विन्ध्य न्यूज ब्यूरो, मिर्जापुर।
चैत्र नवरात्र मेला विन्ध्याचल में जिलाधिकारी अनुराग पटेल के निर्देशन में आयोजित नमामि गंगे प्रदर्शनी व सांस्कृतिक मंच पर मतदाता जागरूकता, गंगा स्वच्छता पर आधारित एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें जनपद के कई नामी गिरानी किवियों व शायरों ने अपनी रचनाओं को सुनाकर उपस्थित दर्शनार्थियों को ओत-प्रोत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के रूप में उप जिला मजिस्ट्रेट सदर गौरव श्रीवास्तव ने मॉं विन्ध्यवासिनी देवी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि भोलानाथ कुशवाहा ने की। कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम जनपद का मशहुर कवित्री नन्दनी वर्मा ने सरस्वती वन्दना सुनाकर अपने वीर रस की देश भक्ति कविता सुनाया जो उपस्थित श्रेताओं के द्वारा देर तक भरत माता की जाय के नारे लगाते रहे। तदुपारान्त जिला सूचना अधिकारी ओम प्रकाश उपाध्याय ने मुख्य अतिथि/उप जिलाधिकारी सदर को मान्यार्पण व अंगवस्त्रम भेट कर स्वागत किया, तथा उप जिलाधिकारी ने सभी आमंत्रित कविगण को माल्यार्पण व अंगवस्म भेंट कर सम्मानित किया। जनपद के शायर इफान कुरैशी ने मतदाता जागरूकता पर सुनाया ’’ कन्यादान हो या रक्तदान इससे पहले करो मतदान, के बाद ’’ आ बताउ क्यो बुलन्दी पर मेरा नाम है, मै। वहीं रहता हूॅं जहां विन्ध्यवासिनी का धाम है सुनाकर वाहवाही लूटी। इसके बाद लोकप्रिय शायर शहजाद मीरजापुर ने अपने सुमधुर ध्वनि से’’ हम नहीं वो सनावर कि जो मौजे तूफान से डर जायेगें, सालिं का सलाम आयेयगा, जब भवर में उतर जायेगें।। सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित किया। इसी क्रम में डाली अग्रहरी ने मातृ भूमि पर आधारित कविता’’ कई बार देखे स्वप्न कई बार टूट गये ।। तथा राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित युवा कवि शुभम ने ’’ भगे मगरूर रहता है भले मशहूर रहता है, मगर वो अपनी मॉं से कहां दूर रहता है, सुनाया के बाद मई रचनाओं को अपने सुमधुर स्वर में सुनाया जिसकी खूब सराहना की गयी। शायर मोहीब मीरजापुर ने ’’ अपनी पुरखो की ये जागीर नहीं दे सकते, जान दे सकते हैं मगर कश्मीर नहीं दे सकते सुना कर वाहवाही लूटी। इसी क्रम में हास्य कवि संजय श्रीवास्तव द्वारा ’ मैं सलामत रहा तो उम्र भर जूते मिलेगें,, को सुनाकर लोगो को खूब हंसाया। पेशे से अधिकारी एवं कवि डा0 अमरेन्द्र कुमार पोत्सायन ने ’मॉं का ऑंचल मिला जिन्दगी में, जिन्दगी जिन्दगी बन गयी,, मॉं ने लाया मुझे इस जहां में, जिन्दगी बन्दगी बन गई,, सुनाकर गीत प्रस्तुत किया जिसकी लोगों के द्वारा खूब सराहना की गयी। इसी क्रम में अध्यक्षता कर रहे वष्ठि कवि भेलानाथ कुशवाहा के द्वारा छोटे-छोटे कई मुक्त सुनाकर अपने साहित्य का बोध कराते हुये व्यक्त रचना सुनाया। उन्होंने ’’ एक चेहरे में कितने चेहरे, कितनी खुशी किमनी गम’’ सुनाया। कार्यक्रम के अन्त में जिला सूचना अधिकारी ओम प्रकाश उपाध्याय ने सभी मुख्य अतिथ सहित सभी कविगण का आभार व्यक्त करते हुये धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का सामपन किया।