जरा ये भी समझे कि “कम्प्यूटर व फोन के साथ इन्टरनेट के बारे मे जानकारी ही बचाव है”
ब्यू्रो रिपोर्ट, मिर्जापुर।
वर्तमान समय मे प्रत्येक क्षेत्र जैसे-मनोरंजन, खेल, व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा, रक्षा, दूरसंचार, पर्यटन आदि मे इन्टरनेट की उपयोगिता बढी है(डिजिटल इंडिया) जिसके कारण साइबर अपराध होने की संभावनाएं भी ज्यादा हो गई हैं। साइबर अपराध के कई प्रकार हैं परन्तु जनपद मिर्जापुर मे ज़्यादातर अपराध निम्न हैं।
1- ए0टी0एएम0/ बैंक फ़्राड
2- फेसबूक (साइबर अश्लीलता/ धार्मिक भावनाए)
*ए0टी0एएम0/ बैंक फ़्राड
ऑनलाइन ठगी के तमाम तरीके हैं, जिनसे आम आदमी आसानी से ठगों के झांसे में फंस जाता है और बाद में क्षतिपूर्ति भी ज्यादातर मामलों में नहीं हो पाती है। इसकी मुख्य वजह ठगी करने वाले राशि का उपयोग कर लेते हैं। आरोपी ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज करवाना, डिश टीवी रिचार्ज करवाना, इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदी करना या अन्य सुविधाओं का लाभ ले लेकर ठगी की राशि खर्च कर देते हैं, इसके बाद पुलिस राशि को वापस नहीं ला सकती है। इसके अलावा बैकों और मोबाइल कंपनियों से सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाने के कारण पैसा वापस मिलना मुश्किल हो जाता है। समय से सूचना न मिल पाने के कारण पुलिस को ठगी की राशि रिकवर करने में सफलता नहीं मिल रही है। पुलिस के पास आने वाले अधिकांश मामले इसी तरह के हैं।
*साइबर अपराधियों द्वारा अपनाये जाने वाले ठगी/धोखाधड़ी के तरीके-*
1- फर्जी बैंक अधिकारी, फर्जी आयकर अधिकारी, एलआईसी अधिकारी या इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बनकर एटीएम की गोपनीय जानकारी पूछकर ऑनलाइन ठगी करना।
2- एटीएम कार्ड बदलकर ठगी।
3- फेसबुक फ्रेंड बनकर गिफ्ट देना और उसे छुड़ाने के नाम पर पैसा लेना।
4- नौकरी लगाने के नाम ठगी।
5- सिमकार्ड अपडेट करने के बहाने ठगी।
6- ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट के बहाने ठगी।
7- जेवर चमकाने के नाम पर महिलाओं से ठगी।
8- फर्जी ईमेल के माध्यम से ठगी।
9- डेबिट-क्रेडिट कार्ड रिचार्ज पाइंट से रिवार्ड का झांसा देकर ठगी।
10- मोबाइल मैसेज सर्विस के माध्यम से ठगी।
11- विदेश भेजने के नाम पर ठगी।
12- मेट्रीमोनियल वेबसाइट के माध्यम से संपर्क करके शादी का झांसा देकर पैसे की वसूली।
13- बीमारी, समस्याओं केआनलाइन निराकरण का झांसा देकर ठगी।
14- टीवी में चेहरा पहचानों का विज्ञापन दिखाकर ठगी।
15- मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर ठगी।
*उपरोक्त घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जनपद वासियों से निवेदन है कि-*
★ बैंक द्वारा आपको फोन करके बैंक की गोपनीय जानकारी कभी नहीं पूछी जाता है।
★ फोन कर के बैंक अधिकारी बताकर ATM कार्ड बंद हो जाने या रिन्यूवल कराने के नाम पर ATM कार्ड की गोपनीय जानकारी पूछी जाए तो कृपया किसी को न दें।
★ बैंक अधिकारी, आयकर अधिकारी, इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बनकर अगर कोई फोन करके आप के बैंक खाता/ATM कार्ड/ आधार कार्ड की गोपनीय जानकारी पूछे तो कृपया उसे यह जानकारी न दें।
★ फोन करके आपके बैंक खाते से या मोबाइल नंबर से आधार कार्ड लिंक किए जाने की बात अगर कोई कहे तो कृपया उसे फोन पर अपने आधार कार्ड/ATM कार्ड की जानकारी न दें।
*साइबर अपराधियों का शिकार होने के पश्चात आम नागरिकों को त्वरित कार्यवाही क्या करनी चाहिये-*
1- ऑनलाइन ठगी का शिकार होते ही तत्काल साइबर क्राइम अधिकारी/सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को सूचना दें, इसमें किसी भी प्रकार का विलम्ब ना करें।
2- बैंक जाकर अथवा सम्बन्धित बैंक के कस्टमरकेयर से अपना एटीएम/नेट बैंकिंग बंद कराएं। सम्बन्धित बैंक के कस्टमर केयर का नम्बर आपके एटीएम कार्ड के पीछे तथा पासबुक पर अंकित होता है।
3- बैंक से जो भी जानकारी मिलती है उसे साइबर क्राइम अधिकारी/सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को दें।
4- ठगी के बाद साइबर क्राइम अधिकारी/सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को सूचना देने और बैंक से जानकारी लेने में जितनी देरी होगी, उतना ही रिकवरी की गुंजाइश कम होगी।
*साइबर क्राइम अधिकारी/सम्बन्धित पुलिस अधिकारी के द्वारा बुलाये जाने पर निम्न दस्तावेज़ अपने साथ लाएँ-*
*1- ATM कार्ड नंबर।*
*2- बैंक पासबुक पर पैसा कट जाने का विवरण प्रिंट करा कर /बैंक खाते का स्टेटमेंट की छाया प्रति(कृपया बैंक शिकायतकर्ता को अवश्य उपलब्ध कराएं) ।*
*3- बैंक खाते से जुड़े हुए मोबाइल को साथ लाएं।*
*2-फेसबूक -साइबर अश्लीलता*
वर्तमान समय मे Facbook पर लगभग सभी लोग ID बना कर चलते हैं, कुछ लोग तो एक दूसरे को परेशान करने के नियत से उसके नाम से फेक ID बना कर गलत तरीके से उनके फोटो को पोस्ट कर देते हैं, यह भी एक प्रकार साइबर अपराध ही है।
*3-फेसबूक-धार्मिक भावनाए भड़काने वाले पोस्ट-*
Facebook पर धार्मिक भावनाए भड़काने वाले पोस्ट को लोग देखने के बाद उसे अपने मित्रों के ID पर शेयर कर देते है, यह भी एक प्रकार साइबर अपराध ही है जब की ऐसा नहीं करना चाइए।