0 केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा, योगी जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विकास की नई बुलंदियों तक पहुंचेगा
ब्यू्रो रिपोर्ट,लखनऊ
‘उत्तर प्रदेश इवेंस्टर समिट 2018’ के जरिए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य में भी सुधार किया जाएगा। प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत बनाने और होनहारों को रोजगार देने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न कंपनियों संग लगभग 6 हजार करोड़ रुपए का करार हुआ है। इस निवेश से उत्तर प्रदेश के हजारों युवाओं को को रोजगार मिलेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने बुधवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘उत्तर प्रदेश इंवेस्टर समिट 2018’ में संबोधन के दौरान यह बात कहीं।
श्रीमती पटेल ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत विकास होगा, ताकि उत्तर प्रदेश को 21वीं सदी में नई बुलंदियों पर ले जाएं। उत्तर प्रदेश के मुखिया श्री आदित्यनाथ योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश को नई दिशा देने के लिए आज 4.28 लाख करोड़ रुपए के निवेश के लिए करार हुए हैं। इनमें से स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए लगभग 6 हजार करोड़ रुपए का करार हुआ है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा है कि ‘उत्तर प्रदेश इंवेस्टर्स समिट 2018’ के जरिए प्रदेश में पीपीपी मॉडल के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के जरिए भी प्रदेश के अस्पतालों में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी। केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी को भी पीपीपी मॉडल के जरिए दूर किया जाएगा।
आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश में खुलने वाले 28 नए मेडिकल कॉलेज में से 8 मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश में खोले जाएंगे। इन कॉलेजों को जिला अस्पतालों में ही खोलने की तैयारी है। गोरखपुर में ‘एम्स’ खोला जा रहा है।
जिला अस्पतालों को आधुनिक बनाया जा रहा है। अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में‘आयुष्मान भारत’ योजना शुरू की जा रही है। इसके तहत उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के ग्रामीण क्षेत्र में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र खोले जाएंगे। इस बाबत बकायदा 1200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में 12 जांच सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की नई पहल शुरू की है। देश के 10 करोड़ निर्धन एवं कमजोर वर्ग के परिवारों को प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक की कवरेज प्रदान करेगी। इससे देश की 50 करोड़ की आबादी को लाभ मिलेगा। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्पादों और सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी। इस योजना के तहत मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की लागत का भुगतान किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में उद्यमों और सेवाओं का बहुत जल्द विकास होगा।
एशिया का दूसरा बड़ा बाजार:
भारतीय फार्मास्यूटिकल बाजार एशिया में दूसरा सबसे बड़ा बाजार और विश्व में तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा कमाने वाला क्षेत्र है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में इस क्षेत्र से होने वाला कुल निर्यात 1.10 लाख करोड़ रुपए था।
-भारत दुनिया का 20 परसेंट जेनरिक दवाइयों का निर्यात करता है, जिससे यह पूरे विश्व में जेनरिक दवाइयों का सबसे बड़ा प्रदायक बन गया है। भारतीय फार्मा उद्योग 5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2020 तक 55 अरब अमेरिकी डॉलर तक वृद्धि होने की आशा है।200 से ज्यादा देशों को जेनरिक दवाइयों का निर्यात:भारत 200 से ज्यादा देशों को 15 अरब अमेरिकी डॉलर की जेनरिक औषधियों का निर्यात कर रहा है।
बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र:
केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा कि भारत विश्व के 12 श्रेष्ठ बॉयोटेक स्थानों में से एक है और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में इसका तीसरा स्थान है। वर्ष 2015 में इस उद्योग की अनुमानित कीमत 7 अरब अमेरिकी डालर तक थी, जिसमें 2025 तक 30.46 प्रतिशत मिश्रित वार्षिक विकास दर से 100 अरब अमेरिकी डालरतक की वृद्धि होने की उम्मीद है।
-भारत सरकार ने नई प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए जैव –प्रौद्योगिकी उद्योग में साझेदारी कार्यक्रम सहित अनेक कदम उठाए हैं और स्वास्थ्य देखभाल को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल मिशन की शुरूआत की है।
-केंद्रीय बजट 2017-18 में भारत सरकार ने जैव-प्रौद्योगिकी विभाग को 22 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2222.11 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, ताकि विभाग अपनी राष्ट्रीय जैव तकनीकी कार्यनीति का क्रियान्वयन जारी रख सके और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लक्ष्य को 2016 में 7 अरब अमेरिकी डालर से बढ़ाकर 2025तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा सके।
फार्मास्यूटिकल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:
-भारत को गुणवत्तायुक्त दवाइयों का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकत्र्ता बनाने और अनुसंधान को बढ़ावा देने के सपने को साकार करने के लिए भारत सरकार ने दिसंबर 2015 में फार्मा क्षेत्र के लिए ‘कलस्टर विकास कार्यक्रम’ शुरू किया गया।
मेडिकल उपकरणों के निर्माण में 100 फीसदी एफडीआई बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में मौजूदा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(एफडीआई) नीति में संशोधन के लिए मंजूरी दी है। एनपीपीपी के तहत राष्ट्रीय फार्मा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण आवश्यक दवाइयों के मूल्यों को नियंत्रित करता है। साथ ही दवाइयों की उपलब्धता की भी निगरानी करता है। 15 दिसंबर 2016 के अनुसार 853 दवाइयों को अधिकतम मूल्य नियंत्रण के तहत रखा गया है।
देश में कम आय वर्ग के लोगों की बड़ी आबादी को किफायती मूल्यों पर गुणवत्तापूर्ण औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना सरकार का मुख्य उद्देश्य रहा है। इसी के तहत ‘जन औषधि केंद्रों’ की शुरूआत की गई है। इसके जरिए किफायती मूल्यों पर जेनेरिक औषधियां उपलब्ध कराई जा रही हैं, जो कि महंगी ब्रांडयुक्त औषधियों के समान गुणवत्तापूर्ण एवं प्रभावी हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत पूरे देश में 3100 से अधिक जन औषधि केंद्रकार्य कर रहे हैं। इनमें से उत्तर प्रदेश में 262 प्रधानमंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना केंद्र हैं, जो कि सभी राज्यों में सबसे अधिक हैं।
केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा कि जनसंख्या के अनुसार भारत के इस सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश फार्मास्यूटिकल्स के लिए सबसे बड़ा बाजार प्रदान करता है। इस क्षेत्र की औद्योगिक आवश्यकताओं में सहायता करने के लिए उत्तर प्रदेश में विश्वस्तरीय बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उत्तर प्रदेश में जेनेरिक दवाईयों का बड़े स्तर पर उत्पादन करने से न केवल उद्योगों को लाभ मिलेगा, बल्कि इससे गरीब लोगों को दवाइयों की आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी। उत्तर प्रदेश में पशुपालन का मजबूत आधार के साथ पशु चिकित्सा संबंधी दवाइयों के लिए भी पर्याप्त संभावनाएं हैं।