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कजरी महोत्सव 2024 मे लायंस स्कूल मे बही कजली की रसधार; कजरी में सिर्फ श्रृंगार, विरह, वियोग, वर्षा ऋतु का वर्णन ही नहीं है बल्कि इसमें स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रबल भूमिका रही है

0 ‘हरे रामा रिमझिम बरसे बदरिया रस घोले कजरिया ना’,

मिर्जापुर।
संस्कार भारती एवं लायंस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में कजरी महोत्सव 2024 बुधवार को सायंकाल लायंस स्कूल के सभागार में आयोजित किया गया, जो मध्य रात्रि के बाद भी चलता रहा।
आयोजन में मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर केसरवानी तथा विशिष्ट अतिथि एवं संरक्षक के रूप में विश्वनाथ अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक डॉ गणेश प्रसाद अवस्थी संस्कार भारती काशी प्रांत अध्यक्ष उपस्थित थे।

संस्कार भारती मीरजापुर की जिलाध्यक्ष पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने सभी नगरवासियों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा कजरी के विकास एवं संवर्धन के लिए नई पीढ़ी के गायकों एवं कजरी लेखकों को इस दिशा में और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। डॉ गणेश प्रसाद अवस्थी ने संस्कार भारती के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए सनातन धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए जनमानस का आवाहन किया।

मुख्य अतिथि श्याम सुंदर केसरी ने कहा आज नई पीढ़ी को सांस्कृतिक गतिविधियों में आगे बढ़ने तथा अपने धरोहर को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। इस आयोजन में डॉक्टर नम्रता मिश्रा प्रोफेसर केबीपीजी कॉलेज तथा लोकगीत गायक शिवलाल गुप्ता एडवोकेट को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। आयोजन मध्य रात्रि के बाद भी चलता रहा जिसमें 35 दल से गायकों की टीम ने अपनी प्रस्तुति दी। वाराणसी से आई सुचारिता गुप्ता का गायन विशेष रूप से सराहा गया। उन्होंने कहा कि कजरी में सिर्फ श्रृंगार, विरह, वियोग, वर्षा ऋतु का वर्णन ही नहीं है बल्कि इसमें स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रबल भूमिका रही है।

आजादी के पूर्व गाए जाने वाली एक कजरी सुनाई जिसके बोल थे-
“नागर नैया जाला, काले पनिया रे हरी”।
स्थानीय कलाकारों में डॉक्टर नम्रता मिश्रा ने सुनाया- “बरसन लागी बदरिया झूम झूम के” दूसरी कजरी उन्होंने अपने पिता छन्नूलाल महाराज जी की प्रिय कजरी सुनाई-
“बरसे कारी रे बदरिया मोर चुनरिया भीगी जाए”।

सुरेश मौर्य ने रिमझिम बारिश की याद दिलाते हुए सुनाया-
हरे रामा रिमझिम बरसे बदरिया रस घोले कजरिया ना।
रामनारायण यादव ने ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति का वर्णन करते हुए सुनाया- चारों ओर चुए हमारी मड़ैया ना। मिर्जापुर की वह उभरती हुई लोकगीत गायिका रेखा गौड़ ने अपने गायन से समां बांध दिया उन्होंने बारहमासी प्रस्तुत करते हुए सुनाया-
“गोरिया कहे बलम बरखा में ऊंची अटरिया चाही ना”।

इनके अतिरिक्त उषा गुप्ता, शिवलाल गुप्ता, रागिनी चंद्रा, शैला श्रीवास्तव, भारती यादव, प्रकाश चंद्र राय, विद्यासागर प्रेमी प्रमुख रूप से थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां विंध्यवासिनी के चित्र पर माल्यार्पण, संस्कार भारती ध्येयगीत, धन्यवाद ज्ञापन लायंस अध्यक्ष नितिन अग्रवाल, संचालन शिवराम शर्मा तथा समापन वंदे मातरम से किया गया।

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