चुनार, मिर्जापुर।
जनपद न्यायधीश अनमोल पाल, अपर जनपद न्यायधीश प्रथम बलजोर सिंह व डीएम प्रियंका निरंजन ने सोमवार को नगर में निर्माणाधीन वाह्य न्यायालय का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों, कर्मचारियों को रहने के लिए बनाएं गए आवास निर्माण में कई जगह कमियां मिलने पर जिला जज ने नाराजगी जताई। उन्होंने निर्माण कार्य में प्रयुक्त की गई सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जताई।
जिला जज ने निर्माणाधीन हवालात में प्रयोग की गई ईंटों और सीमेंट बालू के मसाले को प्रयोगशाला जांच के लिए रुड़की भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने अधीनस्थों को निर्देश दिए कि शर्तों के आधार पर भवन का हैंड ओवर लिया जाएगा और पूर्व में बताई गई कमियां भविष्य में पुनः मिलती हैं तो कार्यदाई संस्था को उसका निदान कराना होगा। जिला जज के सख्त तेवर देख कर कार्यदाई संस्था के अधिकारियो के हाथ पांव फूलने लगे।
नई कोतवाली के पास वाह्य न्यायालय परिसर में 11.09 करोड़ की लागत से दो न्यायालय भवन तथा 3.37 करोड़ की लागत से टाइप-2 एवं टाइप-3 तथा 1.76 करोड़ की लागत से टाइप-5 आवासों का निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था सी एंड डी एस उ.प्र. जल निगम नगरीय सोनभद्र द्वारा कराया जा रहा है। जिसमें कार्यदायी संस्था द्वारा आवासों के निर्माण कार्य को पूर्ण बताते हुए 28 मार्च 2024 को हस्तांतरण प्रपत्र प्रेषित किया था। सोमवार को पहुंचे जिला जज ने जब निरीक्षण करना शुरू किया तो कई स्थानों पर उन्हें कमियां मिलीं।
आवास में दीवारों पर सीलन देख कर उन्होंने नाराजगी जाहिर की इसके बाद टाइप-2 व टाइप-3 आवासों का निरीक्षण करते हुए उन्होंने सीएंडडीएस के अधिशासी अभियंता रमेश मौर्या तथा सहायक अभियंता आकाश वर्मा को निर्देश दिए कि सभी भवनों की छतों पर पानी डाल कर देख लें, पानी रुकना नहीं चाहिए, यदि छत पर पानी रुक रहा है तो समस्या का निराकरण करा लें।
गैरेज की ऊंचाई कम होने पर उन्होंने इसे दुरुस्त कराने को कहा। हवालात निर्माण के दौरान प्रयुक्त की जा रही निर्माण सामग्री को देख कर नाराजगी जाहिर करते हुए इसकी जांच आईआईटी रुड़की की लैब भेज कर कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने एसडीएम चुनार राजेश कुमार वर्मा को निर्देश दिए कि न्यायालय परिसर के बाहर पार्किग की व्यवस्था कराने के लिए भूमि का चयन करें।