बाजार व्यापार

कालीन उद्योग का निर्यात दस हजार करोड़ से भी अधिक

ब्यूरो रिपोर्ट, वाराणसी। जिले में मंगलवार को 34 वें अन्तर्राष्ट्रीय कालीन मेले का शुभारंभ हो गया। चार दिनों तक चलने वाले इस कालीन मेले में पहले ही दिन बड़ी तादाद में विदेशी बायर्स ने भाग लिया। 60 देशों के 400 बयर्स भाग लेंगे।यह भी अपने आप में एक ब्रांड है। कालीन उद्योग के लिए अच्छा संकेत है। जीएसटी के बाद यह पहला कार्पेट एक्सपो है, इसको लेकर कारोबारियों को बहुत उम्मीदें हैं। इंटरनेशनल कार्पेट एक्सपो का उद्घाटन केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा ने करते हुये कहा कि मोदी सरकार कालीन उद्योग को बढ़ावा देने के लिये हर वो काम कर रही है जिसकी जरूरत है।

भारत में भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, जयपुर कश्मीर, पानीपत समेत कई ऐसे स्थान है जिन्हें कालीन उद्योगों के लिए जाना जाता है। कालीन मेले में दो सौ से अधिक निर्यातकों ने अपने स्टॉल लगाए हैं। इनमें नई डिजाइन और नए प्रयोग की कालीनों की भरमार हैं। शैगी कालीनों की विशेष डिजाइन और परंपरागत टफ्टेड ईरानी कालीनों में नए प्रयोग इस कालीन मेले की महत्वपूर्ण बाते रही। इसके अलावा देश से भी बड़े कारपेट बायर्स इसमें शिरकत करेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा कि टेक्सटाइलस सेक्टर में रोजगार की असीम संभावनाए हैं। कालीन उद्योग के विकास के प्रति सरकार संकल्पित है। यह उद्योग टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज का एक तिहाई हिस्सा अकेले कवर कर रहा है।

मूल रूप से यह उद्योग पंरपरागत रूप से काम करने वालो कारीगरों का है। मोदी सरकार लगातार तीन सालों से इसे गति देने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होने कहा कि परंपरागत रूप से कालीन बुनकरों को प्रशिक्षित कर इस कला के माध्यम हम विदेशों में भी भारतीय कालीन उद्योग की पहचान को बढ़ा रहे है। फेयर के सफल आयोजन पर उन्होने कारपेट एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल को बधाई दी है।कारपेट एक्सपो के माध्यम से कालीन निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। काउंसिल और सरकार के प्रयासों से कालीन उद्योग का निर्यात दस हजार करोड़ से भी अधिक हो चुका है।

यह उद्योग अंतिम पंक्ति में खड़े कमजोर व्यक्ति की मदद कर रहा है। काउंसिल द्वारा आयोजित इस मेले से भारत की कला को विश्व स्तर पर बढ़ावा मिल रहा है। इस क्षेत्र में रोजगार और व्यापार बढ़े, इस पर मंत्रालय सदैव सहयोग करने को तत्पर है। उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल उद्योग 33 हजार करोड़ का हो चुका है।

कारीगरों, कालीन बुनकरों और निर्यातकों को सहयोग कर इसे और बढ़ाया जा रहा है। उन्होनें कहा कि कालीन उद्योग को जीएसटी में राहत मिली है। इस दौरान मंत्री ने मेले में लगे विभिन्न स्टालों का भी भ्रमण किया।कांउसिल के चेयरमेन महावीर शर्मा ने कहा भारतीय कालीन एक्सपो एशिया के सबसे बड़े कालीन मेलों में से एक है। जहां एक ही छत के नीचे अनेकों प्रकार के क्वालिटी डिजायन के उत्पाद प्रदर्शित किये गये. कालीन उत्पाद में उत्पाद के कच्चे माल जूट, काटन, सिल्क, ऊन आदि का प्रयोग होता है, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है। यह ऐसा उद्योग है जो किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं करता है।

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