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सपा ने मनाई मुलायम सिंह यादव की दूसरी पुण्यतिथि; गोष्ठी में आदर्शो को आत्मसात करने एवं विचारों पर चलने का संकल्प भी लिया

मिर्जापुर।

समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव की द्वितीय पुण्यतिथि गुरुवार को मनाई गई। समाजवाद का नारा बुलंद करने वाले मजदूर, दलित, वंचित, शोषित की मुखर आवाज मुलायम सिंह यादव की द्वितीय पुण्यतिथि पर गुरूवार को लोहिया ट्रस्ट स्थित समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय में गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर नेताओं व कार्यकर्ताओं ने मुलायम सिंह यादव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही उनके आदर्शों व विचारों पर चलने का संकल्प लिया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चैधरी ने बताया कि मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। मुलायम सिंह शुरुआती दिनों से छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने राजनीति शास्त्र में डिग्री हासिल करने के बाद एक इंटर कॉलेज में कुछ समय पढ़ाया। मुलायम सिंह यादव ने तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।

राजनीति में उनकी औपचारिक एंट्री तो 70 के दशक में हुई थी, लेकिन बहुत ही कम समय में उन्होंने मुख्यमंत्री तक का सफर तय कर लिया। एक मौका ऐसा भी आया कि जब उनका नाम प्रधानमंत्री पद की रेस में भी शामिल हो गया था, हालांकि उनका यह सपना अधूरा रह गया। छात्र राजनीति के दौरान ही वह अपने राजनीतिक गुरु चैधरी नत्थू सिंह के संपर्क में आए और उनकी मेहनत देख गुरु का आशीर्वाद मिला। एक छोटे से गांव से आना वाला लड़का 28 साल की उम्र में ही विधायक बन गया। वह 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की सीट से पहली बार विधायक चुने गए।

आपातकाल के दौरान जिन नेताओं की गिरफ्तारी की गई थी, उनमें मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। हालांकि, जब इमरजेंसी हटाई गई तो वह उत्तर प्रदेश की राम नरेश यादव सरकार में मंत्री भी बने। इसके बाद 1980 में वह लोकदल के अध्यक्ष चुने गए और 1982 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष चुने गए।
वह 1993 में कांशीराम और मायावती की पार्टी बसपा की मदद से दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन, इस बार भी वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और 1995 को लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हो गया। दो बार सीएम बनने के बाद उनका कद बढ़ गया और अब उनके कदम राष्ट्रीय राजनीति की ओर बढ़ने लगे।

इस अवसर पर मझवां विधानसभा की प्रत्याशी डाॅ0 ज्योति बिन्द ने कहा कि नेताजी छात्र राजनीति हो या फिर राष्ट्रीय राजनीति। मुलायम सिंह यादव ने अपने नाम का ऐसा सिक्का जमाया कि कोई उनकी चाहकर भी अनदेखी नहीं कर सकता था। उन्होने कहा कि मझवां विधानसभा से राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने हमे प्रत्याशी बनाया है। उनको मै बहुत-बहुत आभार व्यक्त करती हूँ। आपलोग का आर्शीवाद हमारे साथ है।

इस अवसर पर पूर्व सांसद डाॅ0 रमेश चन्द्र बिन्द ने कहा कि नेता जी के कथनी व करनी में कोई अन्तर नही था जो वह कहते थे करते थे। आज हम नेताजी के पुण्यतिथि पर उन्हे नमन करते है।
पूर्व जिलाध्यक्ष शिवशंकर सिंह यादव ने कहा कि नेताजी महज कुछ ही साल में अपने नाम का सिक्का उत्तर प्रदेश की राजनीति में जमा लिया। वह पहली बार साल 1989 में मुख्यमंत्री बने। उन्हीं के कार्यकाल के दौरान राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। उन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई। हालांकि, इस घटना के बाद उनकी सरकार ज्यादा दिन तक सत्ता में नहीं रही और 24 जनवरी 1991 को सरकार गिर गई। साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की नींव रखी।

गोष्ठी में पूर्व मंत्री कैलाश चैरसिया, पूर्व विधायक जगतम्बा सिंह पटेल, मुन्नी यादव, आशीष यादव, सुरेन्द्र सिंह पटेल, रामराज पटेल, रविन्द्र बहादुर पटेल, परवेज खान, कीर्ति कोल, आशा गौतम, झल्लू यादव, आदर्श यादव, शैलेष पटेल, राणाप्रताप सिंह, अमिताभ पाण्डेय, संतोष गोयल, संतोष सिंह, जमाल अहमद, सुरेश यादव, सतीश मिश्रा, सुभाष पटेल, सुनील पटेल, संजय यादव, रामगोपाल बिन्द, मुकुन्द यादव, मेवालाल प्रजापति, राजकुमार यादव, धर्मेन्द्र मौर्या, सत्यप्रकाश यादव, शराफत उल्ला, झल्लू यादव, लाल बहादुर यादव, परवीन बानो, सन्तबीर मौर्या, विकास केशरी, गणेश केशरी, कन्हैया यादव, अशोक मिश्रा, जैनेन्द्र सिंह, इन्दू कुमारी, शहनवाज खान, अरशद अली, नेहा खान, अनीष खान, चन्दन पटेल, पिन्टू यादव, धनन्जय सिंह, गायत्री पटेल, अशोक मिश्रा, विरेन्द्र यादव, नवाज अहमद आदि ने विचार रखें।

 

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