ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर।
यातायात माह और तमाम जन-सरोकार की ट्रेनिंग पुलिस और प्रशासन स्कूल कालेज मे बच्चो के लिए समय समय पर आयोजित करते रहते है। लेकिन अफसोस कि जिन स्कूलो के बच्चे सडक यातायात और अन्य सामाजिक कुरीतियो के खिलाफ लोगो को जागरूक करते नजर आते है। वही बच्चे स्कूल आते जाते खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे है। दरअसल इन बच्चो को नियम विरूद्ध सीट बेल्ट विहिन स्कूल स्टाफ के लिए परमिटेड वाहनो से बच्चो को ढोया जा रहा है। देखा जाय तो नगर समेत जिले के ग्रामीण अंचलो मे बिना परमिट लिये और स्टाफ के लिए परमिट लेकर धड़ल्ले से बच्चो को ढोया जा रहा है। प्रशासन और आरटीओ महकमा ऐसे वाहन और बच्चो के जिन्दगी के साथ खिलवाड़ करने वाले स्कूल संचालको के खिलाफ कार्रवाई करने मे कोताही बरतने रहा है।
आरटीओ विभाग के नियमानुसार 14 अथवा इससे अधिक सीट वाले वाहन से बच्चो को ढोने के लिए परमिट जारी की जाती है। लेकिन न सिर्फ कुकुरमुत्ते की तरह रोज रोज खुल रहे स्कूल बल्कि शहर के नामी गिरामी और रेपुटेटेड स्कूल जो सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से संचालित है और अपनी शाखा मे लगातार विस्तार कर रही है। उन स्कूलो का भी यह हाल है कि सुबह दोपहर स्कूल मे आते जाते सात सवारी वाले टाटा मैजिक बच्चो को लेकर प्रवेश करते और निकलते नजर आते है। इन्फोसिस वाहन मे बच्चो को बैठने के लिए ठूस ठूस कर व्यवस्था दिया जाता है। एक एक मैजिक मे 12 से 15 बच्चे बैठाकर घर से स्कूल और स्कूल से घर छोडा जाता है। बता दे कि आरटीओ विभाग 14 से कम सीट वाले वाहन पर बच्चो को ढोने की अनुमति नही देता। सात सीटर टाटा मैजिक मे स्कूल स्टाफ के लिए अनुमति दी जाती है। लेकिन देखा जा रहा है कि ज्यादातर स्कूल 14 सीटर की बजाय सात सीटर स्टाफ परमिट लेकर धड़ल्ले से उसी पर बच्चो को ढोल रही है।
टाटा मैजिक वाहन से अब तक प्रदेश के कई जनपद मे हादसे हो चुके है। लेकिन मिर्जापुर के स्कूल संचालक चेत नही रहे। केवल अपने निजी लाभ के लिये बच्चो के भविष्य को अंधकार मे रखकर परिवहन किया जा रहा है। इनके वाहन मे बच्चो को बैठने के बाद सीट बेल्ट नही होने के कारण तेज ब्रेक लगने पर बच्चो के चोटिल होने का भय बना रहता है। इसके बावजूद पुलिस और परिवहन विभाग कोई ध्यान नही दे रहा है।