कृति व मिर्जापुर की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी गीतो को लोगो के सामने रखने का प्रयास किया गया हैं। इन तीनो गीतो में भी गीत के साथ फिल्मंाकन वीडियो में भी मिर्जापुपर की पहचान को दर्शाया गया हे जो सराहनीय कदम हैं। उन्होने अपने स्वर में लोगो को कजली गीत भी सुनाया।
महन्थ डाॅ0 योगानन्द गिरी ने कहा जनपद अपनी लोक संस्कृति व लोक शौलियों के साथ ही धार्मिक नगरीय व पर्यटन के क्षेत्रो में सांस्कृतिक धरोहरो के रूप में पहचान हैं। यहां के त्यौहार मिर्जापुर के निवासियों के जीवन का आन्तरिक हिस्सा हैं। त्याहारों में सबसे बड़े पैमाने पर जनपद के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रो में कजली का त्यौहार महोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। कजली की उत्पत्ति मां विन्ध्यवासिनी देवी से भी माना जाता हैं। यहां के कलाकारो के द्वारा जनपद की पहचान जनपद व प्रदेश के बाहर भी दिलाने का प्रयास किया गया हैं। उन्होने कहा कि इन गीतो में भी जनपद की संस्कृति को दिखाने का प्रयास किया गया हैं।
उन्होने सांस्कृतिक कलाकारो से अपील करते हुये कहा कि जो भी गीत बनाये जाए तथा फिल्मांकन किए जाए उसमें यहां की सांस्कृति धरोहर, धार्मिक/पर्यटन की पहचान, यहां भाषा व वेशभूषा को भी गीतो के माध्यम से देश के कोेने-कोने में प्रस्तुत किया जाए। यहां के नागरिको व बृद्धजीवियों को भी देशाटन के माध्यम से मीरजापुर की सभ्यता व संस्कृति के बारे में लोगो को बताया जाए ताकि कतिपय लोगो द्वारा जो जनपद की पहचान को धूमिल करने का प्रयास किया गया है उसे मिटाया जा सकें। इव अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार सलिल पाण्डेय ने जनपद की पहचान, संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहर के बारे में विस्तृत प्रकाश डालते हुये कहा कि मिर्जापुर की कजली देश विदेश में जानी जाती है जानी जाती रहेगी। उन्होने साहित्य व कला के माध्यम से लोगो को पुराने गीतो के गाने के साथ ही नये रचनाओं को भी लाने के प्रसास पर बल दिया। कार्यक्रम में इन्द्रजीत शुक्ला, संतोष कुमार श्रीवास्तव ने भी उपस्थित लोगो को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन राजेन्द्र तिवारी उर्फ लल्लू तिवारी के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर टीम के वीडियो/फिल्मांकन निदेशक सचिन कश्यप, म्यूजिक डायेरक्टर जीतू सिंह के अलावा सुनील यादव व ढोलक वादक करन कुमार, आर्गन वादक बृजेश कुमार व ओम प्रकाश दूबे (मिन्टू), पैड व तबला वादक रोहित कुमार शास्त्री, सह कलाकार महेश कुमार को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्रम देकर जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित कर प्रोत्साहित किया गया। इसके पूर्व सलिल पाण्डेय के द्वारा जिलाधिकारी व उषा गुप्ता के द्वारा पद्श्री उर्मिला श्रीवास्तव व पर्यटन सहायक सूचना अधिकारी दिव्या तिवारी को पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का समापन व धन्यवाद ज्ञापन जिला सूचना अधिकारी ओम प्रकाश उपाध्याय के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विन्ध्यवासिनी प्रसाद, आंशू सोनी के अलावा अन्य सम्बन्धित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें।